प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में अघोषित आय रखने वाले लोगों को चेताया है। मोदी ने कहा कि जिन लोगों के पास अघोषित आय है, उन्हें भारत सरकार ने एक मौका दिया है कि वे अपनी अघोषित आय को घोषित कर दें। ऐसे लोगों को बता दूं कि 30 सितंबर उनके लिए आखिरी मौका है और इसके बाद उनकी कोई मदद नहीं हो पाएगी। 2-2 करोड़ के बंगले देखते ही पता चलता है कि ये लोग कैसे 50 लाख से कम आय के दायरे में हो सकते हैं, कुछ तो गड़बड़ है। हमें इस स्थिति को बदलना है।
आपातकाल लागू होने की काली रात को याद करते हुए मोदी ने कहा कि लोकतंत्र ही इस देश की ताकत है और इस ताकत को हमें हर कीमत पर बनाए रखना है।
मध्यमत डॉट कॉम के पाठकों के लिए प्रस्तुत है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के तहत 26 जून 2016 को दिए गए भाषण का मूल पाठ-
मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। गत वर्ष हमने गर्मी की भयंकर पीड़ा, पानी का अभाव, सूखे की स्थिति, न जाने कितनी-कितनी कसौटियों से गुजरना पड़ा। लेकिन पिछले दो हफ़्ते से, अलग-अलग स्थानों से बारिश की ख़बरें आ रही हैं। बारिश की खबरों के साथ-साथ, एक ताजगी का अहसास भी हो रहा है। आप भी अनुभव करते होंगे और जैसे वैज्ञानिक बता रहे हैं, इस बार वर्षा अच्छी होगी, सर्वदूर होगी और वर्षा ऋतु के पूरे कालखण्ड दरम्यान होगी। ये अपने आप में एक नया उत्साह भरने वाली ख़बरें हैं। मैं सभी किसान भाइयों को भी अच्छी वर्षा ऋतु की बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ।
हमारे देश में जैसे किसान मेहनत करता है, हमारे वैज्ञानिक भी देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए बहुत सफलताएँ प्राप्त कर रहे हैं। और मेरा तो पहले से मत रहा है कि हमारी नई पीढ़ी वैज्ञानिक बनने के सपने देखे, विज्ञान में रूचि ले, आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ कर गुजरने की इच्छा के साथ हमारी युवा पीढ़ी आगे आए। मैं आज और भी एक खुशी की बात आपसे share करना चाहता हूँ। कल मैं पुणे गया था, Smart City Project की वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में वहाँ कार्यक्रम था और वहाँ मैंने पुणे के College of Engineering के जिन विद्यार्थियों ने स्वयं की मेहनत से, स्वयं उपग्रह बनाया और जिसे 22 जून को प्रक्षेपित किया गया, उनको मिलने के लिए बुलाया था। क्योंकि मेरा मन करता था कि मैं इन मेरे युवा साथियों को देखूं तो सही! उनको मिलूँ तो सही! उनके भीतर जो ऊर्जा है, उत्साह है, उसका मैं भी तो अनुभव करूँ! पिछले कई वर्षों से अनेक विद्यार्थियों ने इस काम में अपना योगदान दिया। ये academic satellite एक प्रकार से युवा भारत के हौसले की उड़ान का जीता जागता नमूना है। और ये हमारे छात्रों ने बनाया। इन छोटे से satellite के पीछे जो सपने हैं, वो बहुत बड़े हैं। उसकी जो उड़ान है, बहुत ऊँची है और उसकी जो मेहनत है, वो बहुत गहरी है। जैसे पुणे के छात्रों ने किया, वैसे ही तमिलनाडु, चेन्नई की सत्यभामा यूनिवर्सिटी के students द्वारा भी एक satellite बनाया गया और वो SathyabamaSat को भी प्रक्षेपित किया गया। हम तो बचपन से ये बातें सुनते आये हैं और हर बालक के मन में आसमान को छूने और कुछ तारों को मुठ्ठी में कैद करने की ख्वाहिश हमेशा रहती है और इस लिहाज़ से। SRO द्वारा भेजे गये, छात्रों के द्वारा बनाये हुए दोनों satellite मेरी दृष्टि से बहुत अहम् हैं, बेहद ख़ास हैं। ये सभी छात्र बधाई के पात्र हैं। मैं देशवासियों को भी बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ कि 22 जून को। SRO के हमारे वैज्ञानिकों ने एक साथ 20 satellite अन्तरिक्ष में भेजकर अपने ही पुराने रेकॉर्डों को तोड़ करके एक नया रिकॉर्ड बना दिया और ये भी खुशी की बात है कि भारत में ये जो 20 satellite launch किये गए, उसमें से 17 satellite अन्य देशों के हैं। अमेरिका सहित कई देशों के satellite launch करने का काम भारत की धरती से, भारत के वैज्ञानिकों के द्वारा हुआ और इनके साथ वही दो satellite , जो हमारे छात्रों ने बनाये थे, वे भी अन्तरिक्ष में पहुँचे। और ये भी विशेषता है कि ISRO ने कम लागत और सफलता की guarantee के चलते दुनिया में ख़ास जगह बना ली है और उसके कारण विश्व के कई देश launching के लिए आज भारत की तरफ़ नज़र कर रहे हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ये बात अब भारत में जन-जन के मन की बात बन गयी है। लेकिन कुछ घटनायें उसमें एक नई ज़िंदगी ले आती हैं, नये प्राण भर देती हैं। इस बार 10वीं-12वीं की परीक्षाओं के जो नतीजे आये हैं, हमारी बेटियाँ मैदान मार रही हैं और गर्व होता है। और मेरे देशवासियों हम सब गर्व करें, ऐसी एक और महत्वपूर्ण बात – 18 जून को भारतीय वायु सेना में पहली बार first batch of women fighter pilots in the Indian Air Force, भारतीय वायुसेना में महिला लड़ाकू pilot की पहली batch, ये सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं न! कितना गर्व होता है कि हमारे तीन Flying Officer बेटियाँ अवनि चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना, जिन्होंने हमें गौरव दिलाया है। इन तीन बेटियों की ख़ास बात है। Flying Officer अवनि मध्य प्रदेश के रीवा से हैं, Flying Officer भावना बिहार में बेगूसराय से हैं और Flying Officer मोहना गुजरात के बड़ोदरा से हैं। आपने देखा होगा कि तीनों बेटियाँ हिन्दुस्तान के मेट्रो शहर से नहीं हैं। वे अपने-अपने राज्यों की राजधानी से भी नहीं हैं। ये छोटे शहरों से होने के बावज़ूद भी इन्होंने आसमान जैसे ऊंचे सपने देखे और उसे पूरा करके दिखाया। मैं अवनि, मोहना, भावना इन तीनों बेटियों को और उनके माँ–बाप को भी ह्रदय से बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पूर्व पूरे विश्व ने 21 जून को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की वर्षगाँठ पर भव्य कार्यक्रम किये। एक भारतीय के नाते पूरा विश्व जब योग से जुड़ता है, तब हम अहसास करते हैं, जैसे दुनिया हमारे कल, आज और कल से जुड़ रही है। विश्व के साथ हमारा एक अनोखा नाता बन रहा है। भारत में भी एक लाख से अधिक स्थानों पर बहुत उमंग और उत्साह के साथ, भांति-भांति के रंग-रूप के साथ रंगारंग माहौल में अन्तर्राष्ट्रीय योग-पर्व मनाया गया। मुझे भी चंडीगढ़ में हजारों योग प्रेमियों के साथ उनके बीच योग करने का अवसर मिला। आबाल-वृद्ध सबका उत्साह देखने लायक था। आपने देखा होगा, पिछले सप्ताह भारत सरकार ने इस अन्तर्राष्ट्रीय योग-पर्व के निमित्त ही ‘सूर्य नमस्कार’ की डाक टिकट भी जारी की है। इस बार विश्व में ‘Yoga Day’ के साथ-साथ दो चीज़ों पर लोगों का विशेष ध्यान गया। एक तो अमेरिका के New York शहर में जहाँ संयुक्त राष्ट्र संघ की building है , उस building के ऊपर योगासन की भिन्न-भिन्न कृतियों का विशेष projection किया गया और वहाँ आते-जाते लोग उसकी फोटो लेते रहते थे और और दुनिया भर में वो फोटो प्रचलित हो गयी। ये बातें किस भारतीय को गौरव नहीं दिलाएँगी – ये बताइये न! और भी एक बात हुई, technology अपना काम कर रही है। Social media की अपनी एक पहचान बन गयी है और इस बार योग में Twitter ने Yoga। mages के साथ celebration का एक हल्का-फुल्का प्रयोग भी किया। hashtag ‘Yoga Day’ type करते ही Yoga वाले। mages का चित्र हमारे मोबाइल फोन पर आ जाता था और दुनिया भर में वो प्रचलित हो गया। योग का मतलब ही होता है जोड़ना। योग में पूरे जगत को जोड़ने की ताक़त है। बस, ज़रूरत है, हम योग से जुड़ जाएँ।
मध्य प्रदेश के सतना से स्वाति श्रीवास्तव ने इस योग दिवस के बाद मुझे एक टेलीफोन किया और उसने मुझे एक message दिया है आप सबके लिए, लेकिन लगता है, शायद वो ज़्यादा मेरे लिए है: –
“मैं चाहती हूँ कि मेरा पूरा देश स्वस्थ रहे, उसका ग़रीब व्यक्ति भी निरोग रहे। इसके लिए मैं चाहती हूँ कि दूरदर्शन में हर एक सीरियल के बीच में जो सारे ads (advertisement) आते हैं, उसमें से किसी एक ad में योग के बारे में बताएँ। उसे कैसे करते हैं? उसके क्या लाभ होते हैं?” स्वाति जी, आपका सुझाव तो अच्छा है, लेकिन अगर आप थोड़ा ध्यान से देखोगे, तो आपके ध्यान में आएगा; न सिर्फ़ दूरदर्शन इन दिनों भारत और भारत बाहर, टी.वी. मीडिया के जगत में प्रतिदिन योग के प्रचार में भारत के और दुनिया के सभी टी.वी. चैनल कोई-न-कोई अपना योगदान दे रहे हैं। हर एक के अलग-अलग समय हैं। लेकिन अगर आप ध्यान से देखोगी, तो योग के विषय में जानकारी पाने के लिए ये सब हो ही रहा है। और मैंने तो देखा है, दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं कि जहाँ चौबीसों घंटे योग को समर्पित चैनल भी चलती हैं। और आपको पता होगा कि मैं जून महीने में ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ निमित्त प्रतिदिन Twitter और Facebook के माध्यम से हर दिन एक नये आसन का वीडियो शेयर करता था। अगर आप आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर जायेंगे, तो 40-45 मिनट का एक-के-बाद एक शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के लिए किस प्रकार के योग कर सकते हैं, हर आयु के लोग कर सकते हैं, ऐसे सरल योगों का, योग का एक अच्छा वीडियो वेबसाइट पर उपलब्ध है। मैं आपको भी और आपके माध्यम से सभी योग के जिज्ञासुओं को कहूँगा कि वे ज़रूर इसके साथ जुड़ें।
मैंने इस बार एक आवाहन किया है कि जब हम कहते हैं कि योग रोग मुक्ति का माध्यम है, तो क्यों न हम सब मिल कर के जितने भी School of Thoughts हैं योग के सम्बन्ध में; हर एक के अपने-अपने तरीके हैं, हर एक के अपने-अपने priorities हैं, हर एक के अपने अलग-अलग अनुभव हैं, लेकिन सब का अंतिम लक्ष्य एक है। मैं इन जितने प्रकार के योग की विधायें चल रही हैं, जितने प्रकार के योग के institutions चल रही हैं, जितने प्रकार के योग गुरु हैं, सबसे मैंने आग्रह किया है कि क्या हम पूरा ये वर्ष मधुमेह के खिलाफ, Diabetes के खिलाफ, योग के द्वारा एक सफल अभियान चला सकते हैं क्या? क्या योग से Diabetes को Control किया जा सकता है? कुछ लोगों को उसमें सफलता मिली है। हर-एक ने अपने-अपने तरीके से रास्ते खोजे हैं और हम जानते हैं कि Diabetes का वैसे कोई उपचार नहीं बताता है। दवाइयाँ ले कर के गुजारा करना पड़ता है और Diabetes ऐसा राज-रोग है कि जो बाकी सब रोगों का यजमान बन जाता है। भांति-भांति बीमारियों का वो entrance बन जाता है और इसलिए हर कोई Diabetes से बचना चाहता है। बहुत लोगों ने इस दिशा में काम भी किया है। कुछ Diabetic patients ने भी अपनी यौगिक practice के द्वारा उसको नियंत्रित किया है। क्यों न हम अपने अनुभवों को लोगों के बीच share करें। इसको एक momentum दें। साल भर एक माहौल बनाएँ। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि ‘Hashtag Yoga Fights Diabetes, मैं फिर से कह देता हूँ ‘Hashtag Yoga Fights Diabetes’ को use कर अपने अनुभव Social Media पर share करें या मुझे NarendraModi App पर भेजें। देखें तो सही, किस के क्या अनुभव हैं, प्रयास तो करें। मैं आपको निमंत्रित करता हूँ “Hashtag Yoga Fights Diabetes” पर अपने अनुभवों को share करने के लिए। मेरे प्यारे देशवासियो, कभी-कभी मेरे ‘मन की बात’ की बड़ी मजाक भी उड़ाई जाती है, बहुत आलोचना भी की जाती है, लेकिन ये इसलिये संभव है, क्योंकि हम लोग लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्ध हैं। लेकिन आज जब 26 जून, मैं आपसे बात कर रहा हूँ तब, ख़ासकर के नई पीढ़ी को कहना चाहता हूँ कि जिस लोकतंत्र का हम गर्व करते हैं, जिस लोकतंत्र ने हमें एक बहुत बड़ी ताकत दी है, हर नागरिक को बड़ी ताकत दी है; लेकिन 26 जून, 1975 वो भी एक दिन था। 25 जून की रात और 26 जून की सुबह हिंदुस्तान के लोकतंत्र के लिए एक ऐसी काली रात थी कि भारत में आपातकाल लागू किया गया। नागरिकों के सारे अधिकारों को खत्म कर दिया गया। देश को जेलखाना बना दिया गया। जयप्रकाश नारायण समेत देश के लाखों लोगों को, हजारों नेताओं को, अनेक संगठनों को, जेल के सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। उस भयंकर काली घटना पर अनेक किताबें लिखी गई हैं। अनेक चर्चायें भी हुई हैं, लेकिन आज जब मैं 26 जून को आपसे बात कर रहा हूँ, तब इस बात को हम न भूलें कि हमारी ताकत लोकतंत्र है, हमारी ताक़त लोक-शक्ति है, हमारी ताकत एक-एक नागरिक है। इस प्रतिबद्धता को हमें आगे बढ़ाना है, और ताकतवर बनाना है और भारत के लोगों की ये ताकत है कि उन्होंने लोकतंत्र को जी के दिखाया है। अखबारों पर ताले लगे हों, रेडियो एक ही भाषा बोलता हो, लेकिन दूसरी तरफ देश की जनता मौका पड़ते ही लोकतांत्रिक शक्तियों का परिचय करवा दे। ये बातें किसी देश के लिए बहुत बड़ी शक्ति का रूप हैं। भारत के सामान्य मानव की लोकतान्त्रिक शक्ति का उत्तम उदाहरण आपातकाल में प्रस्तुत हुआ है और लोकतान्त्रिक शक्ति का वो परिचय बार-बार देश को याद कराते रहना चाहिए। लोगों की शक्ति का एहसास करते रहना चाहिए और लोगों की शक्ति को बल मिले, इस प्रकार की हमारी हर प्रकार से प्रवृत्ति रहनी चाहिए और लोगों को जोड़ना चाहिए। मैं हमेशा कहता हूँ कि भाई, लोकतंत्र का मतलब ये नहीं होता कि लोग vote करें और पाँच साल के लिए आपको देश चलाने का contract दे दें। जी नहीं, vote करना तो लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण है, लेकिन और भी बहुत सारे पहलू हैं और सबसे बड़ा पहलू है जन-भागीदारी। जनता का मिजाज, जनता की सोच, और सरकारें जितनी जनता से ज्यादा जुड़ती हैं, उतनी देश की ताकत ज्यादा बढ़ती है। जनता और सरकारों के बीच की खाई ने ही हमारी बर्बादी को बल दिया है। मेरी हमेशा कोशिश है कि जन-भागीदारी से ही देश आगे बढ़ना चाहिए।
अभी-अभी जब मेरी सरकार के 2 साल पूरे हुए, तो कुछ आधुनिक विचार वाले नौजवानों ने मुझे सुझाव दिया कि आप इतनी बड़ी लोकतंत्र की बातें करते हैं, तो क्यों न आप अपनी सरकार का मूल्यांकन लोगों से करवाएँ। वैसे एक प्रकार से उनका चुनौती का ही स्वर था, सुझाव का भी स्वर था। लेकिन उन्होंने मेरे मन को झकझोर दिया। मैंने कुछ अपने वरिष्ठ साथियों के बीच में ये विषय रखा, तो प्रथम प्रतिक्रिया तो reaction ऐसा ही था कि नहीं-नहीं जी साहब, ये आप क्या करने जा रहे हो? आज तो technology इतनी बदल चुकी है कि अगर कोई इकट्ठे हो जाये, कोई गुट बन जाये और technology का दुरूपयोग कर गये, तो पता नहीं Survey कहाँ से कहाँ ले जाएंगे। उन्होंने चिंता जाहिर की। लेकिन मुझे लगा, नहीं-नहीं, risk लेना चाहिए, कोशिश करनी चाहिए। देखें, क्या होता है, और मेरे प्यारे देशवासियो, खुशी की बात है कि जब मैंने technology के माध्यम से अलग-अलग भाषाओं का उपयोग करते हुए जनता को मेरी सरकार का मूल्यांकन करने के लिए आवाहन किया। चुनाव के बाद भी तो बहुत survey होते हैं, चुनाव के दरम्यान भी survey होते हैं, कभी-कभी बीच में कुछ issues पर भी survey होते हैं, लोकप्रियता पर survey होते हैं, लेकिन उसकी sample size ज्यादा नहीं होती है। आप में से बहुत लोगों ने ‘Rate My Government-MyGov.in’ पर अपना opinion दिया है। वैसे तो लाखों लोगों ने इसमें रूचि दिखाई लेकिन 3 लाख लोगों ने एक-एक सवाल का जवाब देने के लिए मेहनत की है, काफी समय निकाला है। मैं उन 3 लाख लोगों का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने स्वयं सक्रियता दिखाई, सरकार का मूल्यांकन किया। मैं नतीजों की चर्चा नहीं करता हूँ, वो हमारे Media के लोग जरूर करेंगे। लेकिन एक अच्छा प्रयोग था, इतना तो मैं जरूर कहूँगा और मेरे लिए भी खुशी की बात थी कि हिंदुस्तान की सभी भाषाएँ बोलने वाले, हर कोने में रहने वाले, हर प्रकार के background वाले लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और सबसे बड़ी मेरे लिए अचरज़ तो है ही है कि भारत सरकार की जो ग्रामीण रोजगार की योजना चलती है, उस योजना की जो Website है, उस Portal पर सब से ज्यादा लोगों ने बढ़-चढ़ कर के हिस्सा लिया। इसका मतलब कि ग्रामीण जीवन से जुड़े, गरीबी से जुड़े हुए लोगों का इसमें बहुत बड़ा सक्रिय योगदान था, ऐसा मैं प्राथमिक अनुमान लगाता हूँ। ये मुझे और ज्यादा अच्छा लगा। तो आपने देखा, एक वो भी दिन था, जब कुछ वर्ष पहले 26 जून को जनता की आवाज दबोच दी गई थी और ये भी वक्त है कि जब जनता खुद तय करती है, बीच-बचाव तय करती है कि देखें तो सही, सरकार ठीक कर रही है कि गलत कर रही है, अच्छा कर रही है, बुरा कर रही है। यही तो लोकतंत्र की ताकत है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज मैं एक बात के लिए विशेष आग्रह करना चाहता हूँ। एक ज़माना था, जब taxes इतने व्यापक हुआ करते थे कि tax में चोरी करना स्वभाव बन गया था। एक ज़माना था, विदेश की चीज़ों को लाने के सम्बन्ध में कई restriction थे, तो smuggling भी उतना ही बढ़ जाता था, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदलता गया है। अब करदाता को सरकार की कर-व्यवस्था से जोड़ना अधिक मुश्किल काम नहीं है, लेकिन फिर भी पुरानी आदतें जाती नहीं हैं। एक पीढ़ी को अभी भी लगता है कि भाई, सरकार से दूर रहना ज्यादा अच्छा है। मैं आज आपसे आग्रह करना चाहता हूँ कि नियमों से भाग कर के हम अपने सुख-चैन गवाँ देते हैं। कोई भी छोटा-मोटा व्यक्ति हमें परेशान कर सकता है। हम ऐसा क्यों होने दें? क्यों न हम स्वयं अपनी आय के सम्बन्ध में, अपनी संपत्ति के सम्बन्ध में, सरकार को अपना सही-सही ब्यौरा दे दें। एक बार पुराना जो कुछ भी पड़ा हो, उससे मुक्त हो जाइए। इस बोझ से मुक्त होने के लिए मैं देशवासियो को आग्रह करता हूँ। जिन लोगों के पास Undisclosed Income है, अघोषित आय है, उनके लिए भारत सरकार ने एक मौका दिया है कि आप अपनी अघोषित आय को घोषित कीजिये। सरकार ने 30 सितम्बर तक अघोषित आय को घोषित करने के लिए विशेष सुविधा देश के सामने प्रस्तुत की है। जुर्माना देकर के हम अनेक प्रकार के बोझ से मुक्त हो सकते हैं। मैंने ये भी वादा किया है कि स्वेच्छा से जो अपने मिल्कियत के सम्बन्ध में, अघोषित आय के सम्बन्ध में सरकार को अपनी जानकारी दे देंगे, तो सरकार किसी भी प्रकार की जांच नहीं करेगी। इतना धन कहाँ से आया, कैसे आया – एक बार भी पूछा नहीं जाएगा और इसलिए मैं कहता हूँ कि अच्छा मौका है कि आप एक पारदर्शी व्यवस्था का हिस्सा बन जाइए। साथ-साथ मैं देशवासियों को कहना भी चाहता हूँ कि 30 सितम्बर तक की ये योजना है, इसको एक आखिरी मौका मान लीजिए। मैंने बीच में हमारे सांसदों को भी कहा था कि 30 सितम्बर के बाद अगर किसी नागरिक को तकलीफ़ हो, जो सरकारी नियमों से जुड़ना नही चाहता है, तो उनकी कोई मदद नही हो सकेगी। मैं देशवासियों को भी कहना चाहता हूँ कि हम 30 सितम्बर के बाद ऐसा कुछ भी ना हो, जिससे आपको कोई तकलीफ़ हो, इसलिए भी मैं कहता हूँ, अच्छा होगा 30 सितम्बर के पहले आप इस व्यवस्था का लाभ उठाएँ और 30 सितम्बर के बाद संभावित तकलीफों से अपने-आप को बचा लें।
मेरे देशवासियो, आज ये बात मुझे ‘मन की बात’ में इसलिए करनी पड़ी कि अभी मैंने हमारे जो Revenue विभाग -Income Tax, Custom, Excise – उनके सभी अधिकारियों के साथ मैंने एक दो-दिन का ज्ञान-संगम किया, बहुत विचार-विमर्श किया और मैंने उनको साफ-साफ शब्दो में कहा है कि हम नागरिकों को चोर न मानें। हम नागरिकों पर भरोसा करें, विश्वास करें, hand-holding करें। अगर वे नियमों से जुड़ना चाहते हैं, उनको प्रोत्साहित करके प्यार से साथ में ले आएँ। एक विश्वास का माहौल पैदा करना आवश्यक है। हमारे आचरण से हमें बदलाव लाना होगा। Taxpayer को विश्वास दिलाना होगा। मैंने बहुत आग्रह से इन बातों को उनसे कहा है और मैं देख रहा था कि उनको भी लग रहा है कि आज जब देश आगे बढ़ रहा है, तो हम सबने योगदान देना चाहिए। और इस ज्ञान-संगम में जब मैं जानकारियाँ ले रहा था, तो एक जानकारी मैं आपको भी बताना चाहता हूँ। आप में से कोई इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि सवा-सौ करोड़ के देश में सिर्फ और सिर्फ डेढ़ लाख लोग ही ऐसे हैं, जिनकी Taxable Income पचास लाख रूपये से ज्यादा है। ये बात किसी के गले उतरने वाली नहीं है। पचास लाख से ज्यादा Taxable Income वाले लोग बड़े-बड़े शहरो में लाखों की तादाद मे दिखते हैं। एक-एक करोड़, दो-दो करोड़ के Bungalow देखते ही पता चलता है कि ये कैसे पचास लाख से कम आय के दायरे में हो सकते हैं। इसका मतलब कुछ तो गड़बड़ है, इस स्थिति को बदलना है और 30 सितम्बर के पहले बदलना है। सरकार को कोई कठोर कदम उठाने से पहले जनता-जनार्दन को अवसर देना चाहिए और इसलिए मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, अघोषित आय को घोषित करने का एक स्वर्णिम अवसर है। दूसरे प्रकार से, 30 सितम्बर के बाद होने वाले संकटों से मुक्ति का एक मार्ग है। मैं देश की भलाई के लिये, देश के गरीबों के कल्याण के लिये आपको इस काम में आने के लिए आग्रह करता हूँ और मैं नही चाहता हूँ कि 30 सितम्बर के बाद आपको कोई तकलीफ़ हो।
मेरे प्यारे देशवासियो, इस देश का सामान्य मानव देश के लिए बहुत-कुछ करने के लिए अवसर खोजता रहता है। जब मैंने लोगों से कहा – रसोई गैस की subsidy छोड़ दीजिये, इस देश के एक करोड़ से ज्यादा परिवारों ने स्वेच्छा से subsidy छोड़ दी। मैं खास करके जिनके पास अघोषित आय है, उनके लिए एक खास उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता हूँ। मैं कल Smart City के कार्यक्रम के निमित्त पुणे जब गया था, तो वहाँ मुझे श्रीमान चन्द्रकान्त दामोदर कुलकर्णी और उनके परिवारजनों से मिलने का सौभाग्य मिला। मैंने उनको खास मिलने के लिए बुलाया था और कारण क्या है, जिसने कभी भी कर चोरी की होगी, उनको मेरी बात शायद प्रेरणा दे या ना दे, लेकिन श्रीमान चन्द्रकान्त कुलकर्णी की बात तो ज़रूर प्रेरणा देगी। आप जानते हैं, क्या कारण है? ये चन्द्रकान्त कुलकर्णी जी एक सामान्य मध्यम-वर्गीय परिवार के व्यक्ति हैं। सरकार में नौकरी करते थे, retire हो गए, 16 हजार रुपया उनको pension मिलती है। और मेरे प्यारे देशवासियो, आपको ताज्जुब होगा और जो कर-चोरी करने की आदत रखते हैं, उनको तो बड़ा सदमा लगेगा कि ये चन्द्रकान्त जी कुलकर्णी हैं, जिन्हें सिर्फ 16 हजार रूपये का pension मिलता है, लेकिन कुछ समय पहले उन्होंने मुझे चिट्ठी लिखी और कहा था कि मैं मेरे 16 हजार रुपये के pension में से हर महीने 5 हजार रुपया स्वच्छता अभियान के लिए donate करना चाहता हूँ और इतना ही नहीं, उन्होंने मुझे 52 Cheque, Fifty Two Cheque, post-dated, जो कि हर महीना एक-एक Cheque की date है, Cheque भेज दिए हैं। जिस देश का एक सरकारी मुलाज़िम निवृत्ति के बाद सिर्फ 16 हजार के pension में से 5 हजार रुपया स्वच्छता के अभियान के लिए दे देता हो, इस देश में कर चोरी करने का हमें हक़ नहीं बनता है। चन्द्रकान्त कुलकर्णी से बड़ा कोई हमारी प्रेरणा का कारण नहीं हो सकता है। और स्वच्छता अभियान से जुड़े हुये लोगों के लिए भी चन्द्रकान्त कुलकर्णी से बड़ा उत्तम उदाहरण नहीं हो सकता है। मैंने चन्द्रकान्त जी को रूबरू बुलाया, उनसे मिला, मेरे मन को उनका जीवन छू गया। उस परिवार को मैं बधाई देता हूँ और ऐसे तो अनगिनत लोग होंगे, शायद हो सकता है, मेरे पास उनकी जानकारी न हो, लेकिन यही तो लोग हैं, यही तो लोक-शक्ति है, यही तो ताकत है। 16 हजार की pension वाला व्यक्ति, दो लाख साठ हजार के Cheque advance में मुझे भेज दे, क्या ये छोटी बात है क्या? आओ, हम भी अपने मन को जरा टटोलें, हम भी सोचें कि सरकार ने हमारी आय को घोषित करने के लिये अवसर दिया है, हम भी चन्द्रकान्त जी को याद करके, हम भी जुड़ जाएँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल से संतोष नेगी जी ने phone करके अपना एक अनुभव share किया है। जल संचय की बात पर उन्होंने मुझे संदेश दिया है। उनका ये अनुभव देशवासियो, आपको भी काम आ सकता है: –
“हमने आपकी प्रेरणा से अपने विद्यालय में वर्षा जल ऋतु शुरू होने से पहले ही 4 फीट के छोटे-छोटे ढाई-सौ गड्ढे खेल के मैदान के किनारे-किनारे बना दिए थे, ताकि वर्षा जल उसमें समा सके। इस प्रक्रिया में खेल का मैदान भी खराब नहीं हुआ, बच्चों के डूबने का खतरा भी नहीं हुआ और करोड़ों लीटर पानी मैदान का हमने वर्षा जल सब बचाया है।”
संतोष जी, मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ कि आपने मुझे ये संदेश दिया और पौड़ी गढ़वाल, पहाड़ी इलाका और वहाँ भी आपने काम किया, आप बधाई के पात्र हैं। और मुझे विश्वास है कि देशवासी भी बारिश का तो मज़ा ज़रूर लें, लेकिन ये परमात्मा का दिया हुआ प्रसाद है, ये अपरंपार संपत्ति है। एक-एक बूँद जल का बचाने के लिये हम कुछ-न-कुछ प्रयास करें। गाँव का पानी गाँव में, शहर का पानी शहर में हम कैसे रोक लें? ये पृथ्वी माता को फिर से एक बार recharge करने के लिये हम उस पानी को फिर से जमीन में वापस कैसे भेजें? जल है, तभी तो कल है, जल ही तो जीवन का आधार है। पूरे देश में एक माहौल तो बना है, पिछले दिनों हर राज्य में, जल संचय के अनेक प्रकल्प किये हैं। लेकिन, अब जब जल आया है, तो देखिये, कहीं चला तो न जाये। जितनी चिंता जीवन को बचाने की है, उतनी ही चिंता जल बचाने की होनी चाहिये।
मेरे प्यारे देशवासियो, आप तो जानते हैं, उन्नीस सौ बाईस नम्बर अब तो आपके याददाश्त का हिस्सा बन गया है। One Nine Two Two, उन्नीस सौ बाईस। ये उन्नीस सौ बाईस ऐसा नंबर है, जिस पर अगर आप missed call करें तो आप ‘मन की बात’ को अपनी पसंदगी की भाषा में सुन सकते हैं। अपने समय के अनुसार, अपनी भाषा में, मन की बात सुन करके देश की विकास यात्रा में योगदान देने का आप भी मन बना लें।
सभी देशवासियो को बहुत-बहुत नमस्कार। धन्यवाद।