राकेश दुबे
हर आतंकवादी संगठन की रीढ़ उसे मिलने वाली आर्थिक सहायता होती है। इन दिनों  संगठन “हमास” चर्चा में है। “हमास” जब से आतंकवादी संगठन घोषित हुआ, सबसे पहले उसकी आर्थिक नाकेबंदी की गई। अमेरिका और यूरोपीय संघ के बैंकों में उसके अकाउंट फ्रीज़ किये गये। पश्चिम में कुछ इस्लामिक चैरिटी ने हमास समर्थित सामाजिक सेवा समूहों को पैसा दिया था, जिसे अमेरिकी शासन ने जब्त करवा दिया। हमास को कुछ दशकों से फ़लस्तीनी प्रवासियों और खाड़ी के देशों में बसे निजी दानदाताओं से धन मुहैया कराया जा रहा है।
पूर्वी एशिया में मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे समृद्ध इस्लामिक देश हमास के लिए फंड इकट्ठे कर रहे हैं। हाल के दिनों में भारत के कुछ संगठनों ने हमास के लिए धन जुटाना शुरू किया है। यूं 7 अक्तूबर 2023 को हमास हमले से पहले भी गाज़ा की आर्थिक हालत ख़स्ता ही थी। मिस्र और इस्राइल ने 2006-07 में गाजा के साथ अपनी सीमाओं को बड़े पैमाने पर बंद कर दिया, जिससे क्षेत्र के अंदर और बाहर माल और लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित हो गई। दोनों देशों ने अपनी नाकाबंदी बरकरार रखी है, इस क्षेत्र को दुनिया के अधिकांश हिस्सों से काट दिया है और दस लाख से अधिक गज़ान फलस्तीनियों को अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर निर्भर रहने के लिए मजबूर कर दिया गया है।
इजराइल ने क़तर को करोड़ों डॉलर की सहायता हमास को प्रदान करने की अनुमति दे रखी है। अन्य विदेशी सहायता आम तौर पर पीए और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से गाज़ा तक पहुंचती है। नाकेबंदी के बाद के कई वर्षों तक, हमास ने सुरंगों के एक परिष्कृत नेटवर्क के माध्यम से माल ले जाने पर कर लगाकर राजस्व एकत्र किया था। लगभग 500 ट्रक रोज़ाना गाज़ा आते थे। इससे क्षेत्र में भोजन, दवा और बिजली उत्पादन के लिए सस्ती गैस के साथ-साथ निर्माण सामग्री, नकदी और हथियार जैसी बुनियादी चीजें आती गईं।

साल 2013 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के सत्ता संभालने के बाद, काहिरा की हमास के प्रति कटुता बढ़ती गई। फतह अल-सिसी ने हमास को अपने मुख्य घरेलू प्रतिद्वंद्वी, मुस्लिम ब्रदरहुड के विस्तार के रूप में देखा। मिस्र की सेना ने अपने क्षेत्र में से गुज़रने वाली अधिकांश सुरंगों को बंद कर दिया। कुछ वर्ष पहले मिस्र ने सिनाई प्रायद्वीप में आइसिस के खिलाफ अभियान चलाया था। साल 2018 में मिस्र थोड़ा नरम हुआ और सीमा पार से कुछ वाणिज्यिक सामानों को गाजा में प्रवेश करने की अनुमति देना शुरू कर दिया। साल 2021 तक, हमास ने मिस्र के रास्ते सामानों पर करों से प्रति माह 12 मिलियन डॉलर से अधिक की वसूली की।
आज की तारीख़ में ईरान हमास के सबसे बड़े दानदाताओं में से एक है, जो धन, हथियार और प्रशिक्षण देने वाले मामलों में योगदान दे रहा है। एक आकलन के अनुसार, ईरान वर्तमान में हमास, पीआईजे समेत अन्य फ़लस्तीनी समूहों को सालाना लगभग 100 मिलियन डॉलर तक का सहयोग दे रहा है। क़तर, ईरान के बाद तुर्किये तीसरा देश है, जो हमास को खुलकर मदद देता रहा। वर्श 2002 में राष्ट्रपति रेज़ेप तैयप एर्दोआन के सत्ता में आने के बाद तुर्की हमास का एक और कट्टर समर्थक और इस्राइल का आलोचक रहा है। हालांकि अंकारा का कहना है कि वह केवल राजनीतिक रूप से हमास का समर्थन करता है।

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