पिता की यही फरियाद है…

0
1304

फादर्स डे पर विशेष

सतीश उपाध्‍याय 

दुनिया में आने पर तुम्हारी पहली आवाज

रुई के गोले जैसा तुम्हारा वजूद

मुझे याद है

देर तक तुम्हे गोद में लेकर अपना काम करने वाली

तुम्हारी माँ का हलकान हो जाना

मुझे याद है।

तुम्हारे बीमार हो जाने पर

डॉक्टर के पास दौड़ना

मुझे याद है।

तेज बुखार में रात रात भर जाग कर

तुम्हारे माथे पर

ठण्डे पानी की पट्टियां रखना

मुझे याद है।

उंगली पकड़ कर

लड़खड़ाते पैरों से चलना सीखना

मुझे याद है।

तुम्हारी फरमाइशों को

हर मुमकिन पूरा करना

मुझे याद है।

तुम्हारी हर जिद, खीज, उतावलेपन,

लापरवाहियों और गुस्से को

नजरअंदाज करना

मुझे याद है।

देखते ही देखते तुम बड़े हो गए

मुझे याद है

अब तुम्हारा कद मेरे बराबर हो गया है

मुझे याद है

तुम अपने लिए सपने संजोने

और उन्हें पूरा करने की चाह लिए

उड़ान भरने को बेताब हो

मुझे याद है

पर तुम्हारे माँ पिता की तपस्या

त्याग और तुम्हारे जीवन निर्माण के लिए

किये गए अथक परिश्रम और

तुम्हारे लिए सहे गए कष्टों

व उनसे उपजी पीड़ाओं को

कभी विस्मृत न करना

बस एक पिता की

यही फ़रियाद है।

(फादर्स डे पर पिता की भावनाएँ)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here