भोपाल। राष्ट्र का अहित चाहने वाले हमारे समाज की व्यवस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं। कुटुंब व्यवस्था और भारतीय मूल्यों पर लगातार हो रहे हमलों से बचने के लिए मिलकर काम करना होगा। यह विचार सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मुक्तिबोध ने शुक्रवार को भोपाल में आयोजित समाजसेवी दादा उत्तमचंद इसराणी जन्मशती समारोह में व्यक्त किये।
मुख्‍य वक्‍ता के रूप में श्री मुक्तिबोध ने कहा कि दादा इसराणी जी ने सिन्धी पहचान को सहेजते हुए हिंदुत्व के लिए काम किया, क्योंकि हम सबकी बड़ी पहचान हिन्दू है। वे समाज के हर सुख-दुख में सहभागी होकर हिन्दू गौरव के लिए कार्य करते रहे। सिन्धी समाज को अपनी नयी पीढ़ी को विभाजन की त्रासदी और सिन्धी समुदाय के संघर्ष को बताना चाहिए।
श्री हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अपेक्षाविहीन कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही है। संघ अपने 100 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है लेकिन फिर भी ये रस सूखा नहीं है। संघ को समर्पित नामी वकील इसराणी जी का जीवन करुणा और संवेदनशीलता से भरा हुआ था। वे उपकरणों के अभाव में कार्य करने वाले कार्यकर्ता थे। उनके जीवन से सीख लेकर हम बिना किसी अपेक्षा और स्वार्थ के राष्ट्र के हित में कार्य करें।
‘लोकहित मम करणीयम’ को आत्मसात किया- मोघे
वरिष्ठ प्रचारक अरविंद मोघे ने स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि इसराणी जी ‘लोकहित मम करणीयम’ गीत को जीवन में आत्मसात करने वाले व्यक्ति थे। प्रतिदिन शाखा जाते थे और शाखा न आने वाले स्वयंसेवकों के घर उनके हालचाल जानने जाया करते थे।
स्थितप्रज्ञ व्यक्ति थे इसराणी जी : आहूजा
इस अवसर पर अर्चना प्रकाशन न्यास के अध्यक्ष लाजपत आहूजा द्वारा संपादित पुस्तक ‘दादा उत्तमचंद इसराणी: एक राष्ट्रभक्त समाजसेवी’ का विमोचन हुआ। श्री आहूजा ने कहा कि इसराणी जी स्थितप्रज्ञ व्यक्ति थे। मातृभाषाओं को प्राथमिकता देने का कार्य उन्‍होंने किया। संत हिरदाराम जी उत्तमचंद जी के बारे में कहते थे कि उनके लिए मेरे घर के द्वार हमेशा खुले हैं।
दादा के विचारों को आत्मसात करें : चौहान
कार्यक्रम के अध्यक्ष मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विष्णु प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि समर्पित भाव से सभी की सेवा करने के कारण इसराणी जी का सभी लोग आदर करते थे। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने कहा कि दादा निर्विवादित रूप से अभिवाजित भारत से उभरे नायक थे। भोपाल में उन्हें सभी वर्गों से सम्मान मिला। विधि के क्षेत्र में उनकी काफी प्रतिष्ठा थी। वे कहते थे कि मतभिन्नता हो सकती है लेकिन मनभिन्नता नहीं होनी चाहिए। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक अशोक पाण्डेय के साथ नगर के प्रबुद्ध लोग एवं दादा इसराणी की पत्नी व उनका परिवार उपस्थित रहा।

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