भोपाल/ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लगभग डेढ़ लाख परिवारों की संपत्तियां एक बार फिर खतरे की जद में है। यदि भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह खान की जूनियर बेगम आफताब जहां द्वारा वर्ष 1977 में लिखे गए कथित लेटर पर भरोसा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन शत्रु संपत्ति कार्यालय ने अमल किया तो लगभग 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित हो सकती हैं। तब ईदगाह हिल, जहांगीराबाद, ऐशबाग, कोहेफिजा, हलालपुर, लालघाटी, बोरबन, बेहटा और लाऊखेड़ी याने उपनगर बैरागढ़ के दो तिहाई आबादी क्षेत्र में रहने वाले हजारों परिवारों की सम्पत्तियां केंद्रीय सरकार की मिल्कियत हो जाएंगी।
दरअसल लगभग 43 सालों बाद एक ऐसा पत्र निकल कर सामने आया है जिससे पता चलता है कि यह बेगम आफताब जहां की ओर से भारत सरकार के सचिव और ऑफिसर इंचार्ज कस्टोडियन एनीमी प्रॉपर्टी, केंद्रीय गृह मंत्रालय को 2 मई 1977 को कराची पाकिस्तान से लिखा गया था। वैसे बेगम आफताब जहां की मृत्यु वर्ष 2000 में हो चुकी है और नवाब साहब से उनकी कोई भी संतान नहीं है।
लेकिन इस पत्र की प्रति को ज्ञापन के साथ संलग्न करके भोपाल के सुलतानिया रोड निवासी मधुदास बैरागी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, चीफ जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट, चीफ जस्टिस ऑफ़ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, चीफ सेक्रेट्री मप्र, भोपाल, सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और जिला कलेक्टर भोपाल को भेजा है। ज्ञापन में मांग की गई है कि नवाब भोपाल की जूनियर बेगम आफताब जहां के नाम से भारत देश में विशेषकर भोपाल, रायसेन और सीहोर में जहां कहीं भी संपत्तियां हैं उन्हें शत्रु संपत्तियां घोषित करते हुए केंद्र सरकार अपने आधीन ले। क्योंकि आफताब जहां ने 2 मई 1977 को इस संबंध में केंद्र सरकार के सेक्रेटरी को पत्र लिखकर अपनी ओर से सहमति प्रदान कर दी थी। किंतु इस पर अमल नहीं हो पाने के पीछे भू माफिया, नवाब भोपाल और आफताब जहां के भोपाल में रहने वाले कथित रिश्तेदार और सरकारी अफसरों की मिलीभगत थी। जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाने और सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की नीयत से पूरे मामले और पत्र को दबा कर रखा था।
ज्ञापन में कहा गया है कि उस राज पर से अब पर्दाफाश हो गया है क्योंकि 2 महीने पहले जून-जुलाई माह में केंद्रीय सरकार का एक अफसर इस पत्र की कॉपी लेकर, जिस पर शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई की सील भी लगी है, भोपाल आया था और आफताब जहां के नाम की जहां कहीं भी संपत्तियां हैं उनके बारे में जानकारी एकत्र की थी। लेकिन इसकी भनक भू माफिया और नवाब के रिश्तेदारों को लग गई थी और उन्होंने एक बार फिर से इस मामले को दबवा दिया है और आफताब जहां के नाम से संपत्तियों को खुद की मिल्कियत होना बताकर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। सरकार को इससे 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है।
इसके पहले वर्ष 2013 में भोपाल में शत्रु संपत्ति घोषित होने का मामला सामने आया था। लेकिन तब यह मामला नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी पुत्री आबिदा सुल्तान को नवाब हमीदुल्लाह खान साहब का एकमात्र उत्तराधिकारी, गद्दी उत्तराधिकार अधिनियम के तहत होना पाते हुए, नवाब भोपाल की समस्त संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। वर्तमान में यह मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है और शत्रु संपत्ति कार्यालय के आदेश पर स्टे लगा हुआ है।
क्या है शत्रु संपत्ति कानून
दरअसल पाकिस्तान और चीन को भारत का शत्रु देश माना जाता है। भारत का इन दोनों देशों से कालांतर में युद्ध होने के दौरान भारत के जो लोग दुश्मन याने शत्रु देशों में जाकर बस गए और वहां की नागरिकता भी हासिल कर ली, उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने अपने अधीन करने के लिए पहले डिफेंस एक्ट का सहारा लिया और उसके बाद वर्ष 1967 में पूर्ण रूप से एनीमी प्रॉपर्टी एक्ट याने शत्रु संपत्ति अधिनियम बनाया गया। इस कानून में दुश्मन मुल्क में जाकर बसने वाले भारतीय नागरिकों की संपत्तियों को शत्रु संपत्तियां घोषित करने का प्रावधान है। वर्ष 2015 में केंद्र की एनडीए सरकार ने इस कानून में संशोधन कर यह प्रावधान भी किया है कि दुश्मन मुल्क में जाकर बसने वाले लोगों की संपत्तियों पर वसीयत का कानून भी प्रभावशील नहीं होगा।
(स्रोत- एडवोकेट जगदीश छवानी की सोशल मीडिया पोस्ट)