भोपाल, नवंबर 2012/ मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के संधारण एवं मरम्मत के कार्य में केन्द्र सरकार से प्राप्त स्वीकृतियों के अलावा राज्य सरकार ने एक वर्ष में राज्य शासन के मद से 120 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। अनेक कार्य केन्द्र सरकार द्वारा समय पर स्वीकृतियाँ जारी नहीं किए जाने के कारण रुके हैं।
वस्तुस्थिति
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग की लम्बाई 4,709 किलोमीटर है। 16 दिसम्बर, 2009 को केन्द्र सरकार ने 3,828 किलोमीटर राजमार्ग के संधारण एवं पुनर्निमाण का कार्य राज्य के लोक निर्माण विभाग की राष्ट्रीय राजमार्ग विंग से लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सौंप दिया। प्राधिकरण ने यह कार्य ठीक ढंग से नहीं किया। राज्य सरकार के आग्रह पर 30 अप्रैल, 2012 तक 1,460 किलोमीटर का संधारण पुनः राज्य सरकार को सौप दिया गया।
इस प्रकार वर्तमान में राज्य की राष्ट्रीय राजमार्ग विंग के पास कुल 2,341 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के संधारण का काम है, जिस 1,460 किलोमीटर लम्बाई का कार्य ढाई साल बाद राज्य सरकार को पुनः सौंपा गया है, वह बहुत ही जर्जर हालत में था। वर्ष 2011 की वर्षा ऋतु में उन हिस्सों में काफी समय तक यातायात बाधित रहा।
राष्ट्रीय राजमार्ग के संधारण के लिए केन्द्र सरकार से जो राशि दी जाती है, वह उसके अपने बजट में प्रावधानिक होती है। सामान्य संधारण और बाढ़-ग्रस्त हिस्सों को दी जाने वाली राशि ही राज्य को प्राप्त होती है। शेष सभी मदों में भुगतान केन्द्र सरकार के क्षेत्रीय लेखाधिकारी द्वारा ही सीधे किया जाता है।
मध्यप्रदेश के हिस्से में आने वाले राजमार्गों के संधारण के लिए वर्ष 2012-13 में 194 करोड़ 63 लाख रुपये का प्रावधान है। इसमें से 17 करोड़ 6 लाख रुपये अनाबद्ध राशि मरम्मत के लिए हैं। इसमें से 194 करोड़ के प्रस्ताव भारत शासन के पास लम्बित हैं। इस वर्ष एक अप्रैल, 2012 तक सिर्फ 32 करोड़ रुपये की स्वीकृति थी। नवम्बर, 2012 में 139 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई। उपरोक्त 32 करोड़ की स्वीकृति के विरुद्ध 12 करोड़ खर्च हो चुके हैं। कुल 8 कार्य हैं, जिनमें से 5 कार्य भारत शासन से स्वीकृति न मिलने के कारण रुके हैं।
विगत वर्ष पर्याप्त स्वीकृति थी और राज्य शासन ने स्वीकृति से अधिक खर्च किया। विगत वर्ष योजना मद में 73 करोड़ रुपये की स्वीकृति थी, जिसके विरुद्ध 76.14 करोड़ खर्च किए गए। इसी प्रकार गैर आयोजना मद में 35 करोड़ की स्वीकृति थी, जिसके विरुद्ध 57 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
केन्द्रीय सड़क निधि
केन्दीय सड़क निधि में राज्य शासन को आवंटन प्राप्त होता है। वर्ष 2011-12 में इस मद में मध्यप्रदेश को 169 करोड़ 93 लाख रुपये की पात्रता थी। राज्य शासन द्वारा 301 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसी प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में राज्य को 179 करोड़ 55 लाख रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ है। इसके विरुद्ध अभी तक 161 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष के अंत तक 300 करोड़ से अधिक खर्च होना संभावित है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि 194 करोड़ 63 लाख रुपये के आवंटन में से राज्य सरकार द्वारा केवल 17 करोड़ 6 लाख की लागत के गैर-आयोजना कार्यों का भुगतान किया जाता है। यही राशि अनाबद्ध होती है। शेष 177 करोड़ 57 लाख का भुगतान केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत कार्यों का उसके क्षेत्र लेखा अधिकारी द्वारा किया जाता है। इन मदों में इतने आवंटन के उपयोग के लिए आवंटन से लगभग ढाई गुना लागत की स्वीकृतियाँ जरूरी होती हैं।
इस वित्तीय वर्ष में इन मदों के अंतर्गत स्वीकृतियाँ मात्र 32 करोड़ रुपये की हैं। हाल ही में नवम्बर माह में 139 करोड़ रुपये की स्वीकृतियाँ प्राप्त हुई हैं। कुल 194 करोड़ के प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास स्वीकृति/पुनरीक्षित स्वीकृति के लिए लम्बित हैं। पिछले साल जब केन्द्र सरकार द्वारा समय पर स्वीकृति दी गई थी, तब आवंटन के विरुद्ध अधिक व्यय किया गया था। राष्ट्रीय राजमार्गों की हालत को देखते हुए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को प्राप्त स्वीकृतियों के अलावा भी अन्य कार्यों पर एक वर्ष में 120 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से 40 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष में और 80 करोड़ इस वित्तीय वर्ष में खर्च किए गए हैं। यह खर्च इसलिए करना जरूरी हुआ क्योंकि केन्द्र सरकार द्वारा आवंटन के विरुद्ध ढाई गुना प्रशासनिक स्वीकृतियाँ समय पर नहीं दी गईं। आज भी कार्यों के लिए एजेंसी निर्धारण के बाद कार्य आदेश इसलिये नहीं जारी किए जा चुके हैं, क्योंकि पुनरीक्षित स्वीकृति के प्रस्ताव चार-पाँच माह से लम्बित हैं।