राकेश अचल
आज सावन का पहला सोमवार है, हमें आज भगवान शिव की आराधना के बारे में सोचना चाहिए था लेकिन हम कोरोना के बारे में सोच रहे हैं। हमने कोरोना से बचने के लिए मंदिर। मस्जिद, गिरजाघर बंद कर लिए हमने जान और जहान दांव पर लगा दी, ‘लाक’-‘अनलॉक’ का खेल खेल लिया। विशेष पैकेज दे दिए, मुफ्त का अन्न बाँट लिया, ‘वर्चुअल तकरीरें’ कर लीं लेकिन ये दुष्ट कोरोना हमारा पिंड छोड़ने को तैयार ही नहीं है।
अब हम कोरोना संक्रमण के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गए हैं। समझ में नहीं आ रहा कि अब इस कोरोना देव को हमसे कौन सी कुर्बानी चाहिए! अब या तो हमारी भीड़ इसके लिए जिम्मेदार है या फिर सरकार, तय आपको करना है।
ताजातरीन खबरों के मुताबिक़ विश्व गुरु भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और दुनिया भर में सबसे ज्यादा संक्रमित केस के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। रूस को पीछे छोड़ भारत कोरोना संक्रमितों की संख्या में तीसरे पायदान पर आ गया। हालांकि अब भी अमेरिका और ब्राजील इस मामले में भारत से आगे हैं। पाकिस्तान 12वें पायदान पर है। कोरोना नापने के लिए बनाये गए वर्ल्डोमीटर के अनुसार भारत में इस समय 687,760 कोरोना मरीज हैं जबकि रूस में अब तक 681,251 संक्रमित केस सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में देश में 13 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। इस दौरान कुल 13,856 मामले दर्ज किए गए।
अब तो बच्चा-बच्चा जानता है कि कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा त्रस्त देश अमेरिका है जहां पर अब तक 29 लाख से ज्यादा यानी 2,953,014 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 17,244 नए केस सामने आए। अमेरिका में अब तक 132,382 लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका के बाद ब्राजील का नंबर है और वहां 1,578,376 कोरोना केस सामने आ चुके हैं, जबकि इनमें से 64,365 लोगों की मौत हो चुकी है। तीसरे पायदान पर पहुंचे भारत में कुल 687,760 केस दर्ज हो चुके हैं जिसमें 19,568 लोगों की जान जा चुकी है।
दुर्भाग्य की बात ये है कि इस दुष्ट और संहारक विषाणु के सामने दुनिया का विज्ञान हार गया है। सात महीने हो चुके हैं अभी तक दुनिया के पास कोरोना का कोई इलाज नहीं है। सिवाय सावधानी के। भारत के साथ-साथ दुनिया भर में 140 वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में से 11 ‘ह्यूमन ट्रायल’ के दौर में हैं, लेकिन इनमें से किसी भी वैक्सीन के 2021 से पहले बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार होने की संभावना नहीं है। देश में कोरोना वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया जारी है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा इस साल 15 अगस्त को वैक्सीन लॉन्च किए जाने की संभावना जताई गई है। हालांकि वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर के दावे पर कई संगठन और विपक्ष ने सवाल खड़े किए थे।
आपको बता दें कि आईसीएमआर के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने दो जुलाई को प्रमुख शोधकर्ताओं को कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा था ताकि 15 अगस्त के दिन विश्व को पहला कोरोना वैक्सीन दिया जा सके। विशेषज्ञों ने माना कि 15 अगस्त तक वैक्सीन बनाना संभव नहीं है। ऐसे निर्देशों ने भारत की शीर्ष मेडिकल शोध संस्था आईसीएमआर की छवि को धूमिल किया है। वहीं, मिनिस्ट्री ने भी 2021 तक वैक्सीन आने की बात कही थी।
एक तरफ आईसीएमआर प्रधानमंत्री जी को 15 अगस्त पर घोषणा के लिए वैक्सीन बनाने के लिए जल्दबाजी में है तो दूसरी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि आईसीएमआर ने उन संस्थानों का चयन कैसे किया है जो ट्रायल करेंगे? उनमें से तीन निजी संस्थान हैं, जिनमें एक निजी व्यवसायी भी है, जिसका कोई संस्थागत पता नहीं है।
येचुरी का आरोप हालाँकि देशद्रोह की श्रेणी में आएगा लेकिन वे कहते हैं कि वैज्ञानिक अनुसंधान ‘मेड टू ऑर्डर’ नहीं किया जा सकता। कोविड-19 के इलाज में एक स्वदेशी वैक्सीन बनाने के लिए सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा मानदंडों को दरकिनार करते हुए दबाव बनाया जा रहा है, ताकि स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी इसकी घोषणा कर सकें। ऐसे में मानव जीव को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
एक तरफ कोरोना सुरसा की तरह अपना मुंह फाड़ता चला जा रहा है दूसरी तरफ हमारे संकटमोचक बिहार विधानसभा के और मध्यप्रदेश विधानसभा के उप चुनावों में उलझे हुए हैं। रोजाना वर्चुअल रैलियां हो रहीं हैं। जनता का ध्यान बंटा रहे, इसलिए देश का समूचा टीवी समाज लेह में चीन से लगी सीमा को गरम बनाये हुए है। दिल्ली में नए-नए कोविड अस्पतालों का उद्घाटन हो रहा है। भगवान ही जानता है कि आने वाले दिन कैसे होंगे? क्या भारत में भी अमेरिका की तरह लाशों के ढेर लग जायेंगे? क्या सरकार सब कुछ भगवान भरोसे छोड़कर अपने काम में लगी रहेगी?
अगर आप भूले न हों तो भारत ने कोरोना को रोकने के लिए दुनिया का सबसे लंबा (70 दिन) का लॉकडाउन लगाया और आज भी किश्तों में जहाँ-तहँ लॉकडाउन जारी है। कोरोना से निपटने के लिए देश की पूरी अर्थव्यवस्था दांव पर लगाईं जा चुकी है। देसी और विदेशी आवागमन पूरी तरह ठप्प है। आदमी को आदमी से काटने के सारे इंतजाम किये गए हैं। अनलॉक 1 और 2 में भी समरथ को छोड़ सभी के ऊपर पाबंदियां लागू हैं।
लेकिन कोरोना से मुक्ति का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। सवाल ये है कि कब तक लोग चूहों की तरह बिलों में घुसे रहेंगे? देश की 80 करोड़ जनता को (जो गरीब है) सरकार नवंबर तक मुफ्त राशन दे देगी लेकिन बाकी के 60 करोड़ लोग क्या खाएंगे? सारे रोजगार तो कोरोना पहले ही खा चुका है।
संकट के इस अवसर को आत्मनिर्भर भारत में बदलने का मन्त्र देने वाली सरकार के पास उन तमाम सवालों के जवाब नहीं हैं जो जनता के मन में हैं। दुर्भाग्य ये है कि संकट के इस दौर में सवाल करना राष्ट्रद्रोह और प्रधानमंत्री का विरोध माना जाने लगा है। जनता करे तो क्या करे? क्या केवल बेमौत मरती रहे?
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टीम मध्यमत