चंडीगढ़। जनसंचार का जमाना अब थोड़ा पीछे रह रहा है। अब प्रतियोगिता कंट्रोल्ड कम्युनिकेशन बनाम मास कम्युनिकेशन हो गई है। अब तक हम कंटेंट को किंग कहते थे। लेकिन मुझे लगता है कि संभवतः डाटा और डाटा माइनिंग अब किंग होगा। अभी अखबार में संपादक अच्छा लिखने वाले और न्यूज चैनल के संपादक अक्सर अच्छा बोलने वाले होते हैं। लेकिन आज से 10 साल बाद के न्यूजरूम की कल्पना करें तो मुझे लगता है वे डाटा और तकनीक संपन्न होंगे। अब दुनिया के बड़े मीडिया संस्थानों की मान्यता है कि जिनको गणित और सांख्यिकी नहीं आती है वे मीडिया में न आएं।
ये विचार वरिष्ठ पत्रकार एवं रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. मुम्बई के प्रेसिडेंट एंड मीडिया डायरेक्टर उमेश उपाध्याय ने ‘4G पत्रकारिता’ विषय पर पंजाब विश्वविद्यालय में आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किये। व्याख्यान का आयोजन प्रख्यात पत्रकार एवं दैनिक ट्रिब्यून के पूर्व संपादक स्वर्गीय विजय सहगल की पुण्य स्मृति में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन स्टडीज ने मिलकर किया था।
उमेश उपाध्याय ने कहा कि ‘4-जी पत्रकारिता’ के रूप में एक नया शब्द प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने दिया है जिसका आने वाले दिनों में जनसामान्य में व्यापक प्रयोग होगा। पहले दो विश्व युद्ध जमीन, अधिकार और शक्ति के लिए लड़े गये, जबकि तीसरा विश्वयुद्ध दिमाग पर नियंत्रण करने के लिए लड़ा जाएगा। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। सीमाओं पर युद्ध लड़ने अब लगभग बंद हो गये हैं और अब युद्ध प्रौद्योगिकी के माध्यम से लड़े जा रहे हैं। लोगों के मन को कैसे कंट्रोल किया जाए और अपने हाथ में लिया जाए इसमें तकनीक का बहुत प्रयोग हो रहा है। सारी लड़ाई मन और विचार के कंट्रोल की है। ईएसआईएस भी टेक्नोलॉजी के माध्यम के विभिन्न प्रकार के दिमागों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है।
टीवी और अखबार में आप अपनी पहुंच को नियंत्रित नहीं कर सकते लेकिन वर्तमान संचार प्रौद्योगिकी इसे नियंत्रित कर सकती है। आज ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट मोबाइल पर प्रयोग किया जा रहा है। यह सब हमारी पत्रकारिता को प्रभावित कर रहे हैं। 4जी हाई स्पीड कनेक्टिविटि अब हर जगह अपलब्ध हो रही है। पढ़ना धीरे-धीरे कम हो रहा है। अब विजुअल की ओर ज्यादा ध्यान है। दुनिया में पत्रकारिता में हो रहे नये प्रयोगों में वीडियो न्यूज का चलन बढ़ रहा है। इसलिए वीडियो न्यूज की उपलब्धता बढ़ रही है।
हमें टेलीवीजन की पत्रकारिता करनी होती है तो ओबी वैन के साथ बहुत कैमरा, माइक और बहुत से उपकरण के साथ प्रसारण करना होता है। जबकि एक मोबाइल फोन अब ओबी वैन, स्टूडियो, एडिटिंग टेबल, वीडियो कैमरा, माइक सब कुछ है जिसके लिए किन्हीं विशेष उपकरणों की आवश्यकता नहीं पड़ती। 4-जी तकनीक से इसका व्यापक और प्रभावशाली प्रयोग संभव हो रहा है।
हमारी आज की पत्रकारिता एक तरफा संचार है। जबकि नई तकनीक में दो तरफा संचार है। इसका सबसे ज्यादा असर टीवी पत्रकारिता पर पड़ने वाला है। प्राइम टाइम खत्म हो जाएगा और आप अपनी सुविधानुसार समाचार देख सकेंगे।
स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम के अध्यक्ष सीईसी-यूजीसी के निदेशक प्रो. राजवीर सिंह ने श्री विजय सहगल को याद करते हुए कहा कि 16 जुलाई को उनका जन्मदिन हमें ऐसे ही रचनात्मक ढंग से मनाना चाहिए। श्री सहगल की पत्रकारिता के साथ-साथ साहित्य सृजन में भी विशेष रुचि थी। उनमें एक अच्छे शिक्षक और जनसंपर्क कर्ता के गुण भी थे। आज के मीडिया शिक्षण संस्थानों में भी सूचना प्रौद्योगिकी के साथ ही पाठ्यक्रमों को समय की आवश्यकता के अनुसार अद्यतन किया जा रहा है।
इससे पूर्व वरिष्ठ पत्रकार अशोक मलिक ने विजय सहगल के व्यक्तित्व वं कृतित्व पर प्रकाश डाला। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन स्टडीज के चेयरमैन प्रो. जयंत पातेकर ने आभार प्रकट किया। मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार दीपक वशिष्ठ ने किया। इस अवसर पर श्री विजय सहगल की धर्मपत्नी श्रीमती शशि सहगल और उनके परिजन, दैनिक ट्रिब्यून के पूर्व संपादक राधेश्याम शर्मा और नरेश कौशल, पंजाब विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और शोधार्थियों के अलावा इंडियन मीडिया सेंटर और पंचनद शोध संस्थान, चंडीगढ़ के सदस्य भी उपस्थित थे।