इंदौर, अक्‍टूबर 2012/ आटो मोबाइल एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र में मध्यप्रदेश एक उभरता हुआ राज्य है। मध्यप्रदेश में इस क्षेत्र में उद्योग लगाये जाने की अपार संभावनाएँ हैं। प्रदेश का वातावरण भी इस क्षेत्र में उद्योग लगाये जाने के अनुकूल है। इस आशय के विचार ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के दूसरे दिन समिट-स्थल पर आटोमोबाइल और इंजीनियरिंग सेक्टर संबंधी सेमिनार में उद्योग क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने व्यक्त किये।

सेमिनार का विषय आटोमोबाइल और इंजीनियरिंग में राज्य का नेतृत्व विकास” था। सेमिनार में वाणिज्य-उद्योग एवं रोजगार विभाग के अपर सचिव श्री अनुपम राजन, फोर्स मोटर्स लिमिटेड के संचालक सुधीर मेहता,बी.ई.कॉमर्शियल वाहन लिमिटेड के सीनियर उपाध्यक्ष राजेश मित्तल, बी.एच.ई.एल. के कार्यकारी संचालक एस.एस.गुप्ता, हिन्दुस्तान मोटर्स के सी.ई.ओ. रमेश विश्वकर्मा, ई.ई.पी.सी.इण्डिया के कार्यकारी संचालक रमेश मित्रा और देवास ट्रेक्टर मैन्युफेक्चरिंग प्रोजेक्ट जॉन डीयर इण्डिया प्रायवेट लिमिटेड के राजेन्द्र जोशी ने भाग लिया।

प्रारंभ में अपर सचिव अनुपम राजन ने आटोमोबाइल और इंजीनियरिंग सेक्टर के लिये मध्यप्रदेश में संभावनाओं से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उद्योगों के अनुकूल वातावरण हैं। यहाँ सड़क, बिजली, पानी और अन्य आधारभूत संरचनाओं के अलावा पीथमपुर में विश्व-स्तरीय आटो टेस्टिंग ट्रेक और इंदौर में एस.ई.जेड है तथा दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर मध्यप्रदेश की सीमा से गुजरता है। उन्होंने ऑटोमोबाइल क्षेत्र के उद्योगों के लिये बढ़ती हुई संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला। फोर्स मोटर्स लिमिटेड के श्री सुधीर मेहता ने मध्यप्रदेश में उद्योगों के अनुकूल वातावरण, सरकार और अधिकारियों के सहयोगात्मक रवैय्ये तथा पिछले कुछ वर्षों में आधारभूत संरचनाओं में तेजी से हुई प्रगति की सराहना की । हिन्दुस्तान मोटर्स के रमेश विश्वकर्मा ने मध्यप्रदेश में वर्क कल्चर तथा इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मुद्दों को सराहा।

बी.एच.ई.एल. के एस.एस.गुप्ता ने भेल की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि उनके साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में एक भी श्रमिक विवाद नहीं हुआ। यहाँ मित्रवत वातावरण है। राज्य में शांतिप्रियता और राजनीतिक स्थिरता है। जॉन डीयर के राजेन्द्र जोशी ने प्रायवेट भूमि को कम्पनी के लिये अधिग्रहण में सरकार और अधिकारियों की भूमिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि एक माह में उन्हें कम्पनी की भूमि के लिये डायवर्शन की स्वीकृति मिल गयी जबकि दूसरे राज्यों में इस कार्य में तीन-चार माह लग जाते।

सेमीनार में प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ जिसमें उपस्थित इच्छुक नव उद्यामियों ने निर्यात कर, प्रवेश कर, स्थानीय कर, वेण्डर डेवलपमेंट से जुड़े मुद्दों के हल के लिये साझा प्लेटफार्म आदि से संबंधित प्रश्न उठाये। प्रश्नों का उपस्थित विशेषज्ञ उद्यमियों ने समाधान किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों का आभार श्री सुधीर मेहता ने माना।

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