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क्या इंटरनेट की जानकारी प्रायवेसी का हनन है?
नई दिल्ली, मई 2016/ क्या इंटरनेट पर दिखाई जाने वाली कोई जानकारी किसी व्यक्ति की निजता या प्रायवेसी के अधिकार का उल्लंघन है? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में इस बारे में एक याचिका दायर की गई है।
याचिका दायर करने वाले युवक का कहना है कि उसके बारे में इंटरनेट पर कुछ ऐसी बातें जोड़ दी गई हैं जिससे उसका कोई लेना देना नहीं है। जो मामला इंटरनेट पर दिखाया जा रहा है वह उसकी मां और पत्नी के बीच विवाद का है। लेकिन नेट पर इस विवाद की जानकारी के साथ हर बार उसका नाम भी उभरकर आता है। इस तरह नेट पर उसके बारे में एक आपराधिक मामले के साथ जानकारी आना उसके कॅरियर के लिए मुसीबत बन गया है। वह जब भी कहीं आवेदन करता है तो कंपनियां गूगल पर उसके बारे में सर्च करती हैं। सर्च के दौरान उसका नाम इस आपराधिक मामले के साथ जुड़कर आता है और इस तरह उसे खारिज कर दिया जाता हे। जबकि उसका इस मामले से कोई संबंध नहीं है।
युवक ने कहा है कि सरकार और नेट की जानकारी प्रदान करने वाली एजेंसी गूगल को यह निर्देशित किया जाए कि वे उसके बारे में इंटरनेट पर गलत तरीके से दर्ज की गई जानकारी को हटाएं क्योंकि यह उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनमोहन ने इस बारे में सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय के अलावा गूगल से भी जवाब मांगा है। न्यायालय ने पूछा है कि क्या डाटा प्रदायकर्ता अथवा गूगल जैसे प्लेटफार्म को यदि कोई व्यक्ति आवेदन देकर यह मांग करे कि वे कोई भी अवांछित, अपर्याप्त या गैर जरूरी जानकारी अपने सिस्टम से हटाएं तो उनका जवाब क्या होगा?
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