जब अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उनके पिता मोची थे। सीनेट सभा के कुछ अहंकारी लोग इस बात से बहुत नाराज थे कि एक मोची का बेटा राष्ट्रपति कैसे बन गया। पहले दिन, जैसे ही अब्राहम लिंकन ने अपना उद्घाटन भाषण देने के लिए प्रवेश किया, सभा के बीच में से एक व्यक्ति खड़ा हो गया। वह बहुत समृद्ध और अभिजात वर्ग का था। उसने कहा, “श्रीमान लिंकन, आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि आपके पिता मेरे परिवार के लिए जूते बनाते थे।‘’पूरी सीनेट सभा हंसने लगी। उन्होंने सोचा कि उन्होंने अब्राहम लिंकन को नीचा सबित कर दिया है।
लेकिन कुछ लोग अलग ही धातु से बने होते हैं। लिंकन ने सीधे उस व्यक्ति की आंखों में आंखें डाल कर देखा और कहा, “महोदय, मुझे पता है कि मेरे पिता आपके परिवार के लिए जूते बनाने का कार्य करते थे। यहां कई अन्य लोग भी होंगे जिनके जूते उन्होंने बनाये होंगे,पर उनके जैसे जूते कोई और बना नहीं सकता था। उनके जूते सिर्फ जूते ही नहीं थे, वरन उन जूतों में मेरे पिता की आत्मा और समर्पण का समावेश होता था।
मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपको जूतों से कोई शिकायत है? क्योंकि मैं स्वयं भी जूते बनाना जानता हूं। यदि आपको शिकायत हो तो मैं आपके लिये एक जोड़ी जूते और बना सकता हूं। लेकिन जहां तक मुझे पता है, किसी ने कभी भी मेरे पिता के जूते के बारे में शिकायत नहीं की। वह एक प्रतिभाशाली, एक महान मोची थे और मुझे अपने पिता पर गर्व है।’’
पूरी सीनेट सभा की जबान को जैसे लकवा मार गया। वे समझ नहीं पाए कि ये अब्राहम लिंकन किस मिट्टी का बना है। जिसे गर्व था कि उसके पिता ने इतने उत्साह, इतनी उमंग और पूर्णता के साथ अपना जूते बनाने का कार्य पूर्ण किया था।
तो… इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करते हैं। मायने यह रखता है कि आप उसे कैसे करते हैं। अपने स्वयं के दृष्टिकोण के साथ, अपने स्वयं के दर्शन के साथ, अपनी स्वयं की रचनात्मकता के साथ। फिर जो भी आप स्पर्श करते हैं वह सोना बन जाता है।
कहानी से सीख
“जहाज अपने चारों ओर के पानी की वजह से नहीं डूबता। जहाज़ डूबता है अपने अंदर भरे पानी के कारण।” इसकी परवाह न करें कि आपके आस-पास क्या हो रहा है। कौन आपकी आलोचना कर रहा है। ज्यादा सोचेंगे तो आपके अपने अंदर ही नकारात्मकता भरेगी जो आपको आगे बढ़ने से रोकेगी। अतः अपना कार्य कुशलता से करें।
(एक फेसबुक पोस्ट से साभार)