राज पाटीदार भोपाल के चर्चित प्रेस फोटोग्राफर हैं। वे कई सालों से समाचार एजेंसी यूनएनआई से भी जुड़े हैं। गुरुवार को उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर एक मेडिकल रिपोर्ट का फोटो पोस्ट किया। उसे देखने और पढ़ने के बाद मुझे अपने आपको यह भरोसा दिलाने में काफी वक्त लगा कि मैं जीती जागती अवस्था में उसे देख रहा हूं।
राज पाटीदार ने इस रिपोर्ट के फोटो के साथ कमेंट डाला-‘‘सामूहिक गैंगरेप पीड़िता के साथ शिवराज सरकार के सरकारी हास्पिटल का भद्दा मजाक, मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म को बताया मर्जी से किया सहवास। सुल्तानिया अस्पताल में छात्रा की मेडिकल जांच की गई जिसमें डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में गैंगरेप को आपसी सहमति से किया सहवास बताया है। पीड़िता की दो मेडिकल जांच कराई गई है। एक रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई है और दूसरी में आपसी सहमति से बताया गया है।’’
फेसबुक पोस्ट में जिस मामले का जिक्र किया गया है वह हाल ही में 31 अक्टूबर को भोपाल में पुलिस दंपति की एक लड़की के साथ हुए गैंग रेप का है। इस मामले में पीडि़ता को पुलिस ने रिपोर्ट लिखाने तक के लिए 24 घंटे तक लटकाया था और वह एक थाने से दूसरे थाने घूमती रही थी। घटना पर जब अच्छा खासा बवाल मचा तो सरकार ने भोपाल आईजी से लेकर थाने के सब इंस्पेक्टरों तक पर कार्रवाई की थी। मुख्यमंत्री ने बहुत सख्त लहजे में कहा था कि घटना के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे।
मेरे पास संदेह का कोई कारण नहीं है, लेकिन फिर भी जो लोग यह चाहते हैं, उन्हें संदेह का लाभ देते हुए, मैं कहना चाहता हूं कि राज पाटीदार की फेसबुक पोस्ट में डाली गई मेडिकल रिपोर्ट और उनके द्वारा दी गई जानकारी यदि सही है तो फिर मध्यप्रदेश की सरकार और यहां के पुलिस-प्रशासन तंत्र के बारे में कहने को कुछ बचता ही नहीं है।
यह घटना साफ बताती है कि सरकार जो भी घोषणाएं कर रही है, महिला सशक्तिकरण से लेकर महिला अपराध रोकने संबंधी जितने भी दावे किए जा रहे हैं, उनकी सत्यता संदेह के घेरे में है। साफ जाहिर है कि मध्यप्रदेश में अव्वल तो ऐसे जघन्य अपराधों की रोकथाम नहीं हो पा रही, वहीं अपराध होने के बाद सरकारी तंत्र खुद उसे दबाने या उस पर लीपापोती के पूरे इंतजाम कर रहा है।
अब आप इसी घटना को ले लीजिए। जानकारी के अनुसार इसमें दो मेडिकल रिपोर्ट तैयार करवाई गईं। एक में लड़की के साथ हुई दुष्कर्म की घटना को सहमति और इच्छा से हुआ बताया गया। (रिपोर्ट में इसके लिए sexual intercourse with her consent and will लिखा गया है) और दूसरी मेडिकल रिपोर्ट इसके विपरीत रेप की बात कहती है। (हालांकि उसकी कॉपी मेरे पास नहीं है।)
जाहिर है हंगामा होने के बाद जब पुलिस प्रशासन ने यह देखा होगा कि मामला दबाया नहीं जा सकता तो दूसरी रिपोर्ट तैयार की ही गई होगी। क्योंकि जो रिपोर्ट फेसबुक पर सार्वजनिक हुई है, वह तो कहती है कि चार लड़कों ने रेलवे पटरी के नजदीक एक गंदे नाले के किनारे उस लड़की के साथ जो कुछ किया वह उसकी‘रजामंदी’ से हुआ। यदि सब कुछ ‘रजामंदी’ से ही हुआ होता तो पुलिस को चार लोगों को गिरफ्तार करने और अपने छह अफसरों पर कार्रवाई करने की जरूरत ही क्यों पड़ती। जो पुलिस आपराधिक तौर पर किए गए बलात्कार के आरोपियों को नहीं पकड़ पाती वह सहमति से हुए ‘इंटरकोर्स’ में इतनी सक्रिय कैसे हो सकती है?
यानी सीधे सीधे यह लापरवाही नहीं बल्कि मामले को दबाने की आपराधिक साजिश का मामला है। अब यह कहने से काम नहीं चलने वाला कि हम आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे, उनके मामले फास्ट ट्रेक कोर्ट में ले जाए जाएंगे। अब बात वहां से काफी आगे निकल चुकी है। सरकार और प्रशासन का सारा खेल उजागर हो चुका है और यदि प्रदेश में कानून का राज है, जिसे स्थापित करने की शपथ सरकार में बैठे जिम्मेदारी लोगों ने ले रखी है, तो इस कृत्य के दोषी सारे लोगों पर आपराधिक साजिश का मामला दर्ज होना चाहिए। इसके अलावा दुष्कर्म के दोषियों के साथ साथ सरकारी तंत्र से जुड़े लोगों पर दर्ज मामला भी फास्ट ट्रेक कोर्ट में ही चलाया जाना चाहिए।
इस मामले में अब जनता को भी आगे आना होगा। आज एक घटना हुई है कल ऐसी ही घटनाएं और होंगी। आज कोई बेटी इसका शिकार हुई है कल कोई और बेटी होगी। आखिर बेटियों की अस्मत इस तरह कब तक तार तार होती रहेगी और सरकारें कब तक उन्हें कालीन के नीचे छिपाती रहेंगी। उधर सरकार से भी अपेक्षा है कि वह ऐसे जघन्य अपराधों को दबाने वाला रवैया छोड़कर मामलों को गंभीरता से ले। आज आपने सहमति से सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट तैयार करवा ली, कल को यदि जनता आपके साथ ऐसा ही सलूक करना चाहे तो क्या आप ऐसी सहमति देने को तैयार हैं?
पुनश्च- मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने गुरुवार को महिला सुरक्षा के संबंध में फिर एक ‘उच्चस्तरीय’ बैठक की। उन्होंने अफसरों से कहा- ‘’प्रदेश में सुरक्षा का ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें महिलाएं, बेटियां स्वतंत्र रूप से कहीं भी कभी भी आ-जा सकें। महिलाओं के प्रति विकृत मानसिकता सामाजिक बुराई है। इसके विरुद्ध समाज, सरकार और पुलिस मिलकर कार्य करें। जनजाग्रति अभियान चलाकर इस बुराई को जड़ से समाप्त किया जाये। (मुख्यमंत्री के इन निर्देशों को बैठक में मौजूद मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक सहित तमाम अफसरों ने सुना।)