भोपाल, नवंबर 2012/ लोकायुक्त पुलिस ने जेल मुख्यालय में पदस्थ डीआईजी उमेश गांधी के यहां छापा मारकर करोड़ों रुपए की काली कमाई उजागर की है। छापा भोपाल और सागर के ठिकानों पर एक साथ शनिवार को सुबह साढ़े पांच बजे मारा गया। इसमें बड़ी मात्रा में अचल संपत्ति में निवेश के दस्तावेज बरामद हुए हैं। प्रारंभिक आकलन में डीआईजी को 25 करोड़ रु. से ज्यादा का आसामी बताया जा रहा है।
लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक छापामार कार्रवाई में भोपाल में डीआईजी के जेल परिसर स्थित सरकारी निवास वैष्णवी कुटी में सबसे ज्यादा दस्तावेज मिले हैं। डीएसपी एचएस संधू की अगुआई में यहां लोकायुक्त की टीम सुबह साढ़े पांच बजे पहुंची। घर का दरवाजा खुलवा कर की गई कार्रवाई में साढ़े चार लाख रुपए नकदी, जेवर सहित दो किलो सोना, डेढ़ किलो चांदी के जेवर, टाटा सफारी, हुण्डई एसेंट कार, दो दुपहिया वाहन मिले हैं। साथ ही एक दर्जन से ज्यादा मकान, प्लाट, दुकान और कृषि भूमि का पता लगाया है। वहीं, सीहोर जेल में प्रहरी के पद पर पदस्थ डीआईजी के भाई अजय गांधी के सुभाष नगर स्थित अभिरुचि परिसर के घर में डीएसपी राजकुमार शर्मा की नेतृत्व में छापा मारा गया। इसमें 35 हजार रु.नकद, सौ ग्राम सोने और 250 ग्राम चांदी के जेवर, अपेक्स बैंक टीटी नगर शाखा में लॉकर और पत्नी मनीषा के नाम ब्यूटी पार्लर का पता लगा है। इसी घर में ऊपर के कमरों में पांच छात्राओं को किराएदार के तौर पर रखा गया है। यह मकान अजय के भाई रामगोपाल की पत्नी चन्द्रलेखा के नाम पर बताया जा रहा है। दूसरी ओर एक टीम ने सागर में रामगोपाल गांधी के घर छापामार कार्रवाई की। यहां से भी भूमि आदि संपत्ति की जानकारी हाथ लगी है। रामगोपाल की रवि ट्रेडर्स के नाम से फर्म है जो जेल में कैदियों की रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की आपूर्ति करती है।
काफी समय से थीं शिकायतें
जेल डीआईजी के खिलाफ काफी समय से आय से ज्यादा संपत्ति की शिकायत मिल रही थी। इनकी लोकायुक्त पुलिस ने गोपनीय पड़ताल कराई थी। इसमें गड़बड़ झाले के पुख्ता प्रमाण हाथ में लगने के बाद इस कार्रवाई की गई है।
ये मिली संपत्ति
लोकायुक्त पुलिस के सूत्रों ने बताया कि तीनों जगह छापे में अचल संपत्ति के काफी दस्तावेज हाथ लगे हैं। इसमें भोपाल में शिवालय कॉम्प्लेक्स, संगम कॉलोनी, दुर्गेश विहार, पद्मनाभ नगर, पटेलनगर, गोंदरमऊ, एकता नगर नरेला शंकरी में पांच मकान और दो दुकान, जेके रिसार्ट के पास 25 हजार वर्गफीट का फार्म हाउस, सागर बण्डा में 4000 वर्गफीट का भूखंड, बण्डा में .42 हेक्टेयर भूमि, मकरोनिया में 1150 वर्गफीट का भूखंड, बण्डा में एक एकड़ कृषि भूमि और एक मकान, कटनी में पांच दुकान व एक मकान, रायसेन में 1.98 एकड़ कृषि भूमि, मुरवारा में पांच हेक्टेयर कृषि भूमि, इंदौर में लसूड़िया और विजयनगर में दो मकान व दो दुकान, जबलपुर में एक डुप्लेक्स। इनकी रिकार्ड वेल्यू तो 10-11 करोड़ बताई जा रही है लेकिन बाजार मूल्य 25 करोड़ रुपए से ज्यादा का आंका गया है।
2010 में बने डीआईजी
सूत्रों के मुताबिक उमेश गांधी जेल सेवा में 1987 में आए थे। 1993 में इनकी पदोन्नाति केंद्रीय जेल अधीक्षक के तौर पर हुई। 2010 में डीआईजी जेल बने। यहां फिलहाल ये निरीक्षण, सांख्यिकी, पेंशन, लेखापाल और भवन शाखा का काम देख रहे हैं। इसके पहले इनके पास स्थापना जैसी अहम शाखा का काम था। बताया जा रहा है कि गांधी का नाम विवादों के साथ जुड़ा रहा है। पहले भी जेल में भर्ती और राशन की आपूर्ति के मामले उठ चुके हैं। लोकायुक्त पुलिस के सूत्रों का कहना है कि अब इन बिन्दुओं को मद्देनजर रखते हुए जांच आगे बढ़ाई जाएगी।
घर में सजावटी सामानों का अंबार
लोकायुक्त की टीम का कहना है कि डीआईजी के घर में विलासिता की सभी जरूरी चीजें मौजूद हैं। लकड़ी के बेशकीमती सामान, दो एसी, एंटीक मूर्तियां और अष्टधातु की छह मूर्तियां मिली हैं।