बलिया/ अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस पर वामपंथी दलों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक समय यह नारा बहुत चलता था कि ‘दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ।‘ वर्ग संघर्षके लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। लेकिन जो लोग इस विचार को लेकर चले थे,वह आज इस देश के राजनीतिक नक्शे से गायब होते जा रहे हैं। 21वीं सदी में यह नारा नहीं चलसकता। आज का नारा तो यही हो सकता है कि दुनिया के मजदूरों आओ, हम पूरी दुनिया कोजोड़ दें। मजदूर खुद जुड़ने के बजाय पूरी दुनिया को जोड़ने का काम करें। मजदूर के पसीने वहताकत है, जो पूरी दुनिया को जोड़ सकता है। यह दुनिया को जोड़ने वाला सबसे ताकतवर‘सीमेंटिंग पॉवर’ है।
प्रधानमंत्री ने यहां जनसभा को संबोधित करते हुए क्रांतिकारी मंगल पांडे, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर,जय प्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय को याद किया।उन्होंंने कहा किआज 1 मई है। पूरी दुनिया में इसे मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। आज देश का यह मजदूरनंबर एक देश के सभी श्रमिकों को उनके योगदान के लिए नमन करता है।
मोदी ने बताया कि देश में 30 लाख मजदूर ऐसे थे, जिन्हें 100 या 50 रुपये की मामूली पेंशनमिलती थी, इतना तो पेंशन पाने के लिए आने जाने में बस या रिक्शे का किराया लग जाता था।हमने सत्ता0 में आते ही सालों से लागू इस व्ययवस्थाक को बदला और इन 30 लाख से ज्यादाश्रमिक परिवारों को न्यूनतम 1,000 रुपये पेंशन देने का फैसला किया। हमने श्रम सुविधा पोर्टल तैयारकर सभी मजदूरों को लेबर आइडेंटिटी नंबर दिया। श्रमिकों को पूरे देश में अवसर प्रदान करने के लिए‘नैशनल कॅरियर सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत की। इससे नियोक्ताप और कामगार के बीच बेहतरतालमेल हो सकेगा। बोनस की व्यवस्था में भी सुधार करते हुए न्यूनतम 21,000 रुपये कमाने वालेको भी बोनस दिए जाने का फैसला किया है। पहले न्यूनतम 3,500 रुपये बोनस मिलता था, अब यहसीमा 7,000 रुपये है। ‘एक कर्मचारी, एक पीएफ’ योजना भी कर्मचारियों व कामगारों को कई तरह की परेशानियों से बचाएगी।