आकाश शुक्ला
एक व्यक्ति जब संघर्ष करने के बाद सफलता के शिखर पर पहुंचता है तो सफलता प्राप्त करने के दौरान आई तकलीफों का सामना उसके बच्चों को न करना पड़े, इस बात के प्रति वह अधिक संवेदनशील हो जाता है। उसकी यही संवेदनशीलता उसे अपने बच्चों को हर सुविधा देने के लिए प्रेरित करती है, यही बात सफल इंसान के बच्चों को असंवेदनशील और निरंकुश बनाती है।
वैसे ज्यादातर मामलों में सफल इंसान के बच्चे देश, समाज और अपने परिवार यहां तक कि अपने स्वयं के प्रति भी गैर जिम्मेदार और लापरवाह हो जाते है। वे न तो अपने परिवार, न समाज, न देश के कानून का सम्मान करते हैं, न ही अनुशासित रहना चाहते है। उनको अपने सफल माता पिता की सफलता का नशा ऐसा चढ़ता है कि वे हर गलत काम करना अपना अधिकार समझने लगते है।
इसका सबसे ताजातरीन उदाहरण शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार करना है। शाहरुख खान यदि सार्वजनिक तौर पर पुराने इंटरव्यू के दौरान यह स्वीकार कर सकते हैं कि ‘’मैं चाहता हूं कि आर्यन बहुत सारे गलत काम करे, जिन्हें मैं अपनी जवानी में नहीं कर पाया। मैं उससे कहूंगा कि वह लड़कियों के पीछे जा सकता है, ड्रग्स ले सकता है, सेक्स कर सकता है, बेहतर होगा कि वह यह सब जल्दी शुरू कर दे, मैं चाहूंगा कि मेरे साथ काम करने वाले लोग जिनकी बेटियां हैं वह आकर उसकी शिकायत करें।‘’
शाहरुख का यह बयान भले पुराना हो, परंतु यही बयान उनके बच्चे की परवरिश का तरीका और उनकी सफलता उनके बच्चे को किस दिशा में ले जाएगी, यह पहले ही निश्चित कर चुका है। यही बातें उन पर आज भारी पड़ती नजर आ रही है। यह तो शुरुआत है भविष्य में उनकी यह इच्छा पूरी करता उनका पुत्र आर्यन खान हो सकता है उन्हें इस से भी बुरे दिन दिखाए।
आप यदि इच्छा रखेंगे कि आपका बेटा ड्रग्स ले तो वह ड्रग्स लेने पर ही नहीं रुकेगा हो सकता है वह ड्रग्स खरीदने बेचने का कारोबार भी करें और दूसरे अपराध भी करें। संजय दत्त का ड्रग्स लेना सुनील दत्त जैसे सभ्य और सफल इंसान को कितना भारी पड़ा था यह वही जानते हैं। संजय दत्त ड्रग्स लेने पर ही नहीं रुके मुंबई बम कांड में अवैध हथियार रखने के आरोप में सजा होने पर जेल भी गए ।
आप कितने भी सफल हों, कितने भी धनवान हों, कितने भी बड़े बंगले में रहते हों, यदि बच्चों को पहले गलत कदम पर नहीं रोकेंगे और सही और गलत के बीच अंतर करना नहीं सिखाएंगे तो आपके बच्चे को आर्यन खान बनने में समय नहीं लगेगा। जब बेटा कैद में हो तो मन्नत जैसे बंगले में भी सुकून और चैन की नींद नहीं आती। अपनी सफलता की छांव अपने बच्चों पर न पड़ने दें, न सिर चढ़ने दे। उन्हें उनका संघर्ष स्वयं करने दें। यह उनकी संवेदनशीलता को जिंदा रखेगा, जिससे वे समाज के प्रति जिम्मेदार बनेंगे।(मध्यमत)
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