एक अफवाह, एक खबर और एक भाषण चिंता में डाल रहे हैं

आज पहले दो सूचनाएं सुन लीजिए।

पहली सूचना को मैं अफवाह की श्रेणी में रख रहा हूं क्‍योंकि मेरा मानना है कि जब तक किसी विश्‍वसनीय सूत्र से पुष्टि न हो जाए ऐसी सूचनाओं पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। खासतौर से यदि इस तरह की सूचनाएं वाट्सएप या फेसबुक जैसे कथित ‘सोशल’ प्‍लेटफार्म पर डाली गई हों तो। क्‍योंकि इन सूचनाओं की सत्‍यता के बारे में पता करना बहुत मुश्किल होता है…

तो यह अफवाह कम सूचना ये है कि चीन ने भारत से बिना लड़े ही युद्ध जीतने का प्‍लान तैयार कर रखा है। इसकी तैयारी उसने चार पांच साल पहले शुरू की थी और इसके लिए आरंभिक तौर पर 900 अरब रुपए का बजट रखा गया था।

मिशन यह था कि उपग्रह द्वारा संचार तरंगें भेजकर किसी विस्फोटक को नियंत्रित करने और उसमें विस्फोट कराने की क्षमता और तकनीक विकसित की जाए। बताया गया कि चीन ने करीब दो साल में यह तकनीक डेवलप कर ली।

सूचना में कयास यह लगाया गया कि चीन ने इसी तकनीक को अमल में लाने के लिए मोबाइल फोन्‍स की बैटरीज में कुछ खास रसायनों का उपयोग किया है जिनमें वक्‍त आने पर उपग्रह की तरंगों के जरिए विस्‍फोट किया जा सकता है। इसी रणनीति के तहत चीन ने आक्रामक रूप से दुनिया, खासकर भारत के बाजारों में अपने कई मोबाइल सस्‍ते दामों पर उतार दिए हैं और लोग उन्‍हें धड़ल्‍ले से खरीद रहे हैं।

सूचना कहती है कि ऐसे करीब 2 करोड़ मोबाइल भारतीयों की जेब में हैं जिनमें कभी भी विस्‍फोट किया जा सकता है। इस तकनीक के जरिए चीन भारत से सीमा पर बिना लड़े ही युद्ध जीत जाएगा, क्‍योंकि यदि एक साथ 2 करोड़ मोबाइल फोनों में विस्‍फोट होगा तो उससे होने वाले जानमाल के नुकसान को भारत सरकार संभाल नहीं पाएगी और उसे सारा ध्‍यान सीमा के मोर्चे से हटाकर घरेलू फ्रंट पर लगाना होगा। इस वाट्सएप पोस्‍ट में और भी बहुत सारी बातें कही गई हैं जिनका जिक्र यहां गैर जरूरी है।

अब दूसरी सूचना सुनिए, जो वास्‍तव में खबर है। और यह खबर चौंकाने वाली तो है ही उससे भी ज्‍यादा हमें चिंतित करने वाली है। खबर के अनुसार देश में बोफोर्स तोप की तर्ज पर बनी धनुष’ तोप को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। आरोप लगे हैं कि एक कंपनी ने धनुष तोप में लगने वाले कलपुर्जे ‘मेड इन जर्मनी’ के नाम पर सप्लाई किए, लेकिन वो सामान दरअसल चीन में बना हुआ था। हमारे मध्‍यप्रदेश का इस खबर से इसलिए लेना देना है कि ये तोपें जबलपुर में बनाई गईं।

मामला सामने आने के बाद सीबीआई ने कलपुर्जे सप्‍लाई करने वाली ‘सिद्ध सेल्स सिंडीकेट’ के अलावा चीन में बने नकली ‘मेड इन जर्मनी’ कल-पुर्जों की  आपूर्ति को लेकर ‘गन कैरिज फैक्‍ट्री’ (जीसीएफ)- जबलपुर के कुछ अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया है। धनुष तोप दरअसल बहुचर्चित बोफोर्स तोप का ही देसी वर्जन है जो 38 किमी मारक क्षमता के साथ तैयार की गई है।

तीसरा मामला एक ऐसे भाषण से जुड़ा है जो उस व्‍यक्ति ने दिया है जो संचार क्षेत्र में डाटा संकलन के मामले का विशेषज्ञ है। देश को आधार जैसी महत्‍वपूर्ण पहचान देने वाले इंफोसिस के सह संस्‍थापक नंदन नीलेकणि ने शनिवार को दिल्‍ली इकॉनामिक्‍स कॉन्‍क्‍लेव को संबोधित करते हुए डॉटा के एकाधिकार और उसके कॉलोनाइजेशन पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा कि सरकारों के साथ साथ कुछ चुनिंदा बहुराष्‍ट्रीय या देशी टेक-कंपनियों के हाथों में लोगों से जुड़ा डाटा एकत्र होना चिंता की बात है। इस मामले में लोगों की निजता का अधिकार सुरक्षित होना चाहिए, साथ ही नई खोज और प्रतिस्‍पर्धा की भावना का गला भी नहीं घुटना चाहिए।

नीलेकणि ने बाकायदा नाम लेकर कहा कि फेसबुक और गूगल के अलावा गूगल के एंड्रायड और एप्‍पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्‍टम के साथ ही नेटफ्लिक्‍स, अमेजन और चीनी कंपनियों अलीबाबा, बायडू आदि ने करोड़ों लोगों का डाटा जुटा रखा है। ये लोगों को सुविधा तो दे रहे हैं लेकिन उनसे जुड़े डाटा पर अपना एकाधिकार और स्‍वामित्‍व भी जता रहे हैं। यह व्‍यवहार लोगों के विश्‍वास को तोड़ने वाला होने के साथ-साथ प्रतिस्‍पर्धा विरोधी भी है। इस व्‍यवहार के कारण छोटी कंपनियां आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।

नीलेकणि ने डाटा पर लोगों के अधिकार की वकालत करते हुए कहा कि उन्‍हें अपनी मर्जी के मुताबिक जब चाहे अपना डाटा वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए। मूलत: डाटा पर अधिकार व्‍यक्ति का होना चाहिए न कि किसी कंपनी या सरकार का।

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ऊपरी तौर पर ये तीनों उदाहरण अलग-अलग लग सकते हैं, लेकिन इनमें बहुत साम्‍य और आपसी रिश्‍ता है। ध्‍यान से देखें तो ये आने वाले खतरों की चेतावनी दे रहे हैं। पहली सूचना जिसे मैंने अफवाह ही माना है, यदि किसी दिन सच हो जाए, तो यकीन मानिए वह समूची मानव जाति के लिए बहुत भयावह दिन होगा। और उस काम में बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों द्वारा जुटाया जाने वाला डाटा बहुत अहम भूमिका अदा करेगा जिसका जिक्र नीलेकणि कर रहे हैं। और अफवाह के सच होने की गुंजाइश इसलिए बनती है क्‍योंकि दूसरी सूचना जो पुख्‍ता खबर के रूप में सामने आई है, खुद कह रही है कि भारत के रक्षा उपकरणों तक में चीनी सामान की चोर दरवाजे से घुसपैठ कराई जा रही है। तो जो काम चोरी से किया जा रहा है वह साहूकारी से भी किया जा रहा होगा…

सचमुच मामला चिंताजनक है…   

 

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