मोदी क्‍यों चुप हैं सर्जिकल स्‍ट्राइक पर?

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जब सारा देश पाकिस्‍तानी आतंकवादियों के खिलाफ की गई भारतीय सेना की कमांडो कार्रवाई पर उत्‍साह से लबरेज है, जब पार्टी लाइन से दूर सारे नेता इस उपल‍ब्धि के लिए सरकार और सेना को बधाई दे रहे हैं, जब पहली बार भारत ने परंपरा से अलग जाते हुए पड़ोसी देश को सबक सिखाने वाली इतनी सख्‍त कार्रवाई की है, तब… तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप क्‍यों हैं?

जी हां, यह सवाल कई लोगों के मन में कौंध रहा है। जरा जरा सी बात और घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तुरंत प्रतिक्रिया देने वाले मोदी इतनी बड़ी घटना पर क्‍यों नहीं बोले? हाल ही में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में सुषमा स्‍वराज को उनके भाषण पर बधाई देने वाले मोदी का कोई ट्वीट क्‍यों नहीं आया? पूरे देश ने सेना को बधाई के संदेश भेजे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बधाई कहां है?

दरअसल यही मोदी की स्‍टाइल है। वे काम करने में भरोसा करते हैं। उनका काम, पूरा हो जाने के बाद खुद बोले, यही उनकी कोशिश होती है। काम यदि नहीं हुआ तो बेकार का हो हल्‍ला मचाना उनकी आदत में शुमार नहीं है। चुनावी भाषणों की बात छोड़ दीजिए, चुनावी भाषणों या सार्वजनिक सभाओं में वे कई बातें बोल जाते हैं, लेकिन जब सवाल सरकार का, उसकी साख का या उसके परफार्मेंस का हो तो वे कतई कोई जोखिम नहीं उठाते। वहां बड़बोला मोदी, निहायत खमोश मोदी में तब्‍दील हो जाता है।

और यही कारण है कि पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में जाकर सर्जिकल स्‍ट्राइक करने वाली भारतीय सेना की कमांडो कार्रवाई पर मोदी चुप हैं। उड़ी में हुई घटना के बाद ‘’भारत इस घटना को भूलेगा नहीं’’ का ऐलान करने वाले मोदी, दस दिनों के भीतर ही माकूल बदला लेने और सख्‍त संदेश देने के बावजूद चुप हैं। क्‍योंकि वे जानते हैं कि इस बार उन्‍हें बोलने की जरूरत नहीं है,  उनका काम जो बोल रहा है। वैसे भी यह समय खुद बोलने का नहीं, बल्कि उनकी काबिलियत, उनकी सख्‍त छवि और उनकी 56 इंच की छाती पर सवाल उठाने वालों की बोलती बंद करने का है। और मोदी वही कर रहे हैं।

18 सितंबर को उड़ी में घात लगाकर भारतीय सैन्‍य शिविर पर हमला कर हमारे 18 सैनिकों को शहीद कर देने वाली पाकिस्‍तानी आतंकवादियों की नीच हरकत के बाद, पाकिस्‍तान पर कार्रवाई को लेकर क्‍या क्‍या नहीं कहा गया। इन दस दिनों में सरकार और सरकार से भी ज्‍यादा नरेंद्र मोदी ने वह झेला जो अपने जीवन में उन्‍होंने बहुत कम बार झेला होगा। लेकिन वे चुपचाप अपने काम में लगे रहे। बोलने के बजाय उन्‍होंने काम करके दिखाया। मोदी अपने विरोधियों और आलोचकों को ऐसे ही चौंकाते और ऐसे ही जवाब देते रहे हैं। इस बार उन्‍होंने फिर अपने विरोधियों को राजनीति, कूटनीति और सैन्‍य नीति की बिसात पर इस चतुर चाल से चित कर दिया है। और शायद इसीलिए वे चुप हैं… देखने के लिए कि अब उनके विरोधी और आलोचक खुद अपने ही कहे गए शब्‍द किस तरह निगलते हैं…

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