फूल

मेरे लिए फूल
ईश्वर के प्रफुल्लित चेहरे हैं
मैं फूलों में देखती हूँ

सर्वशक्तिमान ईश्वर की छवि।

जब खिलते हैं फूल
मेरी बगिया में
मुझे लगता है जैसे
पदार्पण हुआ है

सर्वशक्तिमान ईश्वर का
मुझे आशीष देने के लिए।

मैं उनकी आशीषों को महसूस करती हूँ
और उनकी मुस्कुराहटों को निहारती हूँ
अपने खिलते हुए फूलों में।

लेकिन जब झड़ जाते हैं फूल

मुझे नहीं लगता कि अब वहां नहीं हैं
सर्वशक्तिमान ईश्वर

बल्कि मुझे अहसास होता है कि अब

ईश्वर गुणा कर रहे हैं अपनी आशीषों को
मेरे लिए, बीज के रूप में।

(डॉ. संजू पॉल की यह कविता हमें मध्‍यमत डॉट कॉम के पाठक श्री सुरेंद्र पॉल ने भेजी है। मूल अंग्रेजी से इस कविता का अनुवाद भी उन्‍होंने ही किया है।)

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