जीवन के बजाय मृत्‍यु का हुनर क्‍यों सीख रहे हैं युवा?

गिरीश उपाध्‍याय

दक्षिण कोरिया की चर्चित अभिनेत्री यू जो यून ने 29 अगस्‍त को आत्‍महत्‍या कर लीं। वे सिर्फ 27 साल की थीं। जो यून ने आत्‍महत्‍या से पहले जो पत्र लिखा है वह पूरी दुनिया के युवाओं की मानसिकता को समझने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

यू जो यून ने अपनी मां, पिता, भाई और दादी को संबोधित इस पत्र में लिखा कि “मुझे इस तरह (आप सभी से पहले) चले जाने का दुख है। लेकिन मेरा दिल चीख चीख कर कह रहा है कि मैं जीना नहीं चाहती। मेरे बिना आप लोगों को अपना जीवन खाली महसूस हो सकता है, लेकिन मैं चाहूंगी कि आप इसे बहादुरी से जिएं। आप लोग रोइयेगा मत, क्‍योंकि मेरी निगाह हर समय आप पर बनी रहेगी। आप मेरे इस कदम से आहत होंगे लेकिन मैं बिल्कुल भी उदास नहीं हूं (बल्कि) दृढ़ और शांत महसूस करती हूं। और ऐसा इसलिए है, क्योंकि मैंने इस बारे में लंबे समय तक सोचा है। मैंने ऐसा सुखी जीवन जिया है, जिसकी मैं हकदार थी। मेरे लिए इतना ही काफी है।‘’

यहां सवाल उठता है कि एक अच्‍छे और शायद पसंदीदा कॅरियर को पा लेने और उसमें काफी हद तक सफल हो जाने के बाद भी ऐसा क्‍या है जो हमारे युवाओं को बेचैन कर रहा है। यह बेचैनी भी इस हद तक है कि वे इसका समाधान अपने जीवन की समाप्ति में ही देख रहे हैं। जो यून के पास क्‍या नहीं था, सफलता, शोहरत सभी कुछ था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी कुल अनुमानित नेटवर्थ एक से पांच मिलनियन डॉलर के बीच थी।

कुछ समय पहले मुझे किसी ने इसी मिलेनियम में लिखी गई हिन्‍दी की एक कहानी का जिक्र किया था। हालांकि वह कहानी मैंने पढ़ी तो नहीं है लेकिन मुझे बताया गया था उसमें प्रमुख रूप से दो युवा पात्र हैं। कुछ समय पहले तक वे रिलेशनशिप में होते हैं और उसके टूट जाने के बाद एक दिन दोनों के बीच संवाद होता है। इस बातचीत में लड़की कहती है- सोच रही हूं, सुसाइड कर लूं… और इसके जवाब में लड़का कोई आश्‍चर्य, दुख, तनाव अथवा चिंता का भाव प्रकट किए बिना बहुत सपाट तरीके से पूछता है- अच्‍छा! तो तुमने इसके लिए कोई प्‍लान बनाया है? लड़की की प्रश्‍नवाचनक निगाहों के जवाब में वह अपनी बात को विस्‍तार देते हुए कहता है- मेरा मतलब है… सुसाइड किस तरीके से करना है?

जैसा कि मैंने कहा, वह मूल कहानी मैंने पढ़ी नहीं है, लेकिन यदि उसका कंटेट कुछ और होकर, वैसा ही हो जैसा मुझे बताया गया, तो भी यह बात बहुत गंभीरता से विचार करने की है कि अब प्‍यार करने और एक दूसरे के लिए जीने मरने की कसमें खाने की उम्र वाला युवा अपने साथी (?) के जीवन समाप्‍त कर लेने की बात पर भी संवेदनाशून्‍य होकर प्रतिक्रिया देता है। उसकी प्रतिक्रिया में एक अजीब किस्‍म की उदासीनता और ठंडापन है। एक मशीनी रिस्‍पांस जो किसी मनुष्‍य से अपेक्षित नहीं होता…

तो क्‍या हमारा युवा जीवन को इसी मुर्दा दृष्टि से देख रहा है? क्‍या उसे जीवन से या मानवीय संवेदनाओं से कोई सरोकार नहीं रहा है? क्‍या ये चीजें स्‍वाभाविक तौर पर हमारे स्‍वभाव में घर कर रही हैं या फिर कोई परिस्थितियां हैं जो उन्‍हें ऐसा बना रही हैं?

सोचना तो होगा… दो साल पहले जून 2020 में बॉलीवुड के एक प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत ने 34 साल की उम्र में आत्‍महत्‍या कर ली थी। उस दुखद घटना को लेकर हमारे मीडिया और समाज ने जो भी कुछ माहौल बनाया हो, लेकिन आज तक यह खुलासा नहीं हो पाया कि आखिर सुशांत को इतना अशांत किन हालात ने किया। यू जो यून की तरह सुशांत भी अपने कॅरियर में सफल ही थे। वे वही कर रहे थे जो उन्‍होंने करना चाहा था। फिर ऐसा क्‍या हुआ कि भरे पूरे संभावनाशील जीवन को छोड़कर उन्‍होंने मृत्‍यु का मार्ग चुना।

ऐसे मामलों की दिशा एक और प्रश्‍न की तरफ जाती है कि क्‍या हमारे युवा विपरीत परिस्थितियों से घबराकर या डरकर ऐसा कर रहे हैं, या फिर उन्‍हें इस बात का डर है कि सफलता और शोहरत के जिस शिखर पर वे चढ़ चुके हैं वहां से उतरने पर उनका क्‍या होगा? चाहे यून हो या सुशांत दोनों ने अपने कॅरियर की शुरुआत में, उसे बनाने में कितना ही संघर्ष किया हो, लेकिन यह तो कहा ही जा सकता है कि अंतत: कॅरियर के लिहाज से उन्‍होंने वो पा लिया था जिसकी उन्‍हें चाह थी। और यदि ऐसा नहीं है तो फिर वो कौनसी चीज है जो इतना सबकुछ इच्छित और वांछित मिल जाने के बाद भी एक खालीपन का, निस्‍सारता का अहसास कराती रहती है।

कई बार ऐसी स्थितियां बहुत कम उम्र में बहुत कुछ पा लेने के कारण भी पैदा होती हैं। जब आप कम उम्र में ही शिखर को छू लेते हैं तब, उस शिखर से उतरने के बाद बाकी बचे जीवन को कैसे बिताना है, इसका कोई प्‍लान हमारे पास नहीं होता। ऐसे में बहुत सी बातें अवसाद का कारण बनती हैं।

जो यून की चिट्ठी एक और बात की तरफ इशारा करती है कि संतुष्टि या सफलता का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। जो यून ने खुद लिखा है कि मैंने बहुत सफल जीवन जिया है। मैं जरा सी भी उदास नहीं हूँ। बल्कि दृढ़ और शांत महसूस करती हूं। और इसी बात को आगे बढ़ाते हुए वे अपने सुसाइड नोट में आगे लिखती हैं कि- ‘’मुझे लगता है कि ऐसा (अपना शांत और दृढ़ रहना) इसलिए है क्योंकि मैं लंबे समय से इस बारे में सोच रही थी।‘’

यहां आकर बात और पेचीदा हो जाती है। 27 साल की एक युवती जो अपनी सफलता और जीवन की उपलब्धि से संतुष्‍ट है, बहुत ठंडे दिगाम से, सोच विचार कर अपने जीवन को समाप्‍त करने का फैसला करती है। अकसर कहा जाता है कि आत्‍महत्‍या एक क्षण का विचार होता है, लेकिन जो यून की चिट्ठी बताती है कि यह एक क्षण का नहीं बल्कि कई दिनों, या कई महीनों का विचार था।

क्षणिक आवेश, निराशा, तनाव, अवसाद, बीमारी या अन्‍य कारणों से होने वाली आत्‍महत्‍याएं अपने होने का औचित्‍य साथ लिए होती हैं। लेकिन बहुत ठंडे दिमाग से, प्‍लान बनाकर की जाने वाली जो यून जैसी आत्‍महत्‍याएं एक नई दिशा की ओर संकेत कर रही हैं जिसके बारे में पूरी दुनिया के समाज को गंभीरता से सोचना होगा।

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