आज मैं कुछ नहीं बोलूंगा। आज तो आप पहले ऐसी कुछ खबरों के टुकड़े सुन लीजिए जो मध्यप्रदेश के अखबारों में पिछले 15 दिनों के दौरान छपी हैं।
पहली खबर-
प्रदेश के सात लाख से ज्यादा किसानों को पिछले साल खराब हुई खरीफ फसल के लिए 18 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का फसल बीमा मिलेगा। अशोक नगर से इसकी शुरुआत हो गई है। बाकी जगह एक माह के भीतर बीमा बंटने लगेगा। इसी तरह रबी फसल में भी लगभग छह सौ करोड़ रुपए का बीमा बन सकता है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के 34 लाख से ज्यादा किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा कराया था। इसके लिए चार सौ करोड़ रुपए किसानों ने अंशदान जमा किया था। बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर लगाई। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अच्छी फसल आने के बावजूद सात लाख से ज्यादा किसानों की फसल अतिवर्षा के कारण खराब हो गई थी। बीमा योजना के नियमों के तहत 7 लाख 42हजार से ज्यादा किसानों के फसल बीमा दावे को केंद्र ने मंजूरी दी है। अब इन किसानों को 1,818 करोड़ रुपए से ज्यादा का बीमा मिलेगा।
दूसरी खबर-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीहोर जिले से फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था। यहां किसानों को बीमा क्लैम स्वीकृत हो गए हैं। यह क्लैम राहत तो कतई नहीं कहे जा सकते, हां इन्हें किसानों के साथ भद्दा मजाक जरूर कहा जा सकता है। एक किसान को 4 रुपए 70 पैसे का क्लैम स्वीकृत किया गया है। कुल 52 किसानों को 3061 रुपए का क्लैम स्वीकृत हुआ है। यानि एक किसान के हिस्से में औसत 59रुपए आए हैं।
सीएम के अपने विधानसभा क्षेत्र बुदनी के कई गांवों के किसानों को नाम मात्र का मुआवजा हासिल हुआ है। ग्राम तिलाडिया के उत्तम सिंह के पास 0.809 हैक्टेयर जमीन है, इनको मात्र 17 रुपए 46 पैसे का फसल बीमा क्लेम मिला जबकि लालबाई को गांव में सबसे ज्यादा राशि 194 रुपए 24 पैसे मिली है। इनके खेत का रकबा 9 हेक्टेयर है।
तीसरी खबर-
बीमा से राहत पाने वाले किसानों में सबसे अधिक मुआवजा पाने वाली नीला बाई हैं जिनकी 22 एकड़ जमीन पर खड़ी सोयाबीन की फसल पिछले दिनों नष्ट हो गई थी। नीला बाई को मुआवजे के रूप में कुल194 रुपए 22 पैसे की राशि का भुगतान किया गया है। नीला बाई के बेटे ने कहा कि उन्होंने बीमा के लिए5220 रुपये का प्रीमियम भरा था और अब मुआवजे के रूप में उन्हें 194 रुपये मिल रहे हैं। भगवान ही जानता होगा कि सरकार ने ये हिसाब कैसे निकाला है।
चौथी खबर-
प्रदेश में खरीफ 2016 के फसल बीमा में कम राशि मिलने पर हो रही सियायत के मद्देनजर सरकार ने बीमा राशि की गणना को लेकर स्थिति साफ की है। बताया गया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना या अन्य बीमा योजना में पांच साल के औसत और वास्तविक उत्पादन में आए अंतर के हिसाब से बीमा राशि तय होती है। इस हिसाब से सीहोर के ही गांव अवंतिपुरा के एक किसान को 1 लाख 81 हजार रुपए का क्लैम मिला है।
सरकार ने दावा किया किया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में देश में सर्वाधिक 42 लाख किसानों का बीमा मध्यप्रदेश में हुआ है। खरीफ 2016 में 1 हजार 818 करोड़ रुपए के दावे मंजूर हुए। अकेले सीहोर जिले में 43 हजार 850 किसानों को 55 करोड़ 50 लाख रुपए की दावा राशि मंजूर हुई। पटवारी हलका के अनुसार नुकसान का स्तर अलग-अलग होने की वजह से कहीं ज्यादा तो कहीं कम बीमा राशि का भुगतान होता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा किसान आधारित नहीं, बल्कि क्षेत्र आधारित है।
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ये तो थी इसी माह छपी खबरों की बानगी। अब जरा थोड़ा पीछे चलें। ज्यादा नहीं सिर्फ डेढ़ साल…
तारीख- 18 फरवरी 2016 स्थान- सीहोर जिले का गांव शेरपुरा
इस तारीख को खुद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेरपुरा आकर देश के किसानों के लिए नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जारी की थी।
उस कार्यक्रम को लेकर जारी सरकारी प्रेसनोट में पीएम के हवाले से कहा गया था कि ‘’पुरानी फसल बीमा योजना के बारे में किसानों के मन में कई आशंकाएँ थीं। इसलिये ऐसी फसल बीमा योजना बनायी गई है,जिसमें किसानों की सारी मुसीबतों का समाधान है। इसमें रबी के लिये डेढ़ प्रतिशत और खरीफ के लिये 2प्रतिशत से ज्यादा प्रीमियम नहीं होगा। जबकि पुरानी फसल बीमा योजना में प्रीमियम 12 से 14 प्रतिशत था। नई फसल बीमा योजना में किसानों के भुगतान पर कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है। साथ ही गाँव के एक भी किसान का नुकसान हुआ तो उसे फसल बीमा का लाभ मिलेगा।‘’
‘’पुरानी फसल बीमा योजना में बीज बोने के बाद ही बीमा होता था। नई योजना में बारिश नहीं होने के कारण बोनी नहीं कर पाने पर भी किसानों को मदद दी जायेगी। खेत में कटी हुई फसल का नुकसान होने पर भी बीमा राशि दी जायेगी। पहले बीमा राशि स्वीकृत होने में काफी समय लगता था, अब 25 प्रतिशत राशि तत्काल दी जायेगी तथा बाकी राशि कम से कम समय में दी जायेगी। अब किसानों की फसल का एक तिहाई नुकसान होने पर भी मुआवजा दिया जायेगा। पहले 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान पर मुआवजा दिया जाता था। मुआवजा राशि को बढ़ाकर तीन गुना कर दिया गया है।‘’
मुझे आज अपनी ओर से सिर्फ ऊपर की अंतिम लाइन के बारे में ही आपका ध्यान आकर्षित करना है। जो कहती है कि नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ‘’मुआवजा राशि को बढ़ाकर तीन गुना कर दिया गया है’’… यानी ये सारे विघ्नसंतोषी, पैसे के भूखे किसान, जो चिल्लपों मचा रहे हैं वे ध्यान से सुन लें। उन्हें ये जो 4 रुपए 70 पैसे या 17 रुपए 46 पैसे की मुआवजा राशि मिली है यह उनके हकों से तीन गुना ज्यादा राशि का भुगतान है। ऐसे सारे अहसानफरामोश किसान आला हुजूर को कोसने से पहले जरा सोचें कि सरकार माईबाप ने दरियादिली दिखाते हुए डेढ़ साल पहले मुआवजा राशि तीन गुना न की होती तो उन्हें क्या मिलता…???
इसलिए जो भी मिला है उसे चुपचाप स्वीकार करें, सरकार की जै-जैकार करें…