1965 में आई यश चोपड़ा की चर्चित फिल्म ‘वक्त’ का एक मशहूर डायलॉग है- ‘’चिनॉय सेठ जिनके अपने घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।‘’ आज यदि भारतीय राजनीति में इस संवाद को बोलने का मौका आए तो शायद वह कुछ ऐसे बोला जाएगा- ‘’जिनके हाथ में कुल्हाड़ी हो वे अपना पैर उसके नजदीक नहीं लाया करते।‘’
पर क्या करें, कुछ ‘हाथ’ ऐसे होते हैं जो न सिर्फ कुल्हाड़ी थामे होते हैं, बल्कि उसे खुद अपने ही पांव पर मारने के लिए कुलबुलाते भी रहते हैं। ऐसा ही काम कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में किया है। दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रचार खत्म होने से एक दिन पहले राहुल गांधी ने एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर जो कुछ कहा वह चुनाव के मौके पर खुद अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने वाली पार्टी की ‘समृद्ध परंपरा’ को ही आगे बढ़ाने वाला था।
राहुल गांधी ने बेरोजगारी की बात करते-करते मोदी पर निशाना साधा और बोले- ‘’ये हिन्दुस्तान की सचाई है इसको आप सुन लीजिये और आप देखना…ये जो नरेंद्र मोदी अभी भाषण दे रहा है, मैं आपको बता रहा हूं, छह महीने बाद, सात आठ महीने बाद ये घर से नहीं निकल पाएगा… हिन्दुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे, इसको समझा देंगे कि हिन्दुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता है…’’
और जैसे ही राहुल गांधी का यह बयान चर्चा में आया, भाजपा को और खासकर नरेंद्र मोदी को तो मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई। भाजपा के लिए ‘सोने पर सुहागा’ वाली बात यह हुई कि राहुल गांधी के इस ‘जोशीले’ भाषण के अगले ही दिन प्रधानमंत्री को ससंद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का समापन करना था। और मोदी ने बता दिया कि बोलने का मौका यदि उनके हाथ में हो तो वे उसका कैसा गजब इस्तेमाल कर सकते हैं।
मोदी ने लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा- ‘’मैंने कांग्रेस के एक नेता का कल ‘घोषणा पत्र’ सुना। उन्होंने घोषण की है कि छह महीने में मोदी को डंडे मारेंगे। और ये बात सही है कि काम जरा कठिन है तो तैयारी के लिए छह महीने तो लगते ही हैं। तो छह महीने का समय तो अच्छा है… लेकिन मैं भी छह महीने में तय किया हूं कि रोज सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा। ताकि अब तक करीब बीस साल से जिस प्रकार की गंदी गालियां सुन रहा हूं और अपने आपको गाली प्रूफ बना लिया है… छह महीने ऐसे सूर्य नमस्कार करूंगा… ऐसे सूर्य नमस्कार करूंगा… कि मेरी पीठ को भी हर डंडा झेलने की ताकत वाला बना दूंगा… मैं आभारी हूं कि पहले से अनाउंस कर दिया गया है तो मुझे छह महीने एक्सरसाइज बढ़ाने का टाइम मिलेगा…’’
अब यह बात समझ से परे है कि कांग्रेस के नेता दूध से जला होने के बावजूद उबलता हुआ आलू हलक में डालने पर क्यों आमादा रहते हैं। यह कोई पहली बार हुआ हो ऐसा भी नहीं है। ठीक इसी प्रकार के प्रकरण अतीत में कई बार हुए हैं और योग-संयोग से उनमें से कई तो ऐन चुनाव के दिनों में ही हुए हैं। कांग्रेस इतनी भी अनजान नहीं होगी कि उसे यह भी पता न हो कि ऐसे प्रसंगों का भाजपा और खासकर नरेंद्र मोदी ने अपने लिए किस चतुराई से इस्तेमाल किया है। मोदी को दूसरों को गाली देने से ज्यादा महारत दूसरों के द्वारा दी गई गाली को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने में है।
आपको याद होगा गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के स्वनामधन्य नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को लेकर ऐसा ही विवादास्पद बयान दिया था। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अय्यर बोले थे-‘’ये आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है.. ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है।‘’
उस बयान ने गुजरात चुनाव में कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी मुसीबत पैदा कर दी थी। भाजपा ने अय्यर के बयान को अपने पक्ष में जमकर भुनाया था और नरेंद्र मोदी ने पलटवार करते हुए कहा था- “उन्होंने मुझे नीच कहा। हां, मैं समाज के गरीब तबके से आता हूं और मैं अपनी जिंदगी का हर लम्हा गरीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी तबके के लिए काम करने में खर्च करूंगा। वे अपनी भाषा अपने पास रखें, हम अपना काम करते रहेंगे।”
लोकसभा चुनाव के दौरान तो मोदी ने एक सभा में खुद को दी जाने वाली गालियों की पूरी सूची पढ़कर सभी को चौंका दिया था। 8 मई को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में उन्होंने चुनाव रैली में कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा था-‘’इनके एक नेता ने मुझे ‘गंदी नाली का कीड़ा’ कहा, तो दूसरा मुझे ‘गंगू तेली’ कहने आ गया। इनके एक नेता ने तो मुझे ‘पागल कुत्ता’ भी कहा। इनके बड़े-बड़े नेताओं ने मुझे ‘मानसिक तौर पर बीमार’ बताया, ‘नीच किस्म का आदमी’ कहा।
मोदी इतने पर ही नहीं रुके, आगे बोले-‘’यहां तक कि ये भी पूछा गया कि मेरे पिता कौन थे ये नहीं मालूम, मेरे दादा कौन थे, ये नहीं मालूम। इनके एक और मंत्री ने मुझे वायरस कहा तो दूसरे ने दाऊद इब्राहिम का दर्जा दे दिया। मुझे Most Stupid PM कहा गया, जवानों के खून का दलाल कहा गया। इनके प्रेम की डिक्शनरी से मेरे लिए गद्दाफी, मुसोलिनी, हिटलर जैसे शब्द भी निकले।‘’
और ये सब बताते हुए मोदी ने लोगों से अपील की कि वे ये गालियों वाले सारे वीडियो देश भर में फैलाएं, ताकि देश को कांग्रेस की सच्चाई पता लग सके। हैरानी की बात देखिये कि जिस समय मोदी लोगों से यह अपील कर रहे थे उसी समय उनके चुनाव क्षेत्र बनारस में कांग्रेस नेता संजय निरुपम उन्हें ‘आधुनिक औरंगजेब’ और राजद नेता एवं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ‘जल्लाद’ की संज्ञा दे रही थीं। उससे पहले प्रियंका गांधी उन्हें ‘दुर्योधन’ बता चुकी थीं। उस चुनाव में ‘चौकीदार चोर है’ के नारे ने क्या गुल खिलाया था यह सबके सामने है।
दिल्ली में कांग्रेस वैसे ही कमजोर स्थिति में है, अब जब कल दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोट डलने हैं, मोदी को पड़ने वाले ये डंडे असलियत में किस पर पड़ेंगे कौन जाने?