भोपाल, दिसंबर 2012/ राज्य शासन द्वारा महिलाओं-बालिकाओं के विरुद्ध अपराध संबंधी प्रकरणों में लिप्त व्यक्तियों के शस्त्र लायसेंस की अभियान चलाकर समीक्षा करने तथा प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने पर शस्त्र लायसेंस निरस्त करने के निर्देश दिये गये हैं। शासन द्वारा महिलाओं-बालिकाओं के विरुद्ध हो रही आपराधिक घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिये जरूरी कार्यवाही करने के निर्देश सभी जिला दण्डाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को दिये गये हैं।
शासन द्वारा अपराधों की रोकथाम के लिये एनजीओ और शिक्षण संस्थाओं के सहयोग से चरणबद्ध तरीके से जन-जागृति अभियान चलाने को कहा गया है। जारी किये गये निर्देशों में महिला हेल्प लाइन और कॉल-सेंटर के टोल-फ्री नम्बरों का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये गये हैं। वाहनों के शीशों पर लगी काली फिल्मों को अतिशीघ्र हटवाया जाये। सार्वजनिक स्थलों में पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने और जिला मॉनीटरिंग कमेटी में महिला संबंधी अपराधों में त्वरित न्याय दिलाने के संबंध में चर्चा कर जरूरी उपाय करने के निर्देश भी दिये गये हैं। शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास सुरक्षा के समुचित उपाय करने को भी कहा गया है।
लापरवाही पर पुलिस अधीक्षक भी होंगे जिम्मेदार
दुष्कृत्य के प्रकरणों में किसी भी लापरवाही या न्यायालय द्वारा विपरीत टिप्पणी पर संबंधित थाना प्रभारी के साथ ही पुलिस अधीक्षक भी जिम्मेदार होंगे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महिला अपराध श्रीमती एम. अरुणा मोहन राव ने संबंधित अधिकारियों को महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों में अधिक संवेदनशीलता एवं सक्रियता से कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
श्रीमती राव ने सभी लंबित दुष्कृत्य के प्रकरणों का 31 दिसम्बर तक विधिवत निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। इन प्रकरणों में 15 दिन में चालान न्यायालय में प्रस्तुत किए जाएँ। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण तुरंत करवाकर 24 घंटे में रिपोर्ट ली जाय। समय-सीमा में रिपोर्ट नहीं देने पर डाक्टर को नोटिस दिया जाय। दुष्कृत्य के प्रकरणों में भौतिक साक्ष्य का परीक्षण एफ.एस.एल द्वारा अतिशीघ्र कर एक सप्ताह में अनिवार्यतः रिपोर्ट दी जाय।
गंभीर अपराधों में पीड़िता को आवश्यकतानुसार मनोवैज्ञानिक तथा विधि परामर्श दिलवाया जाय। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी प्रकरण में विवेचना के बाद खात्मा लगाए जाने की स्थिति पर थाना प्रभारी से लेकर पुलिस महानिरीक्षक स्तर तक इन प्रकरणों की समीक्षा की जाय। समीक्षा के बाद सभी अधिकारियों के एकमत होने पर ही प्रकरण में खात्मा लगाया जाय।