सतीश जोशी
कानपुर में विकास दुबे अकेला नहीं है, जिसे राजनीति पाल पोसकर माफिया बनाती है। हर जगह ये सूरमा अलग-अलग नाम से मिल जाएंगे। एक जानकारी के अनुसार इंदौर में ही हर पार्षद के पास धन-बल जुटाने के लिए बाहुबली होते हैं। ऐसे ही गाँव में पंच सरपंचों के पट्ठे हैं। आम दिनों में चौथवसूली इनका पेशा है और चुनाव के दिनों में आपको पता ही है, ये किस काम आते हैं।
हमाम में सब नंगे…
कोई राजनीतिक दल अछूता नहीं है, पर्दे के पीछे सत्ता और प्रतिपक्ष के लोग इन टकसालों को सुरक्षा देते रहते हैं। प्रभावशाली लोगों से लेकर पुलिस तक इनको बचाती है और इनसे काम लेती है। योजनानुसार ये साल में जेल यात्रा पर होते हैं, जैसे हमारे यहाँ बुजुर्ग लोग तीर्थ यात्रा पर होते हैं। जितनी यात्रा उतनी ज्यादा धमक बढती जाती हैं।
पट्ठों के ऊपर बॉस…
एक अनुमान के अनुसार हर पार्षद के पास इंदौर जैसे शहर में बारह से बीस पट्ठे होते हैं। सबको बीट बंटी हुई है, कोई दूसरे की बीट में न वसूली करता हैं, न भेरूजी, पीर के जरिये अतिक्रमण। सबके अपने-अपने अतिक्रमण के इलाके हैं। इन सबका एक बॉस होता हैं, जो नेताजी का पट्ठा होता है, नेताजी बॉस को ही आदेश निर्देश देते हैं। इस व्यवस्था में सौ लोगों की फौज होती हैं। इंदौर जैसे महानगर में उसी तरह विधानसभा और उससे ऊपर पट्ठों की एक लंबी चौड़ी बिरादरी एक बड़े माफिया के नीचे चलती है।
ऐसे तैयार होता है विकास दुबे
ऐसे ही धीरे-धीरे विकास दुबे को डिग्री, धन, वैभव और धाक का मालिक बनने का सौभाग्य मिलता है। अदालतों के गलियारों, गवाहों को बदलने, वकीलों के कानूनी दांव पेंच के बाद विकास दुबे का जन्म होता है। इन सबको यदि आकड़ों में देखें तो आज देश की राजनीति में अपराधियों की उपस्थिति से सब समझ आ जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर ये हाल
आंकड़ों पर गौर करें तो 2014 में दागी सांसदों की संख्या 34 फीसद थी जो 2019 में बढ़कर 46 फीसद हो गयी। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2014 में कुल 1581 सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे। इसमें लोकसभा के 184 और राज्यसभा के 44 सांसद शामिल थे। इनमें मध्यप्रदेश के 105, महाराष्ट्र के 160, उत्तर प्रदेश के 143, बिहार के 141 और पश्चिम बंगाल के 107 विधायकों पर मुकदमे लंबित थे। सभी राज्यों के आंकड़े जोड़ने के बाद कुल संख्या 1686 थी। जबकि 2019 के आम चुनाव में जीतकर आए दागी सांसदों की संख्या 2014 के मुकाबले बढ़ गयी है।
लंबित हैं मुकदमे
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 542 सांसदों में से 233 यानी 43 फीसद सांसद दागी छवि के हैं। इन सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। हलफनामों के हिसाब से 159 यानी 29 फीसद सांसदों के खिलाफ हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे संगीन मुकदमे हैं। गौर करें तो सभी राजनीतिक दलों से दागी सांसद चुनकर आए हैं।
(लेखक की फेसबुक वॉल से साभार)