राकेश अचल
हरियाणा के बल्ल्भगढ़ में निकिता तोमर की हत्या के मामले पर आज न लिखता तो मुमकिन है कि कल कोई मित्र उलाहना देता, ताना मारता, इसलिए लिख रहा हूँ और अपना गुस्सा भी प्रकट कर रहा हूँ कि जिस तरह से निकिता मारी गई, उस तरह कोई दूसरी लड़की कभी भी और कहीं न मारी जाये। पुलिस ने हत्या के दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, इसलिए इस मामले को हाथरस काण्ड की तरह कोई भी सुर्खी देने को राजी नहीं है। फिलहाल ये राजनीति का नहीं समाज का और मानवीयता का मामला है और इसे इसी तरह लिया जाना चाहिए।
निकिता की हत्या तौसीफ ने की है। निकिता और तौसीफ के रिश्ते शायद कभी प्यार के रहे हों लेकिन ये रिश्ते परवान चढ़ने के बजाय खून में डुबो दिए गए। जाहिर है कि हत्या का आरोपी ‘लव’ का अर्थ नहीं समझता, उसे जिहाद समझ में आता है। जबकि लव और जिहाद दोनों अलग मामले हैं जो लोग लव को जिहाद से जोड़कर देखना चाहते हैं वे कूढ़मगज हैं। लव तो लव है, उसके आड़े किसी को नहीं आना चाहिए, यहाँ तक कि मजहब को भी नहीं। कानून और व्यवस्था से जुड़े इस मामले में समाज को विभाजित करने की कोशिशें ठीक नहीं हैं।
समाज में न सब निकिताएं लव करने पर इस तरह मारी जाती हैं और न सारे तौसीफ हत्यारे बन जाते हैं। मैं विजातीय विवाहों और प्रेम संबंधों की एक लम्बी फेहरिस्त आपको दे सकता हों जो न केवल फल-फूल रहे हैं बल्कि आदर्श और अनुकरणीय बन चुके हैं। प्रेम मजहब की सीमाओं से ऊपर की भावना है, जो इसे धर्म की सीमा में बांधेंगे तो समाज का दम घुट जायेगा। तौसीफ जैसे सिरफिरे लोग प्रेम और जिहाद दोनों पर एक साथ कुल्हाड़ी चला रहे हैं, वे न प्रेम को जानते हैं और न जिहाद को।
इस मामले में कुछ गलती पुलिस की भी है और कुछ दोनों के परिजनों की। पुलिस ने निकिता की पूर्व की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की और निकिता ने भी तौसीफ के साथ हुए कथित समझौते पर यकीन कर लिया। इस मामले में यदि समय पर सही कार्रवाई हो गयी होती तो ये हादसा नहीं होता। निकिता निर्दोष मारी गयी है, इसलिए उसके हत्यारोपियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर चुकी है इसलिए अब अदालत ही न्याय करेगी। हम और आप कुछ नहीं कर सकते।
इस मामले को लेकर कपड़े का सांप बनाने का प्रयास कर रहे लोगों को समझना चाहिए कि इस वारदात में ऐसा कुछ नहीं है कि इस मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाये या फिर मामला सीबीआई जांच के लिए भेजा जाये। ये मामला हत्या के दूसरे मामलों की तरह ही है। बस समाज का दायित्व ये जरूर है कि इस तरह के मामलों के आरोपियों को किसी रसूखदार आदमी का संरक्षण न मिले और पुलिस मुस्तैदी से आरोप पत्र बनाकर हत्या के इस आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाये ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
आपको याद होगा कि कुछ संगठनों ने कुछ वर्ष पूर्व ‘लव जिहाद’ को मुद्दा बनाकर देश में एक अजब सा माहौल बनाने का प्रयास किया था। गनीमत है कि ऐसे प्रयासों को देश ने पसंद नहीं किया, अन्यथा समाज का ताना-बना कभी का टूट जाता। ये समय सामाजिक सौहार्द को बल देने का है न कि कमजोर करने का। समाज को राजनीति पहले से जातियों में, फिरकों में बांटकर उसे कमजोर करने में लगी है। हम जब तक जातिवाद और धार्मिक संकीर्णताओं से बाहर नहीं निकलेंगे तब तक ये असहिष्णुता बनी रहेगी। इसलिए आइये कबीर को पढ़िए, उन सबको पढ़िए और सुनिए जो समाज में प्रेम को आवश्यक और महत्वपूर्ण बनाने के लिए लिखने और बोलने वाले हैं।
यहां ये स्वीकार करना होगा कि प्रेम करके निकिता ने कोई गुनाह नहीं किया था, गुनाह तौसीफ ने किया है, सजा उसे मिलना चाहिए। उसे सजा दिलाकर ही हम निकिता को न्याय दिला सकते हैं। मैं तो कहता हूँ कि समाज साहस दिखाए और शहर के चौराहे पर किसी भ्रष्ट नेता की मूर्ति लगाने के बजाय निकिता की प्रतिमा स्थापित करने की पहल करे। ये भी हमारी प्रेम के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। प्रेम प्रोत्साहन माँगता है और जिहाद को हतोत्साहित करने की जरूरत है, आज धर्म नहीं, प्रेम खतरे में है। धर्मध्वजा उठाने वालों की तो आज कोई कमी है ही नहीं, प्रेम की ध्वजा उठाने वाले कम ही नजर आते हैं।
अगर आपको धर्म की ज्यादा फ़िक्र है तो फिर प्रेम मत कीजिये, ये धर्मांधों के बूते की चीज है भी नहीं। कभी प्रयोग करके देख लीजिये, आप धर्म के बिना रह सकते हैं लेकिन प्रेम के बिना नहीं। प्रेम रहित जीव हिंसक हो जाता है। निकिता के मामले को लेकर वे लोग ज्यादा दुखी हैं जिन्हें मोमबत्तियां जलाने का मौक़ा नहीं मिला क्योंकि पुलिस ने हत्यारे को आनन-फानन में गिरफ्तार कर लिया। बेचारे टीवी चैनल इस खबर को सुशांत सिंह राजपूत या बूलगढ़ी के बलात्कार काण्ड की तरह हफ्तों तक सुर्खियां नहीं बना पाए।
लेकिन मुझे संतोष है कि पुलिस ने चौकस कार्रवाई कर इस मामले को अवसरवादियों के हाथ का खिलौना नहीं बनने दिया। मृतिका के परिजन के प्रति हमारी पूरी संवेदनाएं होना चाहिए और यदि उस परिवार को किसी तरह के संरक्षण की जरूरत है तो उसे संरक्षण मिलना चाहिए।