इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में बनने वाले नये औद्योगिक क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के लिये भूमि आरक्षित की जायेगी। नगरीय निकायों द्वारा लगाये जाने वाले निर्यात कर को समाप्त कर दिया है। मुख्यमंत्री यहाँ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले दिन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। समिट के पहले दिन आज 670 करोड़ रूपये के 113 एमओयू किये गये। इनमें करीब 6 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की प्रगति में लघु उद्यमी अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से योगदान दें। हर गाँव के नये उद्यमी आगे आयें। जल्दी ही आयोजित होने वाली युवा पंचायत में युवा उद्यमियों के लिये ऋण गारंटी योजना लायी जायेगी। लघु उद्योग लगाने पर अब पूरे प्रदेश में ‘स’ श्रेणी के जिलों में मिलने वाली सुविधा दी जायेगी। थ्रस्ट उद्योग लगाने पर विशेष अनुदान की सीमा अब 30 लाख रूपये कर दी गयी है। उद्योगों के लिये 20 हजार हेक्टेयर भूमि का लेण्ड बैंक बनाया गया है। अब चम्बल की बीहड़ों में भी उद्योगों के लिये भूमि आरक्षित की जा रही है। प्रदेश में 27 औद्योगिक क्षेत्र बनाये जा रहे हैं जिसके लिये 3 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। प्रतिस्पर्धा के दौर में लघु उद्योगों के उत्पादों में सुधार के लिये उन्हें आधुनिक तकनीक की जानकारी उपलब्ध करवाने के लिये 10 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गयी है। वेण्डर्स डेवलपमेंट कार्यक्रम के तहत 500 लघु और मध्यम उद्योगों को 10 करोड़ रूपये की सहायता दी जायेगी। ग्रामीण क्ष़ेत्र में उद्योगों को 24 घंटे सतत बिजली दी जायेगी। लघु उद्योगों के लिये ब्याज अनुदान की योजना बनायी जायेगी। उन्होंने बताया कि रिवर्स बायर्स सेलर्स मीट ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर में आयोजित होगी। फीडर सेपरेशन का लाभ लघु और कुटीर उद्योगों को भी दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास में लघु उद्यमियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट प्रदेश की समृद्धि के लिये ठोस पहल है। हमारी सोच ग्लोबल है परंतु हम स्थानीय की उपेक्षा नहीं होने देंगे। मध्यप्रदेश द्वारा हासिल की गयी 12 प्रतिशत की ऐतिहासिक विकास दर में लघु एवं मध्यम उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिये पूरी क्षमता से काम करने का आव्हान किया। लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में लघु उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। श्री चौहान ने कहा कि हमारी सोच ”उत्पादन के लिये लोग नहीं बल्कि लोगों द्वारा उत्पादन की है।” देश में उद्योगों के लिये सबसे बेहतर नीतियां मध्यप्रदेश में उपलब्ध है।
छोटे उद्योगों की बड़ी भूमिका: विजयवर्गीय
उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य की अर्थ-व्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन उद्योगों से कम प्रदूषण होता है और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 5 प्रतिशत की तुलना में मध्यप्रदेश की औद्योगिक विकास दर 8 प्रतिशत है। श्री विजयवर्गीय ने कहा कि पहले दुनिया में मध्यप्रदेश की कोई पहचान नहीं थी। थोड़ी बहुत थी भी तो गैस त्रासदी जैसे नकारात्मक कारणों से। आज स्थिति एकदम विपरीत है। मध्यप्रदेश को आज देश-विदेश में तेजी से विकासशील और राजनैतिक स्थायित्व वाले राज्य के रूप में जाना जाता है। उद्योगों को चौबीस घंटे बिजली देने वाला मध्यप्रदेश देश का अकेला राज्य है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि संभाग स्तर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के सम्मेलन किये जायेंगे। इनमें उनकी समस्याओं के समाधान के साथ-साथ उन्हें मजबूत बनाने के कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिये बेहतर अधोसंरचना विकास के लिये 3000 करोड़ रूपये मंजूर किये गये हैं। श्री विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के साथ है। श्री विजयवर्गीय ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समग्र दृष्टि से सामाजिक सरोकारों के साथ प्रदेश का तेजी से विकास कर रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना तथा अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं का उल्लेख किया।
बड़े उद्योगों के साथ छोटे उद्योगों का विकास जरूरी
भारत के मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का विकास ही मध्यप्रदेश के विकास को तेज करेगा। छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में बड़े उद्योगों का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि केवल बड़े उद्योगों से ही मानव संसाधन का आर्थिक विकास नहीं होता। छोटे उद्योगों का विकास जरूरी है। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों में निवेश ज्यादा और रोजगार कम होता है जबकि इसके विपरीत छोटे उद्योगों में ज्यादा निवेश भी होता है और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि उद्योगों के लिये कौशल सम्पन्न जनशक्ति तैयार करने के लिये वृहद स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की जरूरत है।
छोटे उद्योगों के लिये अभूतपूर्व काम किया श्री चौहान ने
भारतीय उद्योग परिसंघ के मध्यप्रदेश राज्य परिषद के अध्यक्ष आर. एस. गोस्वामी ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिये विशेष सत्र आयोजित करने के प्रयास को ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देकर अभूतपूर्व काम किया है। उन्होंने कहा कि आज उद्योगों को पूरे समय बिजली मिल रही है। वित्तीय संस्थाओं का विश्वास बढ़ा है और साख सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। इसके अलावा लघु उद्योगों के विकास के लिये उपयुक्त वातावरण बना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों के कारण आज बीमार उद्योग पूरी तरह समाप्त हो गये हैं। करीब पाँच हजार बीमार उद्योगों को नया जीवन मिला है। सूक्ष्म और लघु उद्योगों को मिलने वाली साख सुविधाओं में 15 गुना वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में ज्ञान आधारित उद्योगों के विकास की भी संभावनाएँ हैं। उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े उद्यमियों से आग्रह किया कि राज्य सरकार के ऐतिहासिक निर्णयों और राजनैतिक स्थिरता का लाभ लें और प्रदेश के आर्थिक विकास में सहयोग दें।
लघु उद्योग निगम करेगा बुनकरों और शिल्पियों का बीमा
मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष अखण्ड प्रताप सिंह ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के सहयोग से निगम इस साल एक हजार करोड़ रूपये का व्यवसाय करेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग का क्षेत्र मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि निगम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के उत्पादों को प्रोत्साहित करेगा। फिलहाल 550 करोड़ रूपये सालाना का व्यापार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को दिया जा रहा है। इसे बढ़ाया जायेगा। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के उत्पादों को व्यापार के लिये उपयुक्त मंच उपलब्ध करवाया जा रहा है। निगम की ओर से 15 हजार बुनकर और शिल्पियों का बीमा कराया जा रहा है।
मध्यप्रदेश चेंबर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री के अध्यक्ष रमेश अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास की संभावनाओं को पूरे विश्व में प्रचारित-प्रसारित किया है। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों के साथ छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि बढ़ती जनसंख्या के लिये रोजगार और आय मिल सके। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों पर अभी से ध्यान देना होगा अन्यथा आर्थिक असंतुलन की स्थिति बन जायेगी। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग ज्यादा रोजगार दे सकते हैं।
श्री अग्रवाल ने मध्यप्रदेश की टेक्सटाइल नीति की सराहना करते हुए कहा कि इसके साथ ही गारमेंट उद्योग को भी पर्याप्त सहायता और सुविधा मिलना चाहिये। उन्होंने सुझाव दिया कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को अधोसंरचनात्मक सुविधाएँ और साख सुविधा मिलना चाहिये। इनके लिये अलग से संचालनालय और प्रशासनिक व्यवस्थाएँ होना चाहिये।
अपर मुख्य सचिव एस के दाश ने कहा कि प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को औद्योगिक अधोसंरचनात्मक सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जायेगी।
इस अवसर पर चार विशेष प्रकाशनों का विमोचन किया गया। सर्वश्रेष्ठ 111 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का संकलन, मध्यप्रदेश ट्रेड फेयर अथारिटी के मार्गदर्शी निर्देश और गाइड टू इंडस्ट्रीज, जिलावार औद्योगिक परिदृश्य और जिलावार भूमि उपलब्धता की पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया।
श्री चौहान ने एम. पी. ग्लोबल फाउंडेशन का विमोचन किया। यह मध्यप्रदेश के उद्यमियों का नेटवर्क है, जो देश-विदेश में उद्योग चला रहे हैं।