अमरकंटक / पर्यावरण और नदी संरक्षण के लिये दुनिया का सबसे बड़ा जनअभियान शुरू करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि माँ नर्मदा आज संकट में है। जंगल घटने से नदी की धार कम हो गई है। माँ नर्मदा ने हमें पानी, बिजली, फसलें, फल, फूल सब्जी आदि सब कुछ दिया है, लेकिन हमने उसे प्रदूषित कर विभिन्न बीमारियों को न्यौता दिया है जिससे जीवन का अस्तित्व खतरे में है। अब संभलने और इस अपराध का प्रायश्चित करने की जरूरत है। यह प्रायश्चित वृक्षारोपण करने, जैविक खेती करने, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण से ही पूरा होगा।
मध्यप्रदेश की धार्मिक और पौराणिक नगरी अमरकंटक में रविवार को मुख्यमंत्री ने 11 मई 2017 तक चलने वाले नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा के महत्वाकांक्षी अभियान का शुभारंभ किया। आचार्यों, महामण्डलेश्वरों, संत-महात्माओं, मंत्रिमंडल के सदस्यों और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने पूजा-अर्चना कर माँ नर्मदा के जयघोष के साथ यात्रा की शुरुआत की। संत समाज ने अभियान की सराहना करते हुए इसकी सफलता की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अमरकंटक को सबसे सुंदर तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। नर्मदा नदी में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए साढ़े पंद्रह करोड़ रूपए से सीवेज ट्रीटमेंट प्लान स्थापित किया जाएगा। नर्मदा नदी के तटों पर बसे गरीबों को पक्के मकान बनाकर दिए जाएंगे। साथ ही व्यवस्थित दुकानें बनाई जाएंगी और शहर को नए ढंग से व्यवस्थित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विभिन्न उद्देश्य को लेकर शुरू की गई 3334 किलोमीटर की यह यात्रा नर्मदा के दोनों तट से गुजरेगी और 144 दिन में सम्पन्न होगी। यात्रा के दौरान दोनों तट पर एक-एक किलोमीटर तक फल व छायादार पौधे रोपने के साथ ही लोगों को स्वच्छता, जैविक खेती, नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा। समाज और सरकार के सामूहिक संकल्प रूपी इस अभियान को शुरू करते हुए मुख्यमंत्री ने उपस्थित जन समुदाय को संकल्प भी दिलाया।
गुजरात में भी होगा नर्मदा का संरक्षण: रूपानी
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा कि माँ नर्मदा गुजरात की भी जीवनदायिनी है। गुजरात की जनता की ओर से यात्रा की सफलता की शुभकामनाएँ देते हुए उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा की पवित्रता के संरक्षण का यह अभियान कामयाब होगा। हमें भी ऐसा ही प्रयास करने की प्रेरणा मिली है। नर्मदा का एक छोर मप्र में तो दूसरा गुजरात में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अथक प्रयास कर माँ नर्मदा का जल गुजरात के अंतिम छोर तक पहुंचा दिया है।
पानी का संरक्षण हमारा कर्तव्य : भैय्याजी जोशी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति नदियों के तट पर विकसित हुई है। ऐसी पवित्र भूमि में हम सबको जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ है जहाँ नदियों को माँ माना गया है। हमारी संस्कृति पंचभूतों को देवता मानकर उनकी पूजा की प्रेरणा देती है क्योंकि पंचभूतों से ही शरीर का निर्माण हुआ है। नदियाँ, वृक्ष, प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण करना हमारा परम कर्तव्य है। वृक्ष और जल का निर्माण किसी कारखाने में नहीं होता