उत्तरप्रदेश में योगी राज है, माहौल ऐसा बन गया है जैसे कानून का राज लौट आया हो, यूपी में अब चोरी, लूटपाट छेड़खानी जैसी घटनाएं बंद हो जाएंगी। इस सिलसिले में मेरी यूपी पुलिस के एक अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के साफ-साफ कह दिया चाहे कोई आ जाए जैसा चलता आया था वैसा ही चलता रहेगा।
उस पुलिस अधिकारी ने साफ-साफ कहा कि किसी सरकार में इतनी हैसियत नहीं कि अव्यवस्था के इस गठजोड़ का खात्मा कर दे। अधिकतम अपराध नेता और पुलिस की सहमति से ही होते रहे हैं। हां! अगर सरकार चाहती है तो अधिकतम 8 से 10 प्रतिशत मामला सुधरा हुआ बाहर से लगेगा लेकिन भीतर से जैसा था वैसा ही रहेगा।
यूपी में क्यों नहीं सुधर सकता सिस्टम? इस उत्सुकता में मेरी मुलाकात हाल ही में वहां के एक ऐसे कांस्टेबल से हुई जिसने पुलिस के आला-अधिकारियों की नाक में दम कर रखा हैं। उस शख्स की बातें सुनी तो लगा जैसे हाथी की नाक में चींटी घुस गई हो। उस शख्स से हुई बातचीत का ब्योरा मैं आपके सामने रख रहा हूं जिसे सुनकर आप भी कहेंगे ये कांस्टेबल तो किसी भी दिन मारा जाएगा।
कांस्टेबल का नाम है सुशील कौशिक। इस वक्त ये कांस्टेबल क्षेत्राधिकारी औद्योगिक नोएडा में पदस्थ है। इसकी शिक्षा एमए और एलएलएम है। कौशिक की कहानी करवट लेती है 2005 से जब ये नोएडा 49 थाने में पदस्थ था। कौशिक ने देखा कि कैसे वहां के पुलिसवाले बांग्लादेशी मजदूरों को उठा लाते हैं और उन्हें तब तक परेशान करते हैं जब तक इन्हें लानेवाला ठेकेदार पुलिस को एक निश्चित रकम नहीं दे देता।
इस कांस्टेबल ने वहां चल रहे कबाड़ी और खाकी के गठजोड़ को भी उजागर किया। जिसमें कबाड़ी निर्माणाधीण बिल्डिंगों के बिल्डिंग मटेरियल को चुराते थे और उसमें पुलिस को एक निश्चत हिस्सा मिलता था। जब कौशिक ने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नामजद शिकायत दर्ज करवाई तो बजाय आरोपियों की जांच होने के कौशिक का ही ट्रांसफर नोएडा से सीधे झांसी कर दिया गया।
सुशील कौशिक
साल 2005-06 में झांसी में रहते हुए सुशील कौशिक ने पाया कि कैसे चुनाव ड्यूटी में लगे पुलिस कर्मचारियों का पैसा आला अधिकारी डकार रहे हैं। इस बार कौशिक ने पूरी जानकारी आरटीआई से हासिल की और बाकायदा यूपी होम सेक्रेटरी और डीजीपी से शिकायत की। धारा 156-3 के तहत मामले को लेकर कोर्ट में भी गये। आईजी को इस मामले में जांच करनी पड़ी और मामला आज भी एंटी करप्शन कोर्ट में चल रहा है। लेकिन कांस्टेबल कौशिक को झांसी से रिलीव करके बुलंदशहर भेज दिया गया।
साल 2007 में कौशिक ने बुलंदशहर में फिर आरटीआई लगाई कि कैसे चुनाव में लगे पुलिसवालों का पैसा अधिकारी डकार रहे हैं। मामले की जांच शुरू हुई लेकिन गाज गिरी कांस्टेबल पर। कौशिक का तबादला बुलंदशहर से बागपत हो गया। बागपत में कौशिक ने कुछ ऐसा किया कि पूरी यूपी पुलिस हिल गई।
कौशिक ने देखा पुलिस कर्मचारियों के वेतन से बिना उनकी स्वीकृति के 50 रुपये कटता था और उसका इस्तेमाल होता था एसएसपी आवास में लगे जनरेटरों में तेल डालने के लिए। यहां उन्होंने पाया कि सालों से एक परंपरा बन गई थी कि पुलिस कर्मचारियों की सैलेरी से बिना उनकी स्वीकृति के पुलिस कल्याण, डिस्ट्रिक्ट एमीनिटी फंड, शिक्षा, खेलकूद और मनोरंजन के नाम पर 30 रुपये काट लिया जाता था।
जब कौशिक ने इस बात पर आपत्ति की तो उनको लाइन हाजिर कर दिया गया और अधिकारी ने उनकी गोपनीय रिपोर्ट तैयार कर उन्हें बागपत से फैजाबाद ट्रांसफर कर दिया। इस मामले को लेकर कांस्टेबल ने जब इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो राज्य के 5 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज हो गया।
ये कांस्टेबल जहां जाता वहीं के अधिकारियों की कलई खोलने में लग जाता था। साल 2010 में इसने फैजाबाद के एसपी के खिलाफ जब मोर्चा खोला तो हमेशा की तरह इनका ट्रांसफर फैजाबाद से नोएडा कर दिया गया। नोएडा आकर कांस्टेबल ने देखा कि मामूली सैलरी पाने वाले पुलिसवालों ने करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति बना रखी है। कौशिक ने इसे उजागर करने के लिए आरटीआई लगा रखी है और जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
कांस्टेबल कौशिक अपने स्तर पर भी, अपना पैसा खर्च करके उन पुलिसवालों की संपत्ति का ब्योरा जुटा रहे हैं जिनकी करोड़ों रुपयों की बेनामी संपत्ति है और उन्हें इंतजार है अगले ट्रांसफर का।
कौशिक का अगला ट्रांसफर यह तय करेगा कि प्रदेश में क्या सिर्फ राज बदला है या फिर व्यवस्था भी बदली है? योगी उस पुलिस के जरिये भ्रष्ट्राचार को साधने में ताकत लगा रहे है जो खुद उसका हिस्सा है। कांस्टेबल कौशिक ने पुलिस के भीतर के ऐसे कई भन्ना देने वाले खुलासे किये जिसके सामने पेशेवर अपराधी शरीफ लगता है। कांस्टेबल का कहना है कि जिस पुलिस के दम पर योगीजी एंटी रोमियो अभियान चला रहे हैं पहले उन पुलिसवालों की हकीकत तो पता कर लेते।
कुल जमा कहानी इतनी ही है कि सरकारें आएंगी जाएंगी लेकिन अव्यवस्था का गठजोड़ अपनी पूरी गुंजाइश के साथ फलता- फूलता रहेगा और सुशील कौशिक जैसे कांस्टेबलों का ट्रांसफर होता रहेगा।
नोट- यूपी पुलिस का फोटो प्रतीकात्मक है