नई दिल्ली/ अगर आप उच्‍च शिक्षा के छात्र हैं और आपने भी इस वर्ष की कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET-UG) 2025 की परीक्षा दी है तो यह खबर आपके लिए है। इस परीक्षा के नतीजे अभी घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितता की खबरों को लेकर छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों के बीच गहरी चिंता पैदा हो गई है। इस बार की परीक्षा में आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन में खामियां, अलग-अलग शिफ्ट में अभ्यर्थियों की असमान संख्या और बिना सूचना सिलेबस को दरकिनार कर देने जैसे गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। छात्रों का कहना है कि परीक्षा में न तो पहचान की पुष्टि को लेकर पूरी सतर्कता बरती गई और न ही घोषित पाठ्यक्रम का पालन किया गया। इससे न केवल परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि उच्‍च शिक्षण संस्‍थाओं में प्रवेश को लेकर छात्रों के भविष्य पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
आधार सत्यापन अधूरा, पहचान की पुष्टि अधर में
सरकार द्वारा गठित इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली समिति ने स्पष्ट तौर पर बहु-स्तरीय सत्यापन की सिफारिश की थी, जिसमें आधार से मिलान और बायोमेट्रिक सत्यापन जरूरी बताया गया था। लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने खुद स्वीकार किया कि सभी परीक्षार्थियों का बायोमेट्रिक सत्यापन प्रवेश द्वार पर नहीं हुआ। सिर्फ 96 प्रतिशत छात्रों का ऑनलाइन पंजीकरण के दौरान नाम, जन्मतिथि और लिंग से मिलान किया गया, जबकि फोटो का मिलान नहीं हुआ। यानी 4 प्रतिशत छात्रों की पहचान बिना किसी ठोस प्रमाण के मंजूर कर ली गई। इससे नकल और पहचान बदलकर परीक्षा देने जैसी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
शिफ्ट असमानता से नॉर्मलाइजेशन पर संकट
परीक्षा में एक ही विषय की अलग-अलग शिफ्ट में अभ्यर्थियों की संख्या में भारी असमानता देखी गई। उदाहरण के लिए, भौतिकी विषय में एक शिफ्ट में 5,000 से अधिक छात्र थे, जबकि दूसरी शिफ्ट में केवल 570। ऐसे में प्रतिशत आधारित 'नॉर्मलाइजेशन' प्रणाली संदेह के घेरे में है क्योंकि छोटी शिफ्ट में टॉपर बनना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है। विशेषज्ञों का सवाल है कि क्या 10,000 छात्रों में अव्वल आने वाले और 3,000 छात्रों में आने वाले टॉपर को बराबर माना जा सकता है?
सिलेबस में बदलाव, लेकिन बिना सूचना
पाठ्यक्रम को लेकर भी कई गड़बड़ियां सामने आईं। फिजिकल एजुकेशन में छात्रों को "विकल्प चुनने" का अधिकार होना था, लेकिन परीक्षा में यह बाध्यात्मक कर दिया गया। इसी तरह अर्थशास्त्र में कक्षा 11 के माइक्रो इकोनॉमिक्स के प्रश्न पूछे गए, जबकि परीक्षा कक्षा 12 के सिलेबस पर आधारित बताई गई थी। यह बदलाव मार्च 2025 में किया गया, जिससे छात्रों को तैयारी का पूरा समय नहीं मिल पाया। NTA का कहना है कि प्रश्न NCERT किताबों पर आधारित थे, लेकिन छात्रों के अनुसार विषयों का संतुलन (माइक्रो बनाम मैक्रो) असमान था, जिससे कुछ छात्रों को नुकसान हुआ।
परीक्षा केंद्रों की स्थिति भी संदिग्ध
राधाकृष्णन समिति ने सुझाव दिया था कि हर परीक्षा केंद्र की जांच जिला स्तर पर होनी चाहिए। NTA ने दावा किया कि JEE के सत्र 2 के केंद्रों का पुनः उपयोग किया गया और सभी की जिला अधिकारियों द्वारा पुष्टि की गई। लेकिन कुछ जिलों के उपायुक्‍तों/जिलाधीशों ने ऐसी किसी जांच की जानकारी से इनकार किया है। वहीं, NTA अपनी बात के समर्थन में कोई ठोस प्रमाण या रिपोर्ट नहीं दे सका है।
रद्द परीक्षा के छात्र आज भी अनिश्चितता में
कानपुर के एक केंद्र पर परीक्षा रद्द हो गई थी। छात्रों का आरोप है कि उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई, जबकि NTA का कहना है कि SMS, फोन और ईमेल से व्यक्तिगत रूप से जानकारी दी गई। लेकिन वेबसाइट पर कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई।
छात्र परेशान, व्यवस्था पर सवाल
CUET जैसी बड़ी और महत्वूपर्ण परीक्षा से लाखों छात्रों का करियर जुड़ा है। लेकिन इस साल की गड़बड़ियों ने न केवल व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ की आशंका भी गहरा दी है। छात्रों की चिंता जायज़ है!जब पहचान की पुष्टि अधूरी हो, पाठ्यक्रम तय नहीं हो, और अंकों का निर्धारण असमान आधार पर हो रहा हो, तो वे कैसे निष्पक्ष मुकाबले की उम्मीद करें? अब यह जरूरी हो गया है कि NTA पारदर्शिता बरते, दोष स्वीकारे और भविष्य के लिए ठोस सुधार सुनिश्चित करे। वरना लाखों युवाओं का विश्वास इस प्रणाली से उठ जाएगा।

CUET-UG 2025: आधार मिलान में गड़बड़ी, सिलेबस से भटकाव और शिफ्ट आधारित असमानता से छात्र चिंतित
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