बच्‍चे अपनी समस्‍या बाल आयोग से साझा करें

भोपाल/ अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर रविवार को बाल संरक्षण आयोग मध्यप्रदेश,  चाइल्ड राइटस् आब्जर्वेटरी और यूनीसेफ ने किशोरियों से संवाद का आनलाइन कार्यक्रम चाक टॉक आयोजित किया। कार्यक्रम में चाइल्ड राइटस् आब्जर्वेटरी से जुड़े 25 जिलों के बच्चों और बाल अधिकार मंच के जिला पार्टनर्स ने भागीदारी की। इस अवसर पर बाल संरक्षण आयोग मध्यप्रदेश के सदस्य ब्रजेश सिंह चौहान ने बच्चों को संबोधित करते हुये कहा कि बाल संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकारों के सरंक्षण के लिये कार्य कर रहा है। बच्चे उनके अधिकारों को लेकर कोई भी समस्या आयोग को भेज सकते है, वे समस्या के निराकरण की दिशा में प्रयास करेंगे। श्री चौहान ने बाल संरक्षण आयोग के विषय में बच्चों को जानकारी दी। उन्‍होंने सड़क किनारे झुग्गी में रहने वाली 10वीं कक्षा की एक प्रतिभाशाली बालिका भारती खांडेकर का उल्लेख किया जिसे बाल आयोग की पहल पर नगर निगम इन्दौर ने एक मकान उपलब्ध कराया है।

सिंगरौली जिले के बैढन तहसील की हर्रई उच्चतर माध्यमिक शाला की छात्रा महिमा सिंह ने स्कूल द्वारा संचालित चलित पुस्तकालय की जानकारी देते हुये बताया कि इन दिनों स्कूल बंद हैं और बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं, ऐसी स्थिति में वह शिक्षिका श्रीमती ऊषा दुबे के साथ स्कूटी पर हर्रई गांव के घरों में जाकर बच्चों को कहानियों, सामान्य ज्ञान की पुस्तकें देते हैं और उन्हें पढने के लिये प्रेरित करते हैं। दतिया जिले के सेमई गांव की छात्रा ब्रजकुंअर पांचाल ने कहा कि हमने गांव में नागरिकों को कोविड से सुरक्षित रहने के तरीके बताए और लोगों को कोविड टेस्ट कराने के लिये प्रोत्साहित किया, परिणामस्वरूप गांव के सभी लोगों ने अपने टेस्ट कराये हैं। सेमई गांव की ही एक अन्य बालिका ज्योति श्रीवास्तव ने गांव को प्लास्टिक मुक्त करने की छात्र-छात्राओं की पहल की जानकारी दी।

हरदा जिले के टिमरनी की छात्रा पलक राजपूत ने बताया कि वह लड़के और लड़कियों के समान अधिकारों के लिये समाज में कार्य कर रही है। उसने बाल अधिकार मंच के सहयोगियों के साथ बाल विवाह और दहेज के विरोध में काम किया है। रीवा की आस्था सिंह ने गरीब बस्तियों में जाकर बच्चों को कोविड से सुरक्षा के विषय में जागरूक किया और ऐसे बच्चों को जिन्हें पढना नहीं आता, पढ़ना सिखाया, उन्हें पुस्तकें दीं।

टीकमगढ जिले के बल्देवगढ़ के बनियानी गांव की छात्रा क्रान्ति केवट ने कोविड 19 को लेकर गांव में आए प्रवासी मजदूरों में जागरूकता विकसित की, उन्हें मास्क दिए और हाथ धोने की सलाह दी। शिवपुरी हायर सेकेन्डरी स्कूल में कक्षा 12 वीं की छात्रा राधिका ने जानकारी दी कि उसने पास हो गये छात्रों से पाठ्य पुस्तकें एकत्र कर उन्हें निकटवर्ती गांवों में गरीब छात्रों को पहुंचाया और इन छात्रों को सप्ताह में एक दिन पढ़ाना शुरू किया है, इस कार्य में बाल अधिकार मंच के स्थानीय संरक्षकों का सहयोग मिल रहा है।

अन्त में इन्दौर की छात्रा भारती खांडेकर ने बताया कि एक झुग्गी में रहते हुये उसने 10 वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की जिसका समाचार छपने पर बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश सिंह चौहान की पहल पर उसे एक छोटा मकान नगर निगम ने उपलब्ध कराया है और अब वह आगे पढ़कर शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ रही है। ब्रजेश सिंह चौहान ने बच्चों से उनके कामों की जानकारी लेने के बाद घोषणा की कि वे हर्रई स्कूल के पुस्तकालय को पुस्तकें, खेल सामग्री और अन्य स्थानों पर मास्क और सेनेटाइजर भेजने की शीघ्र व्यवस्था करेंगे।

कार्यक्रम के अंत में चाइल्ड राइटस् आब्जर्वेटरी की अध्‍यक्ष श्रीमती निर्मला बुच ने छात्राओं को उनके द्वारा किये जा रहे बेहतरीन कार्यो के लिये बधायी दी। उन्होंने कहा कि आज के संवाद से पता चला कि कहां क्या कमी है? हम आपसे जुड़ेंगे और आपके अधिकारों के लिये पैरवी करते रहेंगे। चाइल्ड राइट्स आब्जर्वेटरी, बाल संरक्षण आयोग और यूनीसेफ मिलकर कार्य करेंगे और बच्चों की आवाज सरकार तक पहुंचाएंगे। कार्यक्रम का संचालन और समन्वय यूनीसेफ के संचार विषेशज्ञ अनिल गुलाटी ने किया।

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