चिट्ठियां आज भी दिल को बेकरार कर देती हैं

0
1148

रमेश सर्राफ धमोरा

9 अक्तूबर विश्व डाक दिवस पर विशेष

चिट्ठी आयी है, आयी है, चिट्ठी आयी है… 1980 के दशक के आखिरी वर्षों में नाम फिल्म का यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म का नायक विदेश में रहता है और स्वदेश से आयी चिट्ठी की क्या अहमियत है, इसे ही इस गीत के माध्यम से दर्शाया गया है। हालांकि, हाइटेक होती जा रही दुनिया में अब भले ही चिट्ठियों के आने का सिलसिला कम हो गया हो, लेकिन डाक विभाग की प्रासंगिकता अब भी बरकरार है।

कई दशकों तक देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सस्ता साधन डाक रहा है,लेकिन इस क्षेत्र में निजी कम्पनियों के बढ़ते दबदबे और फिर सूचना तकनीक के नये माध्यमों के प्रसार के कारण डाक विभाग की भूमिका लगातार कम होती गयी है। वैसे इसकी प्रासंगिकता पूरी दुनिया में अब भी बरकरार है। यही कारण है कि डाक विभाग दुनिया भर में अब कई नयी तकनीकी सेवाओं से जुड़ रहा है। यह बात सही है कि सूचना के संप्रेषण पर डाक विभाग का एकाधिकार खत्म हो गया है, लेकिन इसके कुछ अलग तरह के फायदे और नुकसान भी हैं। जहां तक किसी तरह के विश्‍वसनीय सबूत को पेश करने का मसला है, तो इस मामले में डाक द्वारा भेजी गयी सामग्री और उसके नेटवर्क से ढूंढ़े गये पते को सबूत के तौर पर मान्यता दी जाती है।

दुनिया भर में 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वर्ष 1874 में इसी दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।  वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में इसी दिन का चयन किये जाने की घोषणा की गयी। यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत पहला एशियाई देश था। एक जुलाई, 1876 को भारत इसका सदस्य बना था। जनसंख्या और अंतरराष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर उस समय सदस्यों की छह श्रेणियां थीं और भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा। संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के दो वर्ष बाद यानी 1947 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बन गयी।

विश्व डाक दिवस का मकसद आम आदमी और कारोबारियों के रोजमर्रा के जीवन समेत देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक क्षेत्र के योगदान के बारे में जागरुकता पैदा करना है। आम आदमी के जीवन में डाक सम्बंधी गतिविधियों और इसके कार्यक्रमों की भूमिका को रेखांकित करते हुए सदस्य देशों में इस दिवस का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 150 से ज्यादा देशों में विविध तरीकों से विश्व डाक दिवस आयोजित किया जाता है। कुछ देशों में, इसे कार्य दिवस के तौर पर भी आयोजित किया जाता है। जहां ज्यादातर देशों में इस अवसर पर नयी डाक सेवाएं जारी की जाती हैं, वहीं कुछ देशों में कुछ अच्छी सेवाओं के लिए चुनिंदा कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया जाता है।

डाक सेवाओं के बदलते माहौल और उभर रही नयी कारोबारी चुनौतियों ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है। विशेष रणनीति और कार्यक्रमों के माध्यम से ही इसका समाधान किया जा सकता है। योजनाबद्ध रणनीति तैयार करने से यूपीयू के सदस्यों को नयी चुनौतियों से निबटने और संचालन की नयी प्रणालियों को अपनाने में बेहतर मदद मिलती है। सितम्बर, 2012 में दोहा पोस्टल स्ट्रेटजी के तहत 2013-2016 के लिए यूपीयू सम्मेलन में रणनीति बनायी गयी थी। इससे सदस्य देशों को मूल्य आधारित सेवाएं और रणनीतिक रोड मैप तैयार करने में मदद मिली।

यूपीयू का संविधान तमाम तरह के नियमों समेत मौलिक अधिनियमों की एक संहिता है। यह एक रणनीतिक अधिनियम है, जिसे प्रत्येक सदस्य देश के सक्षम प्राधिकरणों द्वारा विनियमित किया जाता है। जरूरत के मुताबिक इसके सम्मेलन के दौरान इसमें संशोधन किया जा सकता है। इसमें अंतरर्राष्ट्रीय पोस्टल सेवा और लेटर-पोस्ट व पार्सल-पोस्ट सेवाओं के प्रावधानों के संदर्भ में लागू किये जानेवाले सामान्य नियमों और अधिनियमों की व्याख्या की गयी है। सदस्य देश इसकी प्रचलित मान्यताओं और अधिनियमों का पालन किये जाने के प्रति बाध्य होते हैं।

इंटरनेशनल ब्यूरो, यूपीयू का मुख्यालय स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में स्थित है। यहां तकरीबन 50 विभित्र देशों के ढाई सौ से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। यह ब्यूरो यूपीयू निकायों के सचिवालय संबंधी कार्यों का संपादन करता है। सदस्य देशों के बीच यह सूचना और सलाह देने समेत तकनीकी सहयोग को भी बढ़ावा देता है। हाल के वर्षों में इंटरनेशनल ब्यूरो ने कुछ गतिविधियों में मजबूत नेतृत्व की भूमिका निभायी है। इसमें पोस्टल तकनीक केन्द्र के माध्यम से संबंधित तकनीकी अनुप्रयोग भी शामिल हैं। इससे डायरेक्ट मेल समेत कई अन्य सेवाओं के लिए जरूरी क्षमता हासिल होती है और वैश्विक स्तर पर सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। इसके क्षेत्रीय संयोजक सर्वाधिक प्रभावी तरीकों से विकासशील देशों को पोस्टल सुविधाएं मुहैया कराने में मजबूती प्रदान करते हैं। अपने क्षेत्रों में जारी परियोजनाओं की प्लानिंग, तैयारी, कार्यान्वयन समेत जरूरी विकास पर नजर रखते हैं।

बदलते हुए तकनीकी दौर में दुनिया भर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार करते हुए खुद को नयी तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है और डाक, पार्सल, पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की हैं। डाक घरों द्वारा मुहैया करायी जानेवाली वित्तीय सेवाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है। नयी तकनीक आधारित सेवाओं की शुरुआत तकरीबन 20 वर्ष पहले की गयी और उसके बाद से इन सेवाओं का और तकनीकी विकास किया गया। साथ ही, इस दौरान ऑनलाइन पोस्टल लेन-देन पर भी लोगों का भरोसा बढ़ा है। यूपीयू के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि दुनियाभर में इस समय 55 से भी ज्यादा विभिन्न प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध हैं। भविष्य में पोस्टल ई-सेवाओं की संख्या और अधिक बढ़ायी जायेगी।

डाक घर की ओर से नागरिकों को वित्तीय सेवाएं भी मुहैया करायी जाती हैं। कई देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बैंकिंग और वित्तीय सुविधा हासिल होने का एकमात्र जरिया यही है। आज दुनिया भर में डेढ़ अरब से ज्यादा लोग डाक विभाग के पोस्टल खातों समेत वित्तीय सेवाओं की सुविधाओं का फायदा उठाते हैं।

पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (पीओसी) यूपीयू का तकनीकी और संचालन संबंधी निकाय है। इसमें 40 सदस्य देश शामिल हैं, जिनका चयन सम्मेलन के दौरान किया जाता है। यूपीयू के मुख्यालय बर्न में इसकी सालाना बैठक होती है। यह डाक व्यापार के संचालन, आर्थिक और व्यावसायिक मामलों को देखता है। जहां कहीं भी एक समान कार्यप्रणाली या व्यवहार जरूरी हो, वहां अपनी क्षमता के मुताबिक यह तकनीकी और संचालन समेत अन्य प्रक्रियाओं के मानकों के लिए सदस्य देशों को अपनी अनुशंसा मुहैया कराता है। संप्रेषण के अन्य माध्यमों के आने से भले ही इसकी प्रासंगिकता कम हो गयी हो, लेकिन कुछ मायने में अभी भी इसकी प्रासंगिकता बरकरार है।

दुनिया भर में पोस्ट ऑफिस से संबंधित इन आंकड़ों से हम इसे और अधिक स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं। डाक विभाग से 82 फीसदी वैश्विक आबादी को होम डिलीवरी का फायदा मिलता है। एक डाक कर्मचारी 1,258 औसत आबादी को सेवा मुहैया कराता है। इस समय दुनिया भर में 55 प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध है। डाक ने 77 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं दे रखी हैं। 133 पोस्ट वित्तीय सेवाएं मुहैया कराती है। पांच दिन के मानक समय के अंदर 83.62 फीसदी अंतरराष्ट्रीय डाक सामग्री बांटी जाती है। 142 देशों में पोस्टल कोड उपलब्ध है। डाक के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन और निगरानी के लिए 160 देशों की डाक सेवाएं यूपीयू की अंतरर्राष्ट्रीय पोस्टल सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं। इस तरह 141 देशों ने अपनी यूनिवर्सल पोस्टल सेवा को परिभाषित किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here