क्या सिंधिया विधायकों से मिल पाएंगे?

राकेश अचल

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी माँ श्रीमती माधवी राजे सिंधिया को कोरोना संक्रमण की खबर से उनके अपने समर्थकों के साथ ही हम जैसे लोग भी विचलित हैं, क्योंकि हमें सिंधिया को कोरोना होना किसी क्रूर मजाक से कम नहीं लगता। सिंधिया को कोरोना होने की रिपोर्ट तो मैंने नहीं देखी लेकिन यदि सचमुच उन्हें कोरोना हुआ है तो ये उनके स्वास्थ्य के साथ ही राजनीतिक जीवन के लिए भी ठीक नहीं है।

आपको याद है कि भाजपा ने ज्योतिरादतीय सिंधिया को पार्टी की ओर से राज्य सभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है।  ये चुनाव 19 जून को होना है, लेकिन यदि सिंधिया कोरोना पॉजिटिव हैं तो वे अपने मतदाता विधायकों से कैसे मिल पाएंगे?

जानकारों के मुताबिक़ कोरोना मरीज के लिए बनाये गए आईसीएमआर के प्रोटोकॉल के मुताबिक़ कोरोना मरीज को इलाज के बाद कम से कम 14 दिन कोरंटीन में रहना होगा, यदि सिंधिया को ये सब करना पड़ा तो उन्‍हें भोपाल आकर राज्य सभा चुनाव के लिए अपने मतदाताओं से मिलने का अवसर नहीं मिलेगा। अब सवाल ये है कि क्या सिंधिया इस अवसर को यूं ही जाने देंगे, क्योंकि इस चुनाव में उनके लिए अधिकांश मतदाता उनके अपने नहीं भाजपा के हैं।

आपको याद होगा कि मार्च माह में कांग्रेस से अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर लगातार कयासों और अफवाहों का बाजार गरम रहा है। कभी खबरें आती हैं कि वे मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी से नाखुश हैं तो कभी खबर आती है कि उन्हें चुनाव संचालन समिति में छठवें स्थान पर रखे जाने से वे नाराज है।कभी उन्हें भाजपा के पोस्टरों में जगह न दिए जाने की बात कही जाती है।

लेकिन सिंधिया ने एक बार भी इन अफवाहों और कयासों के बारे में कुछ नहीं कहा। उनकी तरफ से हरदम ‘आल इज वैल’ ही कहा गया। इन सबके बीच उनके एक समर्थक, पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल पर ग्वालियर में हुए हमले ने बात को और गंभीर बना दिया है।

अफवाहों के बाजार में एक अफवाह ये भी चली कि यदि भाजपा ने सिंधिया के साथ हुए अनुबंध का पालन न किया तो सिंधिया अपनी नई पार्टी भी बना सकते हैं, लेकिन इस अफवाह का भी सिंधिया की ओर से अब तक कोई खंडन नहीं किया गया है। सिंधिया के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि सिंधिया जी ठीक हैं, चिंता की कोई बात नहीं हैं, बावजूद इसके उनके समर्थकों में चिंता और बेचैनी बरकरार है।

मध्यप्रदेश में अचानक नाटकीय सत्ता परिवर्तन की धुरी बने सिंधिया को भाजपा में शामिल करने के तीसरे दिन ही देश में लॉकडाउन लगा दिया गया। अच्छा ये हुआ कि इससे पहले वे राज्य सभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर चुके थे। बाद में दुर्भाग्य से सिंधिया लॉकडाउन में दिल्ली में फंस गए, यदि वे भोपाल या ग्वालियर होते तो शायद स्थिति कुछ और होती।

लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 के साथ ही उनके भोपाल पहुंचने की खबरें भी आई थीं किन्तु वे भोपाल नहीं आये। इससे संदेह और गहराता जा रहा है और ये आशंकाएं लगातार मजबूत हो रही हैं कि सिंधिया और उनके समर्थक भाजपा में आकर सहज अनुभव नहीं कर रहे हैं। सिंधिया के मन में क्या है ये केवल सिंधिया जानते हैं इसलिए अभी कुछ भी कहना कोरी कल्पना के अलावा कुछ और नहीं है।

अब सिंधिया को जिताने की जिम्मेदारी भाजपा की है और निश्चित ही है कि वे जीतेंगे क्योंकि भाजपा में अभी इतना अनुशासन तो है कि कोई हाईकमान के निर्देश के बाहर नहीं जा सकता। बहरहाल अब हम सब सिंधिया से तब मिलेंगे जब वे राज्य सभा के सदस्य के नाते प्रकट होंगे। फिलहाल तो मध्यप्रदेश और उनके समर्थक उनके शीघ्र स्वाथ्य लाभ की कामना कर रहे हैं।

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टीम मध्‍यमत

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