कांग्रेस का कोरोना और कमलनाथ

राकेश अचल

आप चौंकिए नहीं, खबर एकदम सही है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस को कोरोना हो गया है और मध्यप्रदेश कांग्रेस का कोरोना हैं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ। कमलनाथ को पंद्रह साल से संघर्षरत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और डेढ़ दशक की भाजपा सरकार से आजिज जनता ने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाया था, लेकिन अपनी अकड़ और सामंतशाही के चलते कमलनाथ ने न केवल अपनी पार्टी की सरकार गंवा दी बल्कि पार्टी को भी दो फांक करा दिया।

कांग्रेस से अपना रिश्ता पुश्तैनी है, पुश्तैनी इसलिए की 1980 से पहले देश में दूसरी कोई कांग्रेस थी ही नहीं। बहरहाल बात मध्यप्रदेश कांग्रेस की है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ की सबसे बड़ी दो ही उपलब्धियां रहीं, पहली उन्होंने अपनी चलती हुई सरकार यानि दस्तार (पगड़ी) गंवा दी।

दूसरे, कांग्रेस को दो फांक कर ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा और ऊर्जावान नेता को कांग्रेस से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया। जैसे कोरोना दस साल से कम उम्र के बच्चों और साठ साल से ऊपर के सीनियर सिटीजन को अपनी चपेट में लेता है वैसे ही कांग्रेस को कोरोना बनकर कमलनाथ चाट रहे हैं। उनकी मदद गाहे-बगाहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ ने कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए कोई रेखांकित करने लायक काम नहीं किया। प्रदेशाध्यक्ष की हैसियत से भी वे अब तक के सबसे निकम्मे नेता साबित हुए और दुर्भाग्य ये है कि इस कांग्रेस कोरोना ने कांग्रेस को सत्ताच्युत करने के बाद भी नहीं छोड़ा।

कायदे से ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बाहर जाते ही कांग्रेस को बचाने के लिए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को राजनीतिक कोरन्टाइन में भेज दिया जाना था, लेकिन इन दोनों को कांग्रेस हाईकमान ने छुट्टा छोड़ दिया, संक्रमण फैलाने के लिए।

प्रदेश कांग्रेस से इस जुगल जोड़ी ने सिर्फ लिया ही लिया है, दिया कुछ नहीं है। कांग्रेस के सत्ता में रहने या न रहने से इनकी सेहत पर कोई असर इसलिए नहीं पड़ता, क्योंकि ये भाजपा के अदृश्य अभिकर्ता भी हैं। ये मेरा नहीं कांग्रेसियों का ही आरोप है कि कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी भाजपा के ‘स्लीपर सेल’ हैं।

अब जबकि प्रदेश में 24 सीटों के लिए विधानसभा के उपचुनाव होने हैं, पार्टी हाईकमान कमलनाथ की जगह न कोई नया अध्यक्ष तय कर पाई और न कांग्रेस से 22 विधायकों के बाहर जाने के लिए इस जोड़ी को कोई सजा ही दे पाई।

कांग्रेसियों का मानना है कि कमलनाथ ने यदि पार्टी की सरकार किसी कक्क्ड़ और मिगलानी के भरोसे न चलाई होती तो प्रदेश में कांग्रेस की ये दुर्दशा न होती। कांग्रेस के कोरोना कमलनाथ ही थे जो उन्होंने प्रदेश के आईपीएस मीट में सत्ता के लिए दलाली कर रहे लोगों को सम्मानित कराया और तत्कालीन पुलिस के शीर्ष अफसर इसका विरोध नहीं कर पाए।

कमलनाथ ने अपनी पसंद के ठेकेदारों को अनियमितताएं बरतते हुए करोड़ों का भुगतान कराया और पक्षपात करते हुए 1450 करोड़ रुपये छिंदवाड़ा के अस्पताल के उन्नयन के लिए स्वीकृत करा दिए। पोस्टिंग और पदोन्नतियों में कक्क्ड़ और मिगलानी की चली। विधायक और जिलाध्यक्ष चप्पलें चटकाते फिरते रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी यही दशा कर दी गयी, हारकर उन्हें कांग्रेस से बाहर ही आना पड़ा।

कांग्रेस के कोरोना कमलनाथ को जरा सी देर के लिए अलग कर दिग्विजय सिंह को सामने रखकर देख लीजिये, उन्होंने प्रदेश कांग्रेस को क्या दिया? सरकार बनने से पहले नर्मदा परिक्रमा की, लेकिन नर्मदा के तटों पर वृक्षारोपण और अवैध उत्खनन को सरकार बनने के बाद भी न वे रुकवा सके और न दोषियों को दण्डित करा सके।

कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कोरोना कमलनाथ ने कांग्रेस को खोखला करने के लिए माफिया के खिलाफ एक बड़ा चर्चित अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पहले मीडिया को घुटनों के बल बैठाया और जो नहीं बैठा उसे जीतू सोनी बना दिया। आपरेशन माफिया चलाकर अपने धुर विरोधियों की सम्पत्तियों को जमींदोज करा दिया जो सीधे-सीधे बदले की कार्रवाई थी।

इंदौर में एक कारोबारी के साथ ये हुआ कि उसका मकान जानबूझकर तोड़ा गया। बदले की कार्रवाई का सबसे ज्यादा काला इतिहास कमलनाथ की सरकार ने ही लिखा। न ई-टेंडर घोटाले के आरोपी पकडे गए और न पीएमटी काण्ड के दोषियों को सजा मिली। मारे वे गए जो कमलनाथ या दिग्विजय के निशाने पर थे। आखिर में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ भी ईओडब्‍ल्‍यू जांच संस्थापित कर दी गयी।

मध्यप्रदेश में अब उपचुनाव से पहले भी इस कोरोना संक्रमित जोड़ी को बेदखल नहीं किया गया है। प्रत्याशियों के चयन में भी सियासी पैमाने की नहीं बल्कि कोरोना संक्रमित इसी जोड़ी की चलने वाली है। मै कोई निष्कर्ष दूंगा तो उसे पूर्वाग्रही और प्रायोजित माना जा सकता है, इसलिए मै चाहता हूँ कि आप इस विषय पर अपनी राय जरूर दे, इसके लिए आपका किसी राजनीतिक दल से जुड़ा होना कोई अयोग्यता नहीं है।

आप सब बताएं कि क्‍या आपको कांग्रेस कोरोना संक्रमित नहीं लगती? क्या आपको नहीं लगता कि सिंधिया कांग्रेस से विवशता में भाजपा में शामिल हुए हैं? मेरा मानना है कि जिस तरह पूरी विनम्रता से भाजपा ने कांग्रेस से बहुत कुछ सीखते हुए भाजपा को कांग्रेस की बी टीम बना दिया है, उसी प्रकार कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी को भाजपा की बी टीम क्यों नहीं बना लेते?

कांग्रेस अब अपने शीर्ष नेताओं को लेकर एक मार्गदर्शक मंडल गठित कर ले और फिर नए नेताओं को मैदान में इस्तेमल करना शुरू करे। अन्यथा कांग्रेस को कोरोना से बचाना नामुमकिन हो जाएगा। कांग्रेस में कमलनाथ कोरोना संक्रमण गंभीर स्टेज पर है, जहां वेंटिलेटर भी शायद ही कोई चमत्कार दिखा सके। मैं अगर कांग्रेस का कर्णधार होता तो कमलनाथ और दिग्विजय जैसे मरीजों को हमेशा के लिए कोरन्टाइन में भेजने की सलाह देता।

पर मन होंसिया और करम गढ़िया हो तो वही होता है जो इन दिनों मध्यप्रदेश कांग्रेस का हो रहा है। भगवान ही अब कांग्रेस को बचा सकता है। और हां, एक बात बताना तो मैं आपको भूल ही गया कि आज का ये आलेख कांग्रेस के संक्रमण पीड़ित मित्रों द्वारा दिए गए फीडबैक पर आधारित है, इसमें कल्पना का लेश मात्र भी अंश नहीं है।

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