भोपाल, दिसंबर 2012/ तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा है कि इंजीनियरिंग शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए निजी शिक्षण संस्थाओं को प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है। श्री शर्मा आज यहाँ जे.एन.सी.टी. कालेज में आयोजित इंडियन सोसायटी फॉर टेक्नीकल एजूकेशन (आई.एस.टी.ई.) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर ‘तकनीकी शिक्षा की चुनौतियाँ और अवसर’ विषय पर कार्यशाला भी आयोजित की गई।
मंत्री ने कहा कि देश में तकनीकी शिक्षा का विस्तार तेजी से हो रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान की जरुरत है। निजी संस्थान गुणवत्ता के लिए प्रयास करेंगे तो निश्चित सफलता मिलेगी। उन्होंने 31 जनवरी को भोपाल में प्रस्तावित कौशल विकास समिट की जानकारी देते हुए कहा कि निजी इंजीनियरिंग कॉलेज इसमें अवश्य भागीदारी करें। इंजीनियरिंग की शिक्षा हिन्दी माध्यम से देने के लिए सरकार द्वारा स्थापित हिन्दी विश्वविद्यालय पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। वार्षिक सम्मेलन में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों के संचालक, प्राचार्य और शिक्षकों ने भाग लिया
चलेंगे कौशल विकास कार्यक्रम
इस बीच उच्च शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों के स्किल डेव्लपमेंट के लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय और शासकीय स्वशासी महाविद्यालय में कौशल विकास कार्यक्रम चलाने के निर्देश दिए हैं। कौशल विकास कार्यक्रमों के संचालन में 20 हाई ग्रोथ सेक्टर्स एवं प्रदेश के महत्वपूर्ण सेक्टर जैसे एग्रो बिजनेस एवं फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, ऑटोमोटिव एवं ऑटो कम्पोनेन्ट, हेल्थ केयर, आई टी एवं आई.टी.एस. माइन्स एवं मिनरल्स ऊर्जा स्टील एवं सीमेंट इण्डस्ट्रीज आदि के उपयोग के लिए कहा गया है। कार्यक्रम पूर्णतः रोजगारमूलक होना चाहिए।