अभय दुबे

कपिल की चिड़िया के मुँह खोलते ही असहिष्णु सत्ता के गिद्धों ने उसे नोचना प्रारंभ कर दिया। डरी-डरी सी सहमी चिडिया हतप्रभ है, सच्चाई का मुँह खोले तो मरे, और मौन रहे तो भी।

घरों में खुशियों को खिलखिला देने वाले कपिल के घर व्यवस्था के लोगों ने ढेर सारी बदनामी उडेल कर अपने पापों से मुक्ति का मार्ग ढूंढ लिया। मोदी जी को आईना दिखाने वाले लोगों में ही दोष है कि वे तस्वीर का दूसरा रुख बड़ी बेरुखी से दिखा देते हैं।

इतना साहस कोई राष्ट्रप्रेमी तो नहीं कर सकता कि मोदी जी को हजारों करोड़ों के अच्छे दिनों के विज्ञापन के बावजूद बुरे दिनों की हकीकत बता दे।

हकीकत यही है, मोदी जी और उनके राजनैतिक दल की न सिर्फ समालोचना सुनने की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो गई है अपितु रास्ता दिखाने वाले को राष्ट्रद्रोही बता दिया जाता है।

एक मूर्धन्य हास्य कलाकार कपिल शर्मा को इस बात की आश्वस्ति देश से मिलनी चाहिए कि सत्ता के क्रूरतम व्यवहार के बावजूद वे अपनी कला से देश को 2 घंटे सप्ताह की खुशियां अपनी खुशमिजाजी के साथ देते रहें और सत्ता को भी चाहिए कि वे अपने प्रचंड बहुमत के मद में देश के साहित्यकारों, इतिहासकारों और कलाकारों की आवाज को कुचलने की अपेक्षा उससे सीख लेकर अपने आचरण को निर्धारित करे।

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