रवि भोई

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2023 का विधानसभा चुनाव हर हाल में जीतना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने करीब एक साल से बिसात बिछानी शुरू कर दी है, साथ ही भेंट-मुलाक़ात कार्यक्रम के जरिए लोगों से रूबरू हो रहे हैं। अब उन्होंने अपने काफिले में 0023 नंबर वाली गाड़ियां भी शामिल की हैं। भूपेश बघेल का जन्मदिन 23 अगस्त 1961 है। चुनावी साल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काफिले में सीजी 02 -बी बी 0023 टोयटा की काले रंग की फार्च्यूनर नजर आएंगी। चुनावी साल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने 0004 नंबर की ब्लैक पजेरो गाड़ियों को अपने काफिले में शामिल किया था। डॉ. रमनसिंह तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके थे। चौथी बार सत्ता में वापसी करनी थी, लेकिन नई गाड़ियां शुभ नहीं हुईं। भाजपा 15 सीटों से ऊपर नहीं जा सकी। चुनावी साल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गाड़ियां बदली हैं। ये गाड़ियां कितनी शुभ होती हैं, यह दिसंबर 2023 में ही पता चलेगा। संभावना है कि राज्य में नवंबर 2023 में मतदान और दिसंबर 2023 में नतीजे आएंगे।

निरंजन दास ही बने रहेंगे एक्साइज कमिश्नर?

भूपेश बघेल की सरकार ने 31 जनवरी को रिटायरमेंट के बाद 2003 बैच के प्रमोटी आईएएस निरंजन दास को संविदा नियुक्ति दे दी है। फिलहाल उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का सचिव बनाया गया है। यह नान कैडर पोस्ट है। रिटायरमेंट के पहले तक निरंजन दास के पास एक्साइज कमिश्नर और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक का प्रभार था। इन दोनों पदों पर सरकार ने अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं की है, इस कारण माना जा रहा है कि ये दोनों पद निरंजन दास के पास ही रहेंगे। चुनावी साल में सरकार अपने विश्वस्त और टेस्टेड अफसर को ही एक्साइज कमिश्नर बना कर रखेगी। वैसे एक्साइज कमिश्नर बनने के लिए कई आईएएस जोड़तोड़ में लगे थे। राज्य में अब संविदा वाले तीन आईएएस हो गए हैं। डॉ. आलोक शुक्ला स्कूल और तकनीकी शिक्षा के प्रमुख सचिव और डीडी सिंह मुख्यमंत्री के सचिव के साथ सामान्य प्रशासन विभाग और आदिमजाति कल्याण के सचिव हैं।

विवेक ढांड को नया पद

भूपेश बघेल सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव और रेरा के पूर्व चेयरमैन विवेक ढांड को ‘छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग‘ का अध्यक्ष नियुक्त किया है। विवेक ढांड छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किए जाने वाले प्रशासनिक नवाचारों तथा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार को सुझाव देंगे। ढांड काफी अनुभवी और वरिष्ठ हैं, उनके अनुभव से सरकार का प्रशासनिक सिस्टम सुधर जाए, यह तो बहुत अच्छी बात है। कहा जा रहा है कि आजकल प्रशासनिक सिस्टम व्हाट्सप से चल रहा है। एक जमाना था जब कलेक्टर से लेकर जिले का हर छोटा अफसर फील्ड में दौड़ता था, तब जिले का आकार भी बड़ा था। तब का एक जिला अब 4 से 6 जिले बन गए हैं। अजीत जोगी और डॉ. रमन सिंह के राज में भी प्रशासनिक सुधार आयोग बना था। अजीत जोगी ने पूर्व मुख्य सचिव अरुण कुमार को और डॉ. रमन सिंह ने सुयोग्य कुमार मिश्रा को आयोग का अध्यक्ष बनाया था। कहते हैं आयोग की न तो कोई रिपोर्ट आई और न ही कुछ सुधार दिखा। अब देखते हैं ढांड साहब कैसे प्रशासनिक सुधार करते हैं?

प्रदेश भाजपा में उपाध्यक्ष के जलवे

वैसे तो संगठन में उपाध्यक्ष के पद को शोभा की वस्‍तु माना जाता है, लेकिन कहते हैं प्रदेश भाजपा में एक उपाध्यक्ष की तूती बोल रही है। संगठन महामंत्री पवन साय एक बार अध्यक्ष की बात नहीं मानते, पर उपाध्यक्ष की बात को नजरअंदाज नहीं कर पाते। उपाध्यक्ष जो चाहते हैं, जैसा कहते हैं संगठन मंत्री से काम करवा लेते हैं। इसको लेकर पार्टी में असंतोष भी उभरने लगा है। उपाध्यक्ष महोदय पहले प्रदेश भाजपा के महामंत्री थे। विरोध के कारण उन्हें हटाकर उपाध्यक्ष बना दिया गया, लेकिन पद बदला पर पावर यथावत बना रहा। उपाध्यक्ष की सलाह पर जिलों की नियुक्ति को लेकर स्थानीय नेता बगावती तेवर दिखाने लगे हैं। उपाध्यक्ष महोदय को राज्यसभा में मनोनीत करने के लिए भाजपा के कुछ नेताओं ने सिफारिश भी की थी। यह अलग बात है कि सिफारिश पर अमल नहीं हुआ।

उद्योग विभाग के अफसर को तलाशते उद्योगपति

सुना है उद्योगपति उद्योग विभाग के एक अफसर को मोमबत्ती लेकर तलाश रहे हैं। अधिकारी की मूल पदस्थापना तो उद्योग विभाग में हैं, पर सरकार ने उन्हें दोहरा चार्ज दे रखा है। दोहरे चार्ज वाले आफिस में अफसर ज्यादा बैठते हैं, क्योंकि वहां मालमत्ता कुछ ज्यादा है। उद्योग विभाग में अधिकारी महोदय कब आते हैं कब चले जाते हैं, हवा ही नहीं लगती। उद्योगपति अफसर को उद्योग विभाग में तलाश करते रह जाते हैं। अफसर के उद्योग विभाग में लगातार नहीं बैठने और उद्योगपतियों से न मिलने के कारण जमीन आवंटन और दूसरे मामले लगातार पेंडिग हो रहे हैं। उद्योग विभाग में ही उद्योगपतियों को भटकना पड़े तो फिर राज्य में औद्योगिक विकास कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

अंबिका सिंहदेव सुर्खियों में

पति के आरोपों के कारण बैकुंठपुर की कांग्रेस विधायक और संसदीय सचिव श्रीमती अंबिका सिंहदेव सुर्ख़ियों में हैं। कोरिया कुमार के नाम से प्रसिद्ध और छत्तीसगढ़ के प्रथम वित्तमंत्री रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी अंबिका सिंहदेव ने पहली बार राजनीति में कदम रखा और विधायकी मिल गई। कहते हैं अंबिका को टी.एस. सिंहदेव के चलते टिकट मिली। कोलकाता निवासी पति ने उन्हें पहले राजनीति त्यागने की सलाह दी, फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। इसके चलते राज्य की राजनीति और विधानसभा में नई बहस शुरू हो गई है और पारिवारिक मसला राजनीतिक रंग लेने लगा है। समय बताएगा कि अंबिका सिंहदेव राजनीति को प्राथमिकता देती हैं या परिवार को।

एक आईएएस के चुनाव लड़ने की चर्चा

राज्य के एक आईएएस के चुनाव लड़ने की चर्चा बाजार में गर्म है। वे कुछ महीने बाद रिटायर होने वाले हैं। 2023 के चुनाव में आदिवासी इलाके की किसी सीट से भाग्य आजमाना चाहते हैं। कांकेर के विधायक शिशुपाल सोरी ने प्रशासनिक सेवा से रिटायरमेंट के बाद राजनीति में भाग्य आजमाया और सफल हो गए। विधायक किस्मतलाल नन्द पुलिस की सेवा के बाद राजनीति में आए। रिटायरमेंट के बाद अधिकारियों-कर्मचारियों का राजनीति की राह पकड़ना कोई नई बात नहीं है। इसी कडी में रिटायरमेंट से पहले आईएएस अफसर साहब भी अपनी जमीन तैयार करने में लग गए हैं।
(लेखक छत्‍तीसगढ़ के वरिष्‍ठ पत्रकार हैं।)
(मध्यमत)
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