भोपाल, अप्रैल्‍ 2013/ मनरेगा में इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम e-FMS का क्रियान्वयन किया जा रहा है। बैंकों द्वारा अपने-अपने कोर बैंकिंग साफ्टवेयर को मनरेगा साफ्टवेयर के साथ जोड़ने के कदम उठाए जा रहे हैं। अभी तक इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया एवं सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। अन्य बैंक भी इस दिशा में कार्यरत है।

ई-एफ.एम.एस. का मुख्य उद्देश्य योजना में विभिन्न क्रियान्वयन एजेंसी, ग्राम-जनपद और जिला पंचायत में राशि की अवरूद्धता को समाप्त करना है। इससे जिला-स्तर पर योजना में राशि का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। इससे बैंकिंग सिस्टम में होने वाले विलंब को समाप्त कर मजदूरी, सामग्री एवं प्रशासनिक व्यय को इलेक्ट्रानिक माध्यम से सीधे हितग्राहियों के खातों में पहुँचेगा। ई-एफ.एम.एस. के माध्यम से जिले के नोड्ल खाते से राशि मजदूरों के खातों में सभी ग्राम पंचायत तथा मनरेगा से संबंधित विभाग इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रांसफर कोर बैंकिंग सिस्टम में संधारित खातों में हस्तांतरित कर सकेंगे। ग्राम पंचायत तथा लाईन विभाग के पास अलग से खाता संधारित करने की आवश्यकता नहीं है। इस व्यवस्था से अभिलेख में होने वाली त्रुटियों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। साथ ही ऑडिट करवाने में भी सुविधा होगी। विभिन्न स्तर पर अवरूद्ध होने के कारण योजना की राशि के अनुपयोगी रहने की समस्या और राशि व्यय न करने वाली एजेंसियों से राशि वापिस लेने की प्रक्रिया समाप्त होगी। इसी के साथ एजेंसियों के खातों में न्यूनतम ”रिवाल्विंग फण्ड” में एजेंसियों को राशि की मांग से ”टॉप अप” करने की प्रक्रिया से भी मुक्ति मिलेगी।

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