उड़ी में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के हमले में भारतीय सेना के 18 जवान मारे जाने की घटना के बाद पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। वह बयान शनिवार की शाम कोझीकोड से आ गया। मोदी के इस भाषण को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं। ज्यादातर लोग इस भाषण को भारतीय नेतृत्व की कमजोरी के रूप में देख रहे हैं, लेकिन मैं इसे लेकर काफी उत्साहित हूं। इस भाषण ने मेरा हौसला बढ़ाया है।
अकसर लोग मुझसे पूछते हैं कि ये क्या शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चे, महिलाएं, कुपोषण, सफाई, शौचालय टाइप के सब्जेक्ट पर लिखते रहते हो। मुख्यधारा से अलग, तुमने अपना ये क्या हाल बना रखा है। कुछ राजनीति पर, कुछ नेतागीरी पर, कुछ राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर भी लिखा करो। पहले मेरे पास ऐसे सवालों का कोई माकूल जवाब नहीं था। लेकिन अब मुझे प्रधानमंत्री का समर्थन मिल गया है। उनके कोझीकोड भाषण ने साबित कर दिया कि मैं जिन विषयों पर लिख रहा हूं, वे गैरजरूरी नहीं है, बल्कि अब तो वे अंतर्राष्ट्रीय विषय हो गए हैं। उनमें राजनीति भी भरपूर है और नेतागीरी भी। खुद प्रधानमंत्री ने आतंकवाद और पाकिस्तान से लड़ने के लिए गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला, बच्चे, कुपोषण आदि को हथियार बनाया है। और अपन तो इन हथियारों के पुराने सौदागर हैं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी…
अब चूंकि प्रधानमंत्री ने स्वयं मेरा उत्साहवर्धन किया है, इसलिए मेरा कर्तव्य बन जाता है कि अपने एजेंडा को आगे बढ़ाऊं। इसीलिए आज फिर से बात अपने मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की…।
लीक से हटकर अपनी कारगुजारियों के लिए कुख्यात सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज का एक और दिलचस्प मामला सामने आया है। खबर है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भरती एक महिला मरीज का ‘इलाज’ एक तांत्रिक ने किया और इलाज के नाम पर उसने महिला को खूब पीटा। ‘भूत उतारने’ के लिए तांत्रिक ने इस गर्भवती महिला को सरेआम अस्पताल के गलियारे में घसीटा भी। मेडिसिन विभाग के बाहर हुई इस घटना को वहां के कर्मचारी भी चुपचाप देखते रहे। विभाग के सामने भीड़ देखकर एंटी रेट्रो वायरल (एआरटी) सेंटर के एक अधिकारी जब वहां पहुचे और उन्होंने तांत्रिक को खदेड़ने की कोशिश की तो तांत्रिक ने उलटे उन्हीं को भूत लगा देने की धमकी दे डाली।
बताया जाता है कि अस्पताल में भरती महिला दस दिन से बीमार थी और डॉक्टर उसकी बीमारी समझ नहीं पा रहे थे। इसलिए महिला का पति गांव से एक तांत्रिक को बुला लाया। पति का दावा है कि तांत्रिक ने महिला पर हावी चार भूतों को भगा दिया। इनमें से तीन तो उसे अस्पताल में ही लगे थे। बाकी एक महिला के ही उस जेठ का भूत था, जिसकी कुछ समय पहले मौत हो गई थी।
सागर मेडिकल कॉलेज में इस तरह की घटनाएं होना आम बात है। कुछ दिन पहले एक गर्भवती महिला को प्रसूति के लिए जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के बीच फुटबॉल बना दिया गया था और अंतत: उस महिला ने जिला अस्पताल के फर्श पर ही बच्चे को जन्म दिया।
प्रधानमंत्रीजी ने कोझीकोड में यह तो बिलकुल ठीक कहा कि हमें लड़ना है तो हम गरीबी, अशिक्षा जैसे दुश्मनों से लड़ें। लेकिन दुश्मनों की सूची में वे सबसे बड़े दुश्मन का नाम लेना भूल गए। पाकिस्तान का तो पता नहीं लेकिन भारत में लोगों को गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, खराब स्वास्थ्य, अस्वच्छता से लोहा लेने से पहले सिस्टम से लड़ना पड़ता है। सिस्टम से लड़ते लड़ते वे इतने थक जाते हैं कि बाकी लड़ाई लड़ने की ताकत ही नहीं बचती।
मुझे नहीं मालूम की सागर की खबर हमारे सिस्टम को कितना झिंझोड़ेगी… और झिंझोड़ेगी भी या नहीं लेकिन ऐसे हादसे आम आदमी को रोज झिंझोड़ते रहते हैं। यही वजह है कि चाहे अस्पताल के गलियारे हों या प्रशासन के, वहां लोग काबिल डॉक्टर या समाधानकर्ता को ढूंढने और उस पर भरोसा करने के बजाय, ओझाओं, तांत्रिकों और बाबाओं को ढूंढते नजर आते हैं। जरा हालत तो देखिए… मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भरती एक महिला का पति डॉक्टरों के बजाय एक तांत्रिक पर भरोसा करता है। उसे इस बात पर भी यकीन है कि महिला को भूत ही लगे हैं और वह इस समाधान से भी संतुष्ट हो जाता है कि किसी तांत्रिक ने एक नहीं चार चार भूतों को भगा दिया है।
सरकार बिना वजह ही स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की कमी को लेकर परेशान है। जो ‘बीमारी’ भूत प्रेत के कारण हो उसे कोई ‘डॉक्टर’ कैसे ठीक कर सकता है? उसके लिए तो कोई झाड़ फूंकिया अथवा तांत्रिक ही खोजना होगा। क्या यह बेहतर नहीं होगा कि सरकार सिस्टम पर चढ़े भूत उतारने के लिए भी ‘जानकार ओझाओं और तांत्रिकों’ की तलाश करे।