मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सिंहस्थ महाकुम्भ का आयोजन अदभुत एवं अकल्पनीय था। अंतिम शाही स्नान में हर्ष उल्लास, आस्था और विश्वास के साथ क्षिप्रा के रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट, गऊघाट, मंगलनाथ घाट, वाल्मीकी घाट सहित विभिन्न घाटों में साधु-संतों एवं देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं के लाखों की संख्या में डुबकी लगाकर अमृत स्नान करना इस बात का प्रमाण है। इस अवसर पर जिला प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, मेला अधिकारी अविनाश लवानिया, उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इतिहास में पहली बार शैव एवं वैष्णव अखाड़ों के साधु-संतों ने एक-साथ आमने-सामने दत्त अखाड़ा घाट एवं रामघाट में आस्था की डुबकी लगाई। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कार को इस महाकुम्भ ने और अधिक जीवंत कर दिया है। इसी विशेषता के कारण पूरा विश्व भारतीय संस्कृति का कायल है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि महाकाल की कृपा से रात एवं दिन ट्रेन एवं सड़क मार्ग से गर्मी की परवाह किये बगैर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शाही स्नान हेतु उज्जैन आए। जो उनकी भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था एवं श्रद्धा प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए वे स्वयं तथा प्रभारी मंत्री निरंतर मानीटरिंग करते रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी चुनौती को महाकाल के आर्शीवाद से संपन्न करवा लिया गया है। इसके लिए जिले के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह, विभिन्न अखाड़ों के पीठाधीश, महामण्डलेश्वर, संत-महंत, कमिश्नर रवीन्द्र पस्तोर, पुलिस महानिरीक्षक व्ही. मधुकुमार, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक मनोहर वर्मा सहित इस आयोजन से जुड़े समस्त शासकीय एवं अशासकीय कर्मचारी, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, सफाई कर्मचारियों तथा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले बधाई के पात्र हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने पूरी संज़ीदगी के साथ सिंहस्थ महाकुम्भ की खबरें देश-विदेश तक पहुँचाने हेतु प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विशेष रूप से धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा के दोनों किनारों में एक किलोमीटर की परिधि में किसानों की भूमि पर फलदार पौधे रोपित किये जायेंगे और इसके बदले राज्य सरकार फल नहीं आने तक किसानों को मुआवज़ा देगी। इससे जहॉं एक ओर पर्यावरण संतुलित होगा वहीं हरियाली बढ़ेगी तथा भूमि का कटाव रुकेगा। उन्होंने कहा कि क्षिप्रा मैया के दोनों किनारों पर वृक्षारोपण कर उसे पुनर्जीवित किया जाएगा।