शिक्षक से…
भर सको तो
थोड़ी बहुत रोशनी भर देना
थोड़ी बहुत कविता
थोड़ा सा प्रेम
थोड़ा संगीत
कुछ सपने
और थोड़ी सी बेचैनी भर देना
बहुत भरोसे के साथ
वो तुम्हारे पास आया है
देखो !
कीलें मत भर देना
सांकल ,कुंदे ,जंजीरें
और हथियार भी नहीं
भर सको तो
थोड़ा लोहा भर देना
उसके भीतर
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यह कविता हमने श्री मणि मोहन मेहता की फेसबुक वॉल से साभार ली है।