भोपाल, दिसंबर 2012/ मध्यप्रदेश सरकार अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति और मजबूत इरादों के साथ वर्ष 2012 में भी महिलाओं और बच्चों के कल्याण में जुटी रही। राज्य सरकार द्वारा आँगनवाड़ियों की गतिविधियों, पोषण-आहार व्यवस्था और कुपोषण की स्थिति पर सतत निगाह रखी गई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई विभागीय समीक्षा से गतिविधियों में तेजी आई। मैदानी स्तर पर योजनाओं पर त्वरित अमल हुआ। महिला-बाल विकास मंत्री रंजना बघेल द्वारा त्रैमासिक राज्य-स्तरीय बैठकों में अधिकारियों से योजनाओं पर खर्च हो रही राशि के संबंध में रू-ब-रू चर्चा की गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान की मंशा के अनुरूप महिला-बाल विकास संचालनालय को दो भाग में विभक्त कर एक को ‘महिला सशक्तिकरण’ तो दूसरे को ‘एकीकृत बाल विकास सेवा’ का नाम दिया गया।
प्रदेश में सफलतापूर्वक क्रियान्वित की जा रही लाड़ली लक्ष्मी योजना ने वर्ष 2012 में अपने पाँच साल पूर्ण कर छठवें वर्ष में प्रवेश किया। इस साल लगभग तीन लाख बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिला। अप्रैल, 2007 से शुरू हुई इस योजना में लाभान्वित बालिकाओं की संख्या दिसम्बर अंत तक 14 लाख के आँकड़ें को पार कर जायेगी। इस साल बाल विवाहों की संख्या भी तेजी से घटी। राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप अक्षय तृतीया पर होने वाले बाल विवाह को सख्तीपूर्वक रोका गया।
राज्य सरकार ने चालू माली साल के बजट में 477 करोड़ की उल्लेखनीय वृद्धि कर इसे 2472.27 करोड़ से 2949.30 करोड़ रुपये तक पहुँचाया। अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन के लिये 50 करोड़ की बड़ी राशि रखी गई। लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिये गत वर्ष जहाँ 575 करोड़ 12 लाख रुपये का प्रावधान था, वहीं चालू माली साल में योजना के लिये 650 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया। वर्ष 2011 से शुरू हुए बेटी बचाओ अभियान को वर्ष 2012 में भी जारी रखा गया। इस वर्ष भी पाँच से ग्यारह अक्टूबर तक बेटी बचाओ अभियान का आयोजन हुआ।
प्रदेश में संचालित 78 हजार 929 आँगनवाड़ी केन्द्रों से पोषण-आहार प्राप्त करने वाले हितग्राहियों की संख्या में वर्ष 2012 में निरंतर वृद्धि परिलक्षित हुई है। गत वर्ष जहाँ इस सुविधा का लाभ 96 लाख 29 हजार हितग्राही उठा रहे थे, वहीं इस वर्ष 2012 में एक करोड़ से अधिक हितग्राहियों को लाभ मिला। शासन ने इस साल 3,140 नये आँगनवाड़ी केन्द्र के प्रस्ताव भी केन्द्र शासन को भेजे। आँगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यरत आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएँ एक मई से निर्धारित यूनिफार्म में दिखने लगी हैं।