खबरदार! अब अगर दारू पीकर गाड़ी चलाई तो जानिए क्‍या होगा…

इन दिनों ऐसा हो रहा है कि कुछ मुद्दे एक बार मीडिया की सुर्खी बने तो वे बनते ही चले जाते हैं। टीवी पर एक चर्चित विज्ञापन की टैग लाइन है, ‘’इंडिया में तो इन दिनों फॉग चल रहा है…’’ उसी तर्ज पर आप कह सकते हैं कि ‘’इंडिया में तो इन दिनों उत्‍तरप्रदेश चल रहा है या कि योगी चल रहा है…’’ उत्‍तरप्रदेश या योगी के अलावा कुछ चल रहा है तो वह शराबबंदी है या फिर गोरक्षा… और हमारे मध्‍यप्रदेश में इन दिनों नर्मदा यात्रा के अलावा कुछ नहीं चल रहा…

फौरी मसलों से उठे खबरों के इस धुंए के बीच और भी कई बातें होती हैं, लेकिन उन पर न तो उतना ध्‍यान जाता है और न ही वैसी बहस होती है। भारत के घर घर से जुड़े ऐसे ही एक मसले पर सोमवार को लोकसभा ने बहुत बड़े बदलाव वाला बिल पास किया है, जिसकी सराहना होनी चाहिए और उस पर प्रभावी अमल के प्रयास भी किए जाने चाहिए।

लंबी प्रतीक्षा के बाद लोकसभा ने जो नया मोटर यान (संशोधित) बिल पारित किया है, उसमें वैसे तो कई प्रावधान किए गए हैं, लेकिन कुछ प्रावधानों पर बात होनी चाहिए। ऐसा ही एक प्रावधान नाबालिग बच्‍चों द्वारा वाहन चलाने और उनके हाथों होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर है। नए कानून में ऐसी दुर्घटनाओं के लिए वाहन के मालिक को सजा देने की व्‍यवस्‍था की गई है। अब यदि किसी नाबालिग के हाथ से कोई दुर्घटना हुई तो जिस वाहन से दुर्घटना हुई है उसके मालिक को 25,000  रुपए का जुर्माना, तीन साल तक की कैद या फिर दोनों सजाएं हो सकती है।

इसी तरह शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में भी जुर्माना पांच गुना बढ़ा दिया गया है। अब नशे में गाड़ी चलाने वालों से 10,000 रुपए का फाइन वसूला जाएगा। अगर कोई शख्स नशे की हालत में अपने वाहन से किसी की जान ले लेता है तो जुर्म  गैर जमानती हो जाएगा और दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल की सजामिलेगी। ऐसी दुर्घटना करने वाले पर, पहले से सोच-समझकर या  जानबूझकर किए गए जुर्म के  तहत के चलाया जाएगा।

सड़क दुर्घटनाओं, खासकर दोपहिया वाहन चालकों के साथ होने वाले हादसों में मौतों का एक प्रमुख कारण हेलमेट न पहनना है। नए नियमों में बदलाव करते हुए चार साल से ऊपर के बच्चे को हेलमेट पहननाजरूरी कर दिया गया है।हेलमेट ना पहनने पर एक हजार रुपए के जुर्माने के साथ ही तीन महीने के लिएलाइसेंस कैंसल हो जाएगा। इसी तरह की सजा रेड लाइट क्रॉस करने और सीट बेल्ट ना लगाने पर भी तयकी गई है।

इन दिनों दुर्घटना एक बड़ा कारण मोबाइल फोन भी हो गया है। दोपहिया वाहन हो या चार पहिया वाहन। लोग मोबाइल का इस्‍तेमाल करते हुए ड्राइव करते हैं। ऐसे में ध्‍यान भंग होने के कारण हादसे होने की आशंका बहुत अधिक होती है। नए नियम के मुताबिक ड्राइव करते वक्त फोन पर बात करने पर एक हजारसे पांच हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

देश में लगातार बढ़ती वाहनों की संख्‍या और जटिल होती यातायात की समस्‍या के कारण लंबे समय से इस बात की जरूरत महसूस की जा रही थी कि नियमों में आवश्‍यक बदलाव के साथ ही सख्‍त सजा या जुर्माने का प्रावधान हो ताकि लोग नियमों का उल्‍लंघन करने से थोड़ा तो डरें। नया बिल इस मामले में काफी कुछ लगाम लगाता नजर आता है।

चूंकि सड़क दुर्घटनाओं की खबरें अलग अलग समय पर आती हैं और उनमें हताहत होने वालों की संख्‍या भी उसी दुर्घटना तक सीमित रहती है, इसलिए हमें ऐसी दुर्घटनाओं के असर की गंभीरता का पता ही नहीं चल पाता। लेकिन भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वार्षिक रिपोर्ट 2015 का यह आंकड़ा दहला देने वाला है कि इस वर्ष एक लाख 46 हजार 133 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए। जबकि 2014 में यह आंकड़ा एक लाख 39 हजार 671 था।

इस हिसाब से देश में प्रतिदिन 1374 दुर्घटनाएं हो रही हैं जिनमें 400 लोग रोज मारे जा रहे हैं। यानी हर घंटे 57 एक्‍सीडेंट और 17 मौतें। 2015 में सड़क दुर्घटनाओं में पांच लाख 279 लोग घायल हुए। जबकि 2014 में घायल होने वालों की संख्‍या 4 लाख 93 हजार 474 थी।

सबसे गंभीर बात यह है कि 2015 में जो लोग दुर्घटना में मारे गए उनमें से 54.1 प्रतिशत लोग 15 से 34 वर्ष की आयु वर्ग के थे। इसका अर्थ यह है कि ये सड़क दुर्घटनाएं देश के किशोरों और युवाओं को लील रही हैं। सामाजिक और आर्थिक दृष्टि के साथ-साथ विकास के लिहाज से भी इस वर्ग के लोगों का यूं मौत के मुंह में चले जाना देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।

दुर्घटनाओं के मामले में मध्‍यप्रदेश जैसे राज्‍य को तो और अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। क्‍योंकि वर्ष 2015 की रिपोर्ट में देश के जिन 13 राज्‍यों को दुर्घटना सूची में सबसे ऊपर रखा गया है, उनमें भी मध्‍यप्रदेश का नाम पहले तीन राज्‍यों में शुमार है। इनमें पहला नंबर तमिलनाडु का, दूसरा महाराष्‍ट्र का और तीसरा मध्‍यप्रदेश का है जहां 54 हजार 947 दुर्घटनाएं हुईं।

उम्‍मीद की जानी चाहिए कि नया कानून देश की सड़कों पर बिखर जाने वाले इंसानों के खून को रोकने में मददगार हो सकेगा। बशर्ते संबंधित एजेंसियां इसे सख्‍ती से लागू करवाएं और लोग इनका ईमानदारी से पालन करें…

 

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