निर्मल बाबा एक दिन बाबा दरबार में बैठे थे और भक्त अपनी दुखभरी कहानियाँ सुनाकर बाबा से सलाह मांग रहे थे ।
पप्पू-“बाबा की जय हो एक। बाबा मुझे कोई रास्ता दिखाओ, मेरी शादी तय नहीं हो रही, आपकी शरण में आया हूँ।”
निर्मल बाबा-“आप काम क्या करते हो?”
पप्पू-“शादी होने के लिए कौनसा काम करना उचित रहेगा? ”
बाबा-“तुम मिठाई की दुकान खोल लो।”
पप्पू-“बाबा, वो तो 30 सालों से खुली हुई है, मेरे पिताजी की मिठाई की ही दुकान है।”
बाबा-“शनिवार को सुबह 9 बजे दुकान खोला करो।”
पप्पू- “शनि मंदिर के बगल में ही मेरी दुकान है और मैं रोज 9 बजे ही खोलता हूँ।”
बाबा-“काले रंग के कुत्ते को मिठाई खिलाया करो।”
पप्पू-“मेरे घर दो काले कुत्ते ही है, टोनी और बंटी, सुबह शाम मिठाई खिलाता हूँ।”
बाबा-“सोमवार को शिवमंदिर जाया करो।”
पप्पू-“मैं केवल सोमवार ही नहीं, रोज शिवमंदिर जाता हूँ। दर्शन के बगैर मैं खाने को छूता तक नहीं।”
बाबा-“कितने भाई बहन हो?”
पप्पू-“बाबा आपके हिसाब से शादी तय होने के लिए कितने भाई बहन होने चाहिए? ”
बाबा-“दो भाई एक बहन होनी चाहिए।”
पप्पू-“बाबा, मेरे असल में दो भाई एक बहन ही है। प्रकाश, दीपक और मीना।”
बाबा-“दान किया करो।”
पप्पू-“बाबा मैंने अनाथ आश्रम खोल रखा है, रोज दान करता हूँ।”
बाबा-“एक बार बद्रीनाथ हो आओ।”
पप्पू-“बाबा आप के हिसाब से शादी होने के लिए कितने बार बद्रीनाथ जाना जरुरी है?”
बाबा-“जिंदगी में एक बार हो आओ।”
पप्पू-“मैं तीन बार जा चुका हूँ।”
बाबा-“नीले रंग की शर्ट पहना करो।”
पप्पू-“बाबा मेरे पास सिर्फ नीले रंग के ही कुर्ते है, कल सारे धोने के लिए दिए हैं, वापस मिलेंगे तो सिर्फ वही पहनूंगा!”
बाबा शांत होकर जप करने लगते हैं।
(इस कमीने को क्या बोलूं जो इसने नही किया हो)
पप्पू-“बाबा, एक बात कहूँ?”
बाबा- “हां जरूर, बोलो बेटा जो बोलना है।”
पप्पू-“बाबा मैं पहले से शादी शुदा हूँ और तीन बच्चों का बाप भी हूँ…
इधर से गुजर रहा था, सोचा थोड़े मजे लेता चलूँ।