हेमंत पाल
समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने कहा था ‘जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करतीं।’ लेकिन, इतने सालों बाद भी लोकतंत्र में जिंदा कौमों को सवाल करने का हक़ नहीं है। सवाल करने वालों को अपमानित किया जाता है और दबाने की कोशिशें होती है। क्योंकि, अभी पूरी कौम जिंदा नहीं है, जो जिंदा हैं, उनकी जुबान बंद करने की कोशिश होती है। ऐसी ही एक घटना इंदौर में घटी, जब नेता से सवाल करने वाली एक जागरूक लड़की को समाज और व्यवस्था दोनों ने खामोश रहने की सलाह दी।
मामला इंदौर का है, जहाँ पत्रकारिता की पढाई कर रही एक लड़की ने मंत्री तुलसी सिलावट से सरकार गिराने को लेकर सवाल किया तो वे असहज हो गए। नतीजा ये हुआ कि सवाल पूछने वाली उस लड़की के चरित्र हनन कोशिशें की जाने लगी। जब वो रिपोर्ट करने थाने पहुंची तब भी उससे सवाल किए गए। पर, इस घटना ने नई परंपरा जरूर डाल दी। आश्चर्य नहीं कि अब हर नेता से मतदाता सवाल करने लगे। क्योंकि, जिंदा कौमें हैं, तो सवाल तो करेंगी।
ये घटना इंदौर के स्पेस पार्क टाउनशिप की है, जहाँ जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट लोगों के साथ संवाद कर रहे थे। लोगों से उनकी ये सदाशयता नहीं थी, बल्कि ये इलाका उनके सांवेर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहाँ उपचुनाव होने वाले हैं। मंत्री से लड़की ने दो सवाल पूछे। पहले सवाल में उसने पूछा कि आपको कांग्रेस की सरकार गिराकर और भाजपा में आकर कैसा लग रहा है? आप लोगों ने अच्छी भली सरकार को गिरा दी है, जो अच्छा काम कर रही थी। इस पर तुलसी सिलावट कहते हैं कि अच्छा महसूस हो रहा है, तभी तो सरकार गिराई है।
ये लड़की उपासना शर्मा है, जो मॉस कॉम की पढाई कर रही है। वो सवाल पूछने के साथ ही वीडियो भी बनाती है। सवाल सुनते ही तुलसी सिलावट की बोलती बंद हो जाती है। उनके पास कोई जवाब नहीं होता। लड़की और भी कई सवाल पूछती है, मगर वह किसी का जवाब नहीं देते। फिर आयोजकों ने लड़की को सवाल पूछने से मना कर दिया। इस पर उपासना बोली कि मैं भी वोटर हूँ, सवाल पूछना मेरा हक है। बाद में उपासना ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि मैंने जब तुलसी सिलावट से सवाल किया तो वे यही बोले कि टाइगर जिंदा है। मैं कहती हूं कि टाइगर जिंदा तो है, लेकिन उसका जमीर मर गया है।
उपासना का कहना है कि जिन लोगों ने दलबदल कर सरकार गिराई उनका तो कुछ नहीं बिगड़ा। अब, चुनाव होगा तो उसमें जनता का पैसा बर्बाद होगा। हमने पांच साल के लिए सरकार चुनी थी। लेकिन, कुछ लोगों ने उसे 18 माह में ही गिरा दिया। यह जनता के साथ धोखा है। उपासना ने स्पष्ट भी किया कि उसका किसी पार्टी से संबंध नहीं है, वह सिर्फ वोटर है और उसी के नाते उसने सवाल पूछा।
लेकिन, इस घटना के बाद उपासना सोशल मीडिया पर मंत्री समर्थक कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गई। उसके बारे में दुष्प्रचार किया गया। आपत्तिजनक बातें लिखकर वायरल की गईं। उसे कांग्रेस का एजेंट बताया गया। उपासना शर्मा जब मामले की शिकायत करने पुलिस अधिकारियों के पास गई तो वहां मौजूद कुछ अधिकारियों ने उससे कहा कि आप कौन होते हो, मंत्री से सवाल पूछने वाली।
लड़की का कहना है कि सिलावट समर्थकों द्वारा उसके चरित्र को लेकर भी अश्लील टिप्पणियाँ की गई। उसके भद्दे फोटो बनाकर पोस्ट किए गए। जब उपासना शिकायत करने थाने गई तो उसे इंतजार कराने के बाद लसूड़िया पुलिस ने आवेदन लेकर मामले की जांच करने का हवाला देकर रवाना कर दिया। लेकिन, कार्रवाई कुछ नहीं की। मुद्दा ये है कि व्यवस्था को ये सलाह देने का हक़ किसने दिया कि वो उपासना से उसके सवाल पूछने के बारे में पूछताछ करे।
कांग्रेस की नेता शोभा ओझा ने आरोप लगाया कि तुलसी सिलावट से सवाल पूछने वाली लड़की का सोशल मीडिया पर चरित्र हनन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मामले में संज्ञान लेकर दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कराएं तथा उन पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने का मार्ग प्रशस्त करें। लेकिन, इसके अलावा कांग्रेस का कोई स्थानीय नेता खुलकर उपासना के साथ खड़ा नजर नहीं आया।
ट्वीटरवीर कांग्रेस नेताओं की जुबान भी बंद है कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि जिस तरह से सोशल मीडिया पर बेटी उपासना शर्मा के सवाल पूछने पर उसके खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही है, यह भाजपा की चाल, चरित्र और चेहरे को उजागर करती है। लेकिन, फिर भी जिस तरह कांग्रेस को इस मामले पर संज्ञान लेना था, वो नहीं किया गया।
सवाल पूछने के बाद जो भी हालात बने हों, पर इस घटना ने जिंदा कौमों को प्राणवायु जरूर दे दी। उपासना शर्मा सिर्फ वो लड़की नहीं है, जिसने सवाल पूछा और बदले में उसे उलाहना मिली। बल्कि, वो मुर्दा कौम को झकझोर कर जगाने वाली लड़की है, जिसने लोगों को अपने अधिकार की याद दिलाई कि सवाल पूछना उनका हक़ है। अब यदि कल को हर सभा में ऐसे सवाल पूछे जाने लगें तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि, जिंदा हो, तो जिंदा नजर भी आना चाहिए।