नई दिल्ली, अगस्त/ सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह देश में रामराज्य की स्थापना का आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने कहा कि वह चाहता तो बहुत कुछ है लेकिन उसकी भी अपनी सीमाएं हैं।
देश में सड़कों व फुटपाथों पर होने वाले अतिक्रमणों की समस्या को लेकर लगाई गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि क्या आप यह सोचते हैं कि हमारे आदेश दे देने सारी चीजें ठीक हो जाएंगी? हम यदि आदेश दें कि देश में भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए तो क्या भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा? क्या हम ऐसा आदेश पारित कर सकते हैं कि देश में ‘’राम राज्य’’ होना चाहिए? चीजें इस तरह से नहीं चलतीं।
मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि हम करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन समस्या यह है कि हमारी क्षमताएं सीमित हैं।
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब याचिकाकर्ता एनजीओ की तरफ से कहा गया कि यदि सुप्रीम कोर्ट ही यह काम नहीं करेगा तो फिर इसे कौन करेगा? लेकिन कोर्ट ने कहा कि हम यह मानकर नहीं चल सकते कि देश में सबकुछ गलत ही हो रहा है। खंडपीठ ने जब याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वो उनके पास आने से पहले हाईकोर्ट में आवेदन करे तो याचिकाकर्ता ने कहा कि आखिर वो किस किस हाईकोर्ट में जाएगा। वह बड़ी उम्मीद लेकर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर आया है। यहां से कोई आदेश तो होना ही चाहिए। सड़कों और फुटपाथों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि- आप लोगों को इस बारे में जागरूक करिए।
कोर्ट ने पहले तो याचिका को खारिज करने का संकेत दिया था लेकिन बाद में उसने इसकी सुनवाई अगले साल फरवरी माह तक के लिए टाल दी।