श्‍वान के भाग बड़े सजनी, टीवी पे ले गयो सात मिनिट!

कृष्‍ण की बाल लीलाओं का अत्‍यंत सुंदर वर्णन करते हुए कवि रसखान ने लिखा है-

धूरि भरे अति सोभित स्‍यामजू तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरै अँगना पग पैंजनी बाजति पीरी कछोटी।
बा छबि कों रसखानि बिलोकत बारत काम कला निजकोटी।
काग के भाग बड़े सजनी हरिहाथ सों लै गयौ माखन रोटी।

इस छंद की अंतिम लाइन कल शाम से ही मेरे दिमाग में घूम रही है। रसखान कहते हैं कि वह कौवा बड़ा बड़भागी है जो आंगन में खेलते हुए बालकृष्‍ण के हाथ से माखन रोटी चुरा ले गया। कृष्‍ण के जमाने में कौवा बड़भागी हुआ करता था, लेकिन आज के जमाने में कुत्‍ता बड़भागी हो गया है।

आप सोच रहे होंगे कि आज मैं ये क्‍या कौवे और कुत्‍ते की कहानी लेकर बैठ गया! दरअसल कल मैं यू.आर. राव और प्रो. यशपाल जैसे देश के महान वैज्ञानिकों के निधन वाली खबरों को हमारे मीडिया में यथोचित तवज्‍जो न मिलने पर खूब रोया झींका था। लेकिन कॉलम पूरा होते होते रही सही कसर भी पूरी हो गई और वाट्सएप पर आई एक वीडियो क्लिप ने पत्रकारिता को लेकर मेरे कई सारे मुगालते दूर कर दिए।

22 जुलाई की इस क्लिप में एक खबरिया चैनल ने हाल ही में जो कमाल किया वह देखने लायक है। देश के महान वैज्ञानिकों के निधन की खबरें चंद सेकंड में निपटाने वाले हमारे मीडिया ने इस विशेष आयोजन के जरिए साफ बता दिया कि उनकी प्राथमिकताएं क्‍या हैं। नए राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह से पहले तैयार किया गया 18 मिनिट का यह कार्यक्रम राष्‍ट्रपति के कुनबे पर केंद्रित था। उसके पहले हिस्‍से का शीर्षक था- कालू और कट्टी भी जाएंगे राष्‍ट्रपति भवन?

संबंधित चैनल ने इसे अपने दर्शकों/पाठकों से ट्विटर पर इस कमेंट के साथ शेयर किया- नॉर्थ एवेन्यू में रहने वाले ये गली के कुत्ते खास हैं। हमारे नए राष्ट्रपति का परिवार इन्हें बहुत प्यार करता है। 

दरअसल यह कहानी है नार्थ एवेन्‍यू के उस हिस्‍से की जहां नए राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के बेटे, बहू और उनका परिवार रहता है। क्रांतिकारी रिपोर्टर को उस मोहल्‍ले में सबसे ज्‍यादा वहां के देशी कुत्‍ते (भद्र भाषा में इन्‍हें स्‍ट्रीट डॉग कहा जाता है) पसंद आए। उसे इंसानों से अलग इन कुत्‍तों में एक नायाब खबर का एंगल नजर आया और उसकी बनाई हुई कहानी को चैनल के बहुत क्रांतिकारी संपादक ने विस्‍मयादिबोधक चिह्न के साथ इस शीर्षक से चलाया- कालू कट्टी भी जाएंगे राष्‍ट्रपति भवन!

कहानी यूं चलाई गई

नए राष्‍ट्रपति कोविंद के परिवार का कुत्‍ता प्रेम/ पूरे परिवार से हिलेमिले हैं आधा दर्जन स्‍ट्रीट डॉग्‍स/ कोविंद परिवार के प्‍यारे हैं लिली, कट्टी, किशमिश/ नार्थ एवेन्‍यू वाले घर के बाहर रहते हैं ये कुत्‍ते/ रामनाथ कोविंद की बहू करती हैं कुत्‍तों की देखभाल/ कुत्‍ते के खाने पीने और इलाज का रखा जाता है ध्‍यान/ कुत्‍ते को वक्‍त पर दिया जाता है खाना/ कुत्‍ते को दूध, रोटी और चिकन दिया जाता है/ कुत्‍ते भी निभाते हैं वफादारी, करते हैं घर की चौकीदारी/ कुत्‍ते को राष्‍ट्रपति भवन ले जाना चाहता है परिवार…

इसके बाद पूरे सात मिनिट तक पहले कुत्‍तों के विजुअल्‍स के साथ और बाद में कोविंद की बहू, बेटे और पोती के साथ बातचीत के केंद्र में भी ये गली के कुत्‍ते ही रहे। रिपोर्टर की मुख्‍य चिंता हरेक से पूछे गए इस प्रश्‍न में झलक रही थी कि क्‍या ये कुत्‍ते भी आपके साथ राष्‍ट्रपति भवन जाएंगे? उसने इन कुत्‍तों के बारे में भारी रिसर्च किया और कोविंद परिवार के पड़ोस में रहने वाले किसी सज्‍जन के नौकर से उसे यह रहस्‍य पता चला कि एक बार इन्‍हीं कुत्‍तों में से एक कुत्‍ता जख्‍मी हो गया था तो कोविंद परिवार उसे अपनी गाड़ी में इलाज के लिए ले गया था। दूसरी यादगार घटना यह थी कि एक बार मुंसीपाल्‍टी के लोग इनमें से एक आवारा कुत्‍ते को पकड़कर ले जाने लगे तो कोविंद परिवार ने उसे उनसे छुड़ा लिया।

और ज्‍यादा क्‍या कहूं, यदि आपको आज के जमाने की इन क्रांतिकारी बहुत क्रांतिकारी खबरों में रुचि हो, तो आपके लिए मैं दो लिंक दे रहा हूं, पहली ट्विटर की है जिसमें कहानी का एक अंश है और दूसरी यू-ट्यूब की जिसमें पूरी कहानी है। आप इन्‍हें देखने और सिर ठोकने या आज की ऐसी खोजपरक, साहसिक और क्रांतिकारी पत्रकारिता की भूरि भूरि प्रशंसा करने के लिए स्‍वतंत्र हैं। ये लिंक हैं-

1- https://twitter.com/aajtak/status/888700719653572609

2- https://youtu.be/2MdvYjBl8EA

वैसे ट्विटर पर यह वीडियो चलाए जाने के बाद कई लोगों ने बहुत दिलचस्‍प कमेंट किए हैं, जिनमें से कुछ मैं आपसे शेयर कर रहा हूं-

भावेश सत्‍पथी- ज़ाहिर बात है, राष्ट्रपति के परिवार के ‘खास’ कुत्ते ‘राष्ट्रीय कुत्ते’ हुए, न्यूज़ दिखाना तो बनता है भाई

कार्तिक- अब तो वो मच्‍छर भी ढूंढ लेंगे जिसने साहब को काटा होगा…

पी. चंद्रा- अंडरवियर कौनसे ब्रांड का पहनते हैं ये भी दिखा दो जरा और हां साबुन और क्रीम भी कौन सी लगाते हैं? जर्नलिज्‍म की तो लगा रखी है…

सुमित कुमार- टूथपेस्‍ट, सेलून, टॉयलेट की और ब्रेकफॉस्‍ट की टाइमिंग और पसंदीदा खाना, मूवी, गाना की डिटेल्स भी जल्‍दी ही पता करो, आज के समय में काफी जरूरी है।

रशीन खान- अब कुत्ते, बिल्ली, गाय, भैंस, गोबर ही न्यूज में आएंगे इंसान नहीं

शबी अब्‍बास जैदी- You PPL are covering Street dogs but not Farmer’s of Tamilnadu those are protesting in Delhi from last two months.

रविराज- अगले जन्म में मुझे कुत्ता बनाना भगवान।

राहुल तिवारी- किसी कवि की एक कविता याद आ गई- श्‍वानों को मिलता दूध भात, भूखे बच्‍चे अकुलाते हैं। माता की गोदी में चिपक चिपक जाड़े की रात बिताते हैं…

गिरीश सिंह- सर, एक गाय भी होती तो हमारे दिल में आपकी और भी इज्जत बढ़ जाती।

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इतना सब कुछ जानने सुनने के बाद, गिरीश उपाध्‍याय अपने गिरेबान में लाख झींकते रहें, लेकिन जब मीडिया में ‘कुत्‍तों’ को ही तवज्‍जो मिलनी है, तो इंसान वैज्ञानिक या शिक्षक क्‍यों बनना चाहेगा, कुत्‍ता ही बनेगा… कुत्‍तई ही करेगा… सो वही हो रहा है…

 

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