भोपाल। देश के ख्यातनाम शिक्षाविदों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते समचित उपाय नहीं किए गए तो एक दिन सरकारी स्कूल खत्म हो जाएंगे। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा अधिकार कानून गलत दिशा में जा रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो सारी शिक्षा निजी स्कूलों के हवाले हो जाएगी।
शिक्षाविद् डॉ. अनिल सद्गोपाल ने कहा कि शिक्षा के बाजारीकरण को रोकने और समान स्कूल व्यवस्था लागू करने के इरादे से चेन्नाई में अखिल भारतीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज एके गांगुली, मद्रास हाईकोर्ट के सिटिंग जज, दिल्ली-मद्रास हाईकोर्ट के सेवा निवृत्त चीफ जस्टिस सहित क्यूबा, वेनेजुएला और जर्मनी के प्रतिनिधियों के अलावा देश भर में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शिक्षा से जुड़े विभिन्न विषयों पर विचार मंथन किया। शिक्षाविदों का मानना है कि देश में शिक्षा को लेकर सोची-समझी साजिश हो रही है। 86वें संविधान संशोधन में सरकार ने शून्य से 6 वर्ष के बच्चों के शिक्षा के अधिकार को समाप्त कर दिया गया। इससे 17 करोड़ बच्चों का अधिकार छिन गया। चेन्नाई सम्मेलन में मध्यप्रदेश के तीन चुनिंदा उदाहरणों को पेश किया गया जिसमें शिक्षा पर जोर दिया गया। इसमें भोपाल की बेगमों (1860-1920) द्वारा की गई शिक्षा की पहल, होशंगाबाद के विज्ञान शैक्षणिक कार्यक्रम(1972-2002) का प्रयोग और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को मशालें जला कर दिखाया गया।