प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह भी प्रदेश की जनता से अपने मन की बात करने लगे हैं। उनके इस कार्यक्रम को नाम दिया गया है दिल से। रविवार यानी 8 अक्‍टूबर को मुख्‍यमंत्री ने इसी दिल से कार्यक्रम के तहत प्रदेश की महिलाओं के हित में सरकार द्वारा लिए गए अनेक फैसलों की जानकारी दी।

मुख्‍यमंत्री ने महिलाओं के लिए खासतौर से जो ऐलान किए उनमें विधवा विवाह में दो लाख रुपये की सहायता देने, विधवा पेंशन में बीपीएल का बंधन समाप्त करने,  आदिवासी बहुल विकास खण्डों में सेनेटरी नेपकिन आधी कीमत पर उपलब्ध करवाने, पुलिस आरक्षक भर्ती में महिलाओं को ऊँचाई सहित शारीरिक मापदण्ड में छूट देने, शासकीय सेवा में कार्यरत पति-पत्नी को यथासंभव एक स्थान पर पदस्थ करने, माँ-बच्चे के पोषण और स्वास्थ्य के लिये प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना शुरू करने जैसे कदम शामिल हैं।

आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रदेश की माताओं-बहनों और बेटियों से संवाद करते हुए शिवराज ने कहा कि बलात्कारियों को फाँसी की सजा दिलाने के लिये शीघ्र ही विधानसभा में सख्त कानून बनाने का प्रस्ताव लाया जायेगा। छेड़छाड़ के अपराध के लिए 10 वर्ष के सश्रम कारावास का प्रावधान करवाया जायेगा। स्कूल और सिटी बसों में छेड़छाड़ की घटना को रोकने के लिये सी.सी.टी.वी. कैमरे लगी बसों को ही परमिट दिए जायेगा। बलात्कार के प्रकरणों में बिना सरकारी वकील को सुने आरोपी की जमानत याचिका पर विचार नहीं करने का प्रावधान भी किया जा रहा है। इसी तरह पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा देने के कानून को भी प्रभावी तरीके से लागू करवाया जाएगा।

निश्चित रूप से ये सारी योजनाएं महिला सशक्तिकरण और महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सबल बनाने की दिशा में महत्‍वपूर्ण हैं। लेकिन इनमें भी पुलिस आरक्षक भर्ती में महिलाओं को ऊँचाई सहित शारीरिक मापदण्ड में छूट देने का फैसला बहुत ही दूरदर्शी है, जिसका स्‍वागत किया जाना चाहिए। इस फैसले के दो लाभ होंगे, एक तो अधिक से अधिक महिलाएं इन पदों के लिए आवेदन कर सकेंगी, दूसरे उपयुक्‍त उम्‍मीदवार न मिलने से, खाली रहने वाले पद भी भरे जा सकेंगे।

हालांकि अभी यह खुलासा नहीं किया गया है कि‍ महिलाओं को कद में कितनी छूट दी जाएगी और उसके नियम व शर्तें आदि क्‍या रहेंगी, लेकिन जो भी छूट होगी व‍ह निश्चित रूप से वर्तमान मापदंडों से तो कम ही रहेगी। वर्तमान में महिला कांस्‍टेबलों के लिए 158 सेंमी का कद तय है। पुरुषों की तुलना में यह दो से दस सेंमी कम है। निर्धारित मापदंडों के अनुसार सामान्‍य एवं अनुसूचित जाति के पुरुषों के लिए 168 सेंमी और अनुसूचित जनजाति के पुरुषों के लिए 160 सेंमी की लंबाई तय है।

यह राहत किसलिए महत्‍वपूर्ण है इसे थोड़ा अलग तरीके से समझना जरूरी है। दरअसल सामाजिक और भौगोलिक कारणों से अलग अलग क्षेत्रों में आबादी की कदकाठी में काफी अंतर होता है। जैसे यूरोपीय समुदाय के लोगों और भारतीय समुदाय के लोगों की कदकाठी में आप यह अंतर साफ देख सकते हैं। उसी तरह भारत में भी इतनी अधिक विविधता है कि उत्‍तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक कोई एक मापदंड लागू नहीं किया जा सकता। ऐसे में एक सा मापदंड होने के कारण कई सारे उम्‍मीदवार वैसे ही अपात्र बन जाते हैं और ऐसा होने से उनके लिए नौकरियों या रोजगार के अवसर भी कम होते जाते हैं।

मध्‍यप्रदेश का ही उदाहरण लें तो नैशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे (एनएफएचएस-3) के आधार पर 2011 में किए गए एक अध्‍ययन के अनुसार हमारे यहां 20 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में पुरुषों की औसत लंबाई 165 सेंमी और महिलाओं की 152 सेंमी है।

अब यदि इस अध्‍ययन को ही आधार बनाया जाए तो देखिए क्‍या स्थिति बनती है। पुलिस में कांस्‍टेबल की भरती में सामान्‍य और अनुसूचित जाति के पुरुषों के लिए लंबाई का मापदंड 168 सेंमी है यानी प्रदेश में पुरुषों की औसत लंबाई से आठ सेंमी ज्‍यादा। उसी तरह महिलाओं की भरती में ऊंचाई का मापदंड 158 सेंमी है, यानी प्रदेश में महिलाओं की औसत लंबाई से 6 सेंमी ज्‍यादा। ऐसे में आप खुद ही अंदाज लगा सकते हैं कि सामान्‍य और अनुसूचित जाति वर्ग के कितने पुरुष और सभी श्रेणी की कितनी महिलाएं शारीरिक मापदंड के इस दायरे में फिट हो पाती होंगी। और जाहिर है ऐसा न हो पाने पर वे रोजगार से भी वंचित रह जाती हैं।

जिस अध्‍ययन का यहां जिक्र किया गया है वह यह भी कहता है कि दूध का सेवन करने वाले पुरुष व महिलाओं की लंबाई अधिक बढ़ती है। लेकिन प्रदेश में खासतौर से महिलाओं की स्थिति देखें तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी बच्चियों को उनके पर्याप्‍त शारीरिक विकास व लंबाई बढ़ने लायक दूध मिल पाता होगा। जो प्रदेश कुपोषण के अभिशाप से ग्रस्‍त होने का दाग झेल रहा हो वहां तो स्थिति और भी दयनीय हो जाती है।

इसलिए मुख्‍यमंत्री की यह घोषणा महत्‍वपूर्ण और सराहनीय है कि पुलिस भरती में महिलाओं के कद संबंधी मानकों में छूट दी जाएगी। जैसाकि मैंने कहा कि अभी यह खुलासा नहीं हुआ है कि सरकार इसमें कितनी छूट देने जा रही है, लेकिन व्‍यावहारिक रूप से सर्वाधिक उपयुक्‍त तो यही होगा कि यह छूट प्रदेश में महिलाओं की औसत लंबाई को ध्‍यान में रखते हुए ही दी जाए ताकि सरकार ने जिस भावना से यह घोषणा की है उसका अधिक से अधिक लाभ महिलाओं को मिल सके।

 

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