उज्जैन, 02 जूनः बेटे-बेटियों के अन्तर को पाटने की दिशा में प्रदेश सरकार देश में अग्रणी राज्य बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मई-2007 में रायसेन जिले से प्रारम्भ हुई लाड़ली लक्ष्मी योजना ने प्रदेश में लाखों बेटियों को अपने शिशुकाल में ही लखपति होने का उपहार दिया है।
बेटियों के लिये सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी योजना के अलावा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, निःशुल्क सायकल व गणवेश वितरण योजना, बालिका शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णय, भ्रूण लिंग परीक्षण पर प्रतिबंध, गोद भराई, अन्नप्राशन, तेजस्विनी, जननी सुरक्षा, प्रसूति सहायता योजना, जेण्डर बजट लागू कर महिला सशक्तिकरण के नये आयाम लागू किये हैं। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना में उज्जैन संभाग में अभी तक एक लाख 44 हजार 994 बालिकाओं को लाभ दिया गया है।
उज्जैन संभाग में योजना के प्रारम्भ से वर्ष 2011-12 तक सर्वाधिक उज्जैन जिले में 34 हजार 18 बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना में लाभ मिला है। रतलाम जिले में 27 हजार 477, शाजापुर जिले में 24 हजार 571, मंदसौर जिले में 21 हजार 566, देवास जिले में 25 हजार 34 तथा नीमच जिले में 12 हजार 328 बेटियों को योजना में लखपति बनाया जायेगा।
बालक-बालिका के कम हो रहे अनुपात को बराबरी में लाने के लिये सरकार हरदम प्रयास कर रही है और समाज को जागरूक करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। वर्तमान में बेटियों ने भी अपने अस्तित्व को नई पहचान दी है।
प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान की सदैव इच्छा रही है कि मध्य प्रदेश में बेटियाँ खूब पढ़ें और आगे बढ़ें। इसलिये उन्होंने प्रदेश में एक वातावरण निर्मित कर महिला सशक्तिकरण को एक नई दिशा दी है। लिंगानुपात को बेहतर करने की दिशा में लाड़ली लक्ष्मी जैसी अनेक योजनाएं संचालित कर बेटियों के पक्ष में सबसे पहले चिन्ता की और लिंगानुपात सुधारने के लिये सरकार ने कारगर उपाय किये। मुख्यमंत्री ने बेटियों की महत्ता को सर्वोपरी मानते हुए न सिर्फ उनके कल्याण के लिये मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि उनके अस्तित्व की रक्षा के भी उपाय किये। बेटियों के प्रति संवेदनशील मुख्यमंत्री की प्रेरणा से घटते लिंगानुपात की बराबरी पर लाने की दिशा में प्रदेश मील का पत्थर बनने जा रहा है।
- योजना में ऐसी बालिकाएं जिनके माता-पिता मध्य प्रदेश के मूल निवासी हों व आयकरदाता न हों
- द्वितीय बालिका के प्रकरण में आवेदन करने से पूर्व माता या पिता ने परिवार नियोजन अपना लिया हो
- प्रथम प्रसव की प्रथम बालिका जिनका जन्म एक अप्रैल 2008 को या उसके पश्चात् हुआ हो योजना का लाभ परिवार नियोजन की शर्त के बगैर दिया जायेगा।
- जिस परिवार में अधिकतम दो सन्तान हो, माता-पिता की मृत्यु हो गई हो, उस परिवार के लिये परिवार नियोजन की शर्त अनिवार्य नहीं होगी, परन्तु माता अथवा पिता का मृत्यु प्रमाण-पत्र आवश्यक होगा।
- जिस परिवार में प्रथम बालक अथवा दूसरे प्रसव पर दो जुड़वां बच्चियाँ जन्म लेती हैं तो दोनों जुड़वां बच्चियों को योजना में लाभ दिया जायेगा।
- यदि परिवार में अनाथ बालिका को गोद लिया हो तो उसे प्रथम बालिका मानते हुए योजना का लाभ दिया जायेगा।
- प्रथम प्रसूति के समय एकसाथ तीन लड़कियाँ होने पर तीनों बच्चियों को लाड़ली लक्ष्मी योजना में लाभ दिया जायेगा।
- ऐसे अभिभावक जो बालिका के जन्म के एक वर्ष के अन्दर आवेदन-पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाये हैं, उन्हें यह सुविधा होगी कि आगामी एक वर्ष की अवधि अर्थात् बालिका के जन्म के दो वर्ष के अन्दर अपील सम्बन्धी जिले के कलेक्टर को कर सकेंगे।
- सम्बन्धित जिला कलेक्टर गुण-दोष के आधार पर परीक्षण कर अपील मान्य करते हुए पंजीयन एक वर्ष की अवधि में आवेदन देने अथवा देरी के कारणों से संतुष्ट न होने पर अपील अमान्य कर सकेंगे।
- निर्धारित पात्रता शर्तों को पूर्ण न करने या बालिका हितग्राही की असामयिक मृत्यु की दशा में बालिका को देय समस्त लाभ शासन को समर्पित समझे जायेंगे।
- योजना के लिये बालिका की संरक्षक माँ होगी। माँ के निधन की दशा में पिता एवं पिता के निधन की दशा में विधिक संरक्षक योजना के लिये संरक्षक होगा।
- अनाथ बालिका की दशा में सम्बन्धित अनाथालय बाल संरक्षण गृह का अधीक्षक इस योजना के लिये संरक्षक होगा।
उल्लेखनीय है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना में प्रकरण स्वीकृत उपरान्त हितग्राही के नाम लगातार पाँच वर्षों तक छह हजार रूपये के राष्ट्रीय बचत-पत्र क्रय किये जायेंगे। तदुपरान्त बालिका के कक्षा 6टी में प्रवेश लेने पर चार हजार रूपये तथा 11वी कक्षा में प्रवेश लेने पर सात हजार 500 रूपये की राशि एकमुश्त भुगतान की जायेगी। कक्षा 11वी में प्रवेश लेने के बाद दो वर्ष तक 200 रूपये प्रतिमाह का भुगतान बालिका को किया जायेगा। बालिका की आयु 21 वर्ष की पूर्ण होने पर तथा 12वी परीक्षा में सम्मिलित होने पर शेष एकमुश्त राशि का भुगतान किया जायेगा, किन्तु शर्त यह होगी कि बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु के पश्चात् हुआ हो। ऐसी भुगतान की गई कुल राशि के जन्म के एक वर्ष के अन्दर पंजीकृत होने वाली बालिकाओं के लिये एक लाख रूपये से अधिक का भुगतान किया जायेगा।