अरुण पटेल
समुद्र में उठा निसर्ग तूफान भले ही मुम्बई आते-आते धीमा पड़ गया हो लेकिन इससे जो अचानक पानी की झड़ी लगी उससे मध्यप्रदेश की मंडियों में खरीदा गया और खुले मे रखा किसानों का गेहूं भीग गया। इस मामले को लेकर राजनीति तेज हो गयी है। कांग्रेस जहां सवालों की झड़ी लगा रही है वहीं राज्य सरकार का दावा है कि गेहूं के भीगने से अधिक नुकसान नहीं हुआ है।
किसानों के घावों पर मरहम लगाने की दृष्टि से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि हम प्रदेश के किसानों का नुकसान नहीं होने देंगे। निसर्ग से कई हिस्सों में बारिश हो रही है और यह सही है कि कुछ गेहूं बाहर रखा है, लेकिन खरीदी केन्द्रों पर रखे गए गेहूं को ढंकने और सुरक्षित रखने के लिए अमला सजग है, इसलिए किसानों को चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने गेहूं भीगने पर शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज भी हजारों किसान खरीदी केन्द्रों के सामने लम्बी लाइन लगाकर खड़े हैं, कहीं बरदाने की कमी है तो कहीं परिवहन की व्यवस्था नहीं है और कहीं तुलाई ही नहीं हो रही। जो लाखों टन गेहूं भीग गया है उसे भी खरीदा जाए तथा खुले में पड़े गेहूं का परिवहन एवं भंडारण किया जाए।
खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव ने कलेक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि कोई नुकसान नहीं हुआ है, कहीं-कहीं गेहूं भीग गया वह वेयर हाउस में सुखा कर भेजा जायेगा। किसानों का गेहूं तभी खरीदा जायेगा जब वे उसे सुखा कर लायेंगे। उसे एफएक्यू के अनुसार लेंगे।
मध्यप्रदेश में आगामी माहों में विधानसभा के 24 उपचुनाव होना हैं और किसानों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी अपने आपको किसानों का सबसे बड़ा हमदर्द और मुसीबत के समय का साथी साबित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी। वहीं कांग्रेस, जिसकी सरकार दलबदल के कारण गिर गयी, वह भी अपने को किसानों का सबसे बड़ा हमदर्द साबित करने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने दे रही है। उसकी रणनीति होगी कि यह मुद्दा राजनीतिक तौर पर गरम रहे।
दूसरी ओर सरकार प्रयास करेगी कि किसानों को हरसंभव मदद देकर उनका दिल जीतने की कोशिश करे। गेहूं खराब होने को लेकर किए जा रहे दावों के उलट राज्य सरकार ने अपना पक्ष आंकड़ों के हवाले से रखते हुए कहा है कि 0.13 प्रतिशत उपार्जित गेहूं ही गीला हुआ है जो कि एक प्रतिशत का तेरहवां हिस्सा है और इससे किसानों का कोई नुकसान नहीं हुआ। देखने वाली बात यही होगी कि आखिर किसानों के गले किसकी बात ज्यादा अच्छे से उतरती है और वह किसके दावों और वायदों पर भरोसा करता है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना के कारण खरीदी में देरी के बावजूद अब तक रिकार्ड 1.25 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। निसर्ग तूफान के कारण बारिश आ गयी, लेकिन हमारा पूरा प्रयास है कि किसानों का कोई नुकसान न होने दें। बहुत कम मात्रा में गेहूं गोदामों तक न पहुंचने की बात सामने आई है लेकिन किसानों को उनसे उपार्जित गेहूं का पूरा भुगतान किया जायेगा। 26 जिलों में गेहूं उपार्जन और परिवहन का काम शत-प्रतिशत पूरा हो गया है, अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जिन जिलों में गेहूं परिवहन का काम पूरा हो गया है वहां के वाहनों को अन्य जिलों में भेजा जाये।
जहां तक गेहूं भीगने का सवाल है, प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता का दावा है कि कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में कभी गेहूं भीगने की नौबत नहीं आ पाई जबकि शिवराज सरकार में अभी और इसके पूर्व भी गेहूं भीगना आम बात हो गयी थी। कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा का आरोप है कि तूफान की चेतावनी और तेज बारिश की आशंका के बावजूद शिवराज सरकार ने लाखों किसानों का हजारों टन गेहूं परिवहन नहीं किया और न ही उसका सुरक्षित भंडारण किया, जिससे गेहूं और चना बारिश में खराब हो गया और करोड़ों रुपये की बर्बादी हुई।
सलूजा ने 6 प्रश्न शिवराज से पूछते हुए जानना चाहा है कि जब आप प्रतिदिन गेहूं उपार्जन के आंकड़े जारी करते हैं तो यह भी बतायें कि कितने मीट्रिक टन गेहूं भीगा, कितना बचा लिया गया और कितना सुखा लिया गया, कितना खराब हुआ और उससे कितने करोड़ का नुकसान हुआ। जब प्रदेश में चार दिन पूर्व बारिश की चेतावनी जारी हो गयी थी तो उसके बाद हजारों टन खुला पड़ा गेहूं और चना क्यों नहीं हटाया गया और इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं।
प्रदेश के 26 जिलों में भंडारण का काम अभी भी अधूरा है। राज्य सरकार का कहना है कि असामयिक वर्षा को दृष्टिगत रखते हुए उपार्जन समितियों को, गेहूं को भीगने से बचाने के लिए, तिरपाल और ड्रेनेज की व्यवस्था करने के लिए पूर्व में निर्देश दे दिए गए थे। प्रदेश में रबी विपणन वर्ष 2020-21 में ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकृत 19.47 लाख किसानों में से 15.76 लाख याने 81 प्रतिशत किसानों से समर्थन मूल्य पर 1 करोड 85 लाख 88 हजार 946 मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया है, जो कि पिछले सभी वर्षों से अधिक है।
इस तरह मध्यप्रदेश पंजाब के बाद सर्वाधिक गेहूं उपार्जन करने वाला राज्य बन गया है। कुल खरीदे गए गेहूं में से 1 करोड़ 14 लाख 71 हजार 412 मीट्रिक टन यानी 91 प्रतिशत गेहूं का परिवहन सुरक्षित गोदामों में किया जा चुका है जबकि 11.17 लाख मीट्रिक टन गेहूं का परिवहन तीव्र गति से किया जा रहा है। कुछ जिलों से छुटपुट मात्रा में गेहूं भीगने की जानकारी प्राप्त हुई है जिसमें रतलाम में 8.3 टन, कटनी में 10 टन, धार में 25 टन, सिवनी और नरसिंहपुर में 40-40 टन, शिवपुरी एवं राजगढ़ में 50-50 टन और इंदौर में 280 टन तथा भोपाल में गेहूं आंशिक रुप से भीगा है जिसे सुखा कर भंडारण की कार्रवाई की जा रही है।
और यह भी
बीती रात्रि एक निजी न्यूज चैनल के ‘घंटी बजाओ’ कार्यक्रम में भीगे हुए गेहूं की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद केन्द्र सरकार ने भी जानकारी बुलाई है। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने एक ट्वीट में कहा है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से हमें एक राज्य की मंडियों में रखे अनाज के खराब होने के बारे में पता चला है और हमने राज्य के मुख्यमंत्री से इस पर बात कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इससे यह बात उजागर हुई है कि शिवराज से पासवान ने इस मामले पर बात की है।
मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों के लिए यह खुश खबरी दी है कि दो प्रतिशत तिवड़ा याने खेसरी मिश्रित चना खरीदने के आदेश केन्द्र सरकार द्वारा जारी कर दिए गए हैं और अब दो प्रतिशत तक खेसरी मिश्रित वाला चना भी खरीदा जा सकेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार से यह मांग की थी और उस पर खरीदी करने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है।
(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं।)
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