ऐसा चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है …
चार मिले चौंसठ खिले
बीस रहे कर जोड़!
प्रेमी सज्जन दो मिले
खिल गए सात करोड़!!
मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा…
काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया, तो मैंने कहा-
“बाबा आप ही बताइए, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा !”
तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे-
“देखो बेटे, यह बड़े रहस्य की बात है…
चार मिले- मतलब जब भी कोई मिलता है, तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं,
इसलिए कहा, चार मिले..
फिर कहा, चौसठ खिले-
यानि दोनों के बत्तीस-बत्तीस दांत- कुल मिलाकर चौंसठ हो गए,
इस तरह “चार मिले, चौंसठ खिले” हुआ!
“बीस रहे कर जोड़”- दोनों हाथों की दस उंगलियां तो दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं
बीसों मिलकर एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!”
“प्रेमी सज्जन दो मिले”- जब दो आत्मीय जन मिलें-
यह बड़े रहस्य की बात है, क्योंकि मिलने वालों में आत्मीयता नहीं हुई तो
“न बीस रहे कर जोड़” होगा और न “चौंसठ खिलेंगे”
उन्होंने आगे कहा-
“वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है,
लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ बताते हैं, बताने वाले!
तो कवि के अंतिम रहस्य- “प्रेमी सज्जन दो मिले, खिल गए सात करोड़!”
का अर्थ हुआ कि जब कोई आत्मीय हमसे मिलता है,
तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई
यानी कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया-
“खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!”
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भई वाह, आनंद आ गया।
हमारी कहावतों में कितना सार छुपा है।
एक-एक शब्द चासनी में डूबा हुआ,
हृदय को भावविभोर करता हुआ!
इन्हीं कहावतों के जरिए हमारे बुजुर्ग, जिनको हम कम पढ़ा-लिखा समझते थे, हमारे अंदर गाहे-बगाहे संस्कार का बीज बोते रहते थे।
(सोशल मीडिया से साभार)